तेजी से गर्भाशय कैंसर की जद में आ रहीं महिलाएं, जानिए... कारण में बचाव के उपाय Bhagalpur News
गर्भाशय कैंसर को सर्विक्स कैंसर भी कहते हैं। सर्विक्स गर्भाशय का निचला भाग होता है जो गर्भाशय को प्रजनन अंग से जोड़ता है।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। भागलपुर में गर्भाशय कैंसर यानी बच्चेदानी का कैंसर तेजी से फैल रहा है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा 15 से 44 वर्ष तक की युवतियां व महिलाएं आ रही हैं। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में प्रतिमाह तीस से चालीस महिलाएं जांच के लिए आ रही हैं। वहीं, आठ से दस महिलाओं में गर्भाशय कैंसर की पुष्टि हो रही है। पुष्टि होने के बाद जेएलएनएमसीएच से मरीजों को रेडियो थेरेपी के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) रेफर कर दिया जाता है।
प्रजनन अंगों के माध्यम से संक्रमण का खतरा
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. माधवी सिंह के अनुसार गर्भाशय कैंसर को सर्विक्स कैंसर भी कहते हैं। सर्विक्स गर्भाशय का निचला भाग होता है, जो गर्भाशय को प्रजनन अंग से जोड़ता है। शारीरिक संपर्क में आने पर (एचपीवी-16 व 18) वायरस किसी महिला को संक्रमित कर सकता है। प्रजनन अंगों के माध्यम से भी महिलाओं में यह संक्रमण तेजी से फैलता है। एचपीवी संक्रमण के होने और इसके कैंसर में तब्दील होने में सामान्यत 20 साल या इससे अधिक का समय लग जाता है। 15 से 44 साल की उम्र की महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा रहता है।
नौ से 25 साल तक की युवतियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध
गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। इसे नौ से 25 साल तक की युवतियां लगवा सकती हैं। गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए यह वैक्सीन 92 फीसद तक कारगर है। वैक्सीन लेने से पहले शारीरिक संपर्क नहीं बनाना है। डॉ. माधवी के अनुसार गॉर्डिशियल और सरवायरकेस वैक्सीन गर्भाशय कैंसर की रोकथाम के लिए फिलहाल उपलब्ध हैं।
रेडियो थेरेपी की भागलपुर में नहीं है सुविधा
गर्भाशय कैंसर का संपूर्ण इलाज भागलपुर में उपलब्ध नहीं है। अंतिम स्टेज में कैंसर के पहुंच जाने पर यहां से मरीजों को पटना रेफर कर दिया जाता है। भागलपुर में रेडियो थेरेपी की सुविधा अब तक नहीं है। इसके लिए यहां के मरीजों को पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है।
गर्भाशय कैंसर के प्रमुख लक्षण
-ट्यूमर बढऩे पर मल त्यागने में बहुत कठिनाई होती है।
-पेट की परत में एक तरल पदार्थ का निर्माण होता है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है।
-सबसे अहम लक्षण, संभोग के समय दर्द होना माना जाता है।
-योनि में दर्द होना भी गर्भाशय कैंसर का संकेत हो सकता है।
-गर्भाशय कैंसर होने पर भूख कम लगती है।
-पेशाब के साथ खून आना और बार-बार पेशाब आना।
-तेजी से वजन कम होना।
-पीठ के नीचे दर्द होना और समय के साथ इस दर्द का बढ़ते जाना।
-भरपूर नींद लेने के बाद भी शारीरिक थकान महसूस कराना।
इस तरह करें इससे बचाव
-हर दिन योग और व्यायाम करें।
-शरीर के वजन को संतुलित रखें।
-असामान्य रक्तस्राव होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
-गर्भाशय कैंसर के कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
-ताजे फलों और हरी सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें।
-अगर आपको मधुमेह की समस्या है, तो ब्लड शुगर लेवल पर कंट्रोल करें।
गर्भाशय कैंसर के कारण
-अंडाशय में पाए जाने वाले दोनों हार्मोंस में असंतुलन से गर्भाशय की दीवार धीरे धीरे मोटी हो जाती है, इससे गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
-हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने वाली महिलाओं में इसका खतरा बढ़ जाता है।
-हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह की समस्या भी इसके खतरे को बढ़ा देती है।
-अगर आपके परिवार में किसी को पहले कभी गर्भाशय कैंसर रहा है, तो आपमें बच्चेदानी के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि बच्चेदानी का कैंसर आनुवंशिक होता है।
डॉ. माधवी सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर व कोल्पोस्कोपी प्रभारी, जेएलएनएमसीएच) ने कहा कि अस्पताल में 35 से 40 महिलाएं प्रतिमाह गर्भाशय के कैंसर की जांच के लिए आती हैं। इनमें से आठ से दस एडवांस स्टेज में पाए जाते हैं, जिन्हें रेडियोथेरापी की आवश्यकता होती है। भागलपुर में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है, मरीजों को इसके लिए पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है।