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मयंक अपहरण कांड में छोटे भाई की कड़ी सुरक्षा में हुई गवाही, 2014 में हुआ था अपहरण

जगदीशपुर के तरडीहा-सोनडीहा क्षेत्र निवासी मयंक का अपहरण जगदीशपुर के महिन्द्रा शो रूम के पास से 27 अगस्त 2014 को कर लिया गया था। इस कांड को लेकर आठ लोग आरोपित के रूप में सामने आए।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 04:48 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 04:48 PM (IST)
मयंक अपहरण कांड में छोटे भाई की कड़ी सुरक्षा में हुई गवाही, 2014 में हुआ था अपहरण
मयंक अपहरण कांड में छोटे भाई की कड़ी सुरक्षा में हुई गवाही, 2014 में हुआ था अपहरण

भागलपुर (जेएनएन)। द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयप्रकाश की अदालत में चर्चित मयंक शुक्ला अपहरण कांड में उसके छोटे भाई मनीष कुमार शुक्ला की कड़ी सुरक्षा में गवाही हुई। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कचहरी परिसर में किए गए थे।

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बताते चलें कि मयंक शुक्ला अपहरण कांड में उच्च न्यायालय पटना के निर्देश पर एसएसपी आशीष भारती ने एसआइटी गठित कर रखी है। विधि-व्यवस्था डीएसपी निसार अहमद खां के नेतृत्व में छह पुलिस पदाधिकारियों को एसआइटी में शामिल किया गया है। जिनमें सदर इंस्पेक्टर, जगदीशपुर थानाध्यक्ष, दरोगा रामभरोसे महतो, सहायक अवर निरीक्षक जयवीर सिंह शामिल हैं लेकिन मामले में अबतक पुलिस के हाथ खाली हैं।

जगदीशपुर थाना क्षेत्र के तरडीहा-सोनडीहा क्षेत्र निवासी होनहार मयंक शुक्ला का अपहरण भागलपुर-जगदीशपुर रोड स्थित महिन्द्रा शो रूम के पास से 27 अगस्त 2014 को कर लिया गया था। अपहरण कांड को लेकर आठ लोग आरोपित के रूप में सामने आए। जिनमें रजनीश कुमार दुबे उर्फ डब्लू, किशन दुबे उर्फ कन्हैया, रविशंकर दुबे उर्फ तिनसुकिया, रोहित दुबे उर्फ बिट्टु, चंदन कुमार पांडेय उर्फ मनीष, मुकेश तिवारी उर्फ चुन्नु, झुन्नु मिश्रा उर्फ अमिताभ, अरविंद कुमार मिश्रा के नाम शामिल हैं। उच्च न्यायालय पटना से ये आरोपित जमानत पर बाहर हैं। घटना को लेकर मयंक के पिता राजकुमार शुक्ला ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। घटना के बाद से पिता समेत परिवार के सदस्य मयंक के वापसी का इंतजार कर रहे हैं।

चश्मदीद गवाह मनीष ने न्यायालय को जानकारी दी कि घटना 27 अगस्त 2014 की है। शाम 7.30 बजे लोहिया पुल पर घर जाने के ऑटो पकडऩे आया था। वहां देखा कि बिना नंबर प्लेट की सफेद रंग की स्कॉर्पियो जिसमें रविशंकर दुबे उर्फ तिनसुकिया, रोहित दुबे उर्फ बिट्टु, रजनीश दुबे उर्फ डबलू, किशन दुबे उर्फ कन्हैया, चंदन पांडेय और हमारे भाई मयंक मोहन शुक्ला बैठे थे। बात करने की कोशिश की। जैसे ही दो कदम बढ़ाया कि मैने देखा कि स्टेशन की तरफ वाली रोड से लाल रंग की गाड़ी जिसका नंबर बीआर 10 एच 2007 था जिसमें अरविंद मिश्र ड्राइविंग कर रहे थे। पीछे वाली सीट पर झुन्नु मिश्रा और मुकेश तिवारी और आगे वाली सीट पर भी एक व्यक्ति बैठा था। जिसे वह नहीं पहचानता है।

स्कॉर्पियो की ओर बस स्टैंड जाने का इशारा किया। फिर दोनो गाडिय़ां चली गई। मैं घर पहुंचा फिर पता चला कि भैया उपरोक्त लोगों के साथ पार्टी में गया है। फिर हमलोग इंतजार करते रहे भैया का मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा था। उसके बाद उपरोक्त लोगों से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा था। फिर पापा को जानकारी दी। पापा उपरोक्त लोगों से संपर्क किया। रजनीश दुबे उर्फ डबलू इन्होंने हमारे पापा को बताया कि पानी सिर से उपर चला गया था तो मार कर फेंक दिया। अब वो नहीं मिलेगा। आज तक हमारे भाई वापस नहीं आए हैं। अपनी गवाही में मनीष ने कहा कि उपरोक्त लोगों ने ही उसके भाई को मार कर लाश को कहीं ठिकाना लगा दिय है। उसकी लाश आज तक नहीं मिली है।

अदालत में उपस्थित आरोपितों को मनीष ने गवाही के क्रम में पहचाना है। मनीष ने अपनी गवाही में घटना का पूर्ण रूप से समर्थन किया। उसने न्यायालय को बताया कि आरोपित अरविंद मिश्रा की बेटी पूजा और उसके भाई मयंक शुक्ला के बीच प्रेम प्रसंग था।


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