Move to Jagran APP

भागलपुर के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में जलापूर्ति योजना का हाल... 14 महीने में नौ प्रतिशत काम

भागलपुर के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में अब तक साफ पानी नहीं पहुंचाया जा सका है। यह योजना चार साल पहले 2017 में ही पूरी हो जानी चाहए थी लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह आज भी आधा अधूरा है। इसका परिणाम स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 07:46 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 09:59 AM (IST)
भागलपुर के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में जलापूर्ति योजना का हाल... 14 महीने में नौ प्रतिशत काम
भागलपुर के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में अब तक साफ पानी नहीं पहुंचाया जा सका है।

जागरण टीम, पटना, भागलपुर। नौ दिन चले, ढाई कोस। सुस्ती की पराकाष्ठा को जाहिर करने वाली इस कहावत को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचइडी) ने फेल कर दिया है। विभाग में डेढ़ साल में पूरी होने वाली सुल्तानगंज में बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना है। साढ़े 14 महीने तक काम चला। अब पता चला कि काम तो सिर्फ नौ फीसद हो पाया है। ताज्जुब की बात यह कि विभाग को लेट लतीफी की जानकारी भी इतने दिन बाद ही हुई। काम करने वाली एजेंसी का नाम काली सूची में डाल दिया गया है। दूसरी एजेंसी काम करेगी। उसे भी डेढ़ साल का समय मिलेगा।

loksabha election banner

2017 में ही पूरी होनी थी योजना

यह योजना चार साल पहले 2017 में ही पूरी हो जानी चाहए थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण एजेंसी हैदराबाद की आईवीआरसीसी द्वारा निर्माण में सुस्ती बरती गई। एग्रीमेंट के मुताबिक समय पर काम पूरा नहीं करने की स्थिति में एजेंसी के खिलाफ कार्यवाई करते हुए विभाग ने टेंडर रद कर नाम काली सूची में डाल दिया। री-टेंडर में 2018 में काम कोलकाता की मेसर्स रियन वाटरटेक प्राइवेट लिमिटेड को मिला। यही नहीं योजना की राशि 70 करोड़ से बढ़कर 98 करोड़ हो गई। अबतक पांच जलमीनार ही बन सका है। जबकि नाथनगर के दोगच्छी और सुल्तानगंज में जलमीनार का काम अधूरा है। ट्रीटमेंट प्लांट का भी काम पूरा नहीं हो सका है। वहीं सुल्तानगंज और नाथनगर प्रखंडों के 70 वार्डों के दस हजार घरों में नल का जल योजना के तहत कनेक्शन करना है। लेकिन अबतक 10 वार्डों में ही कनेक्शन कर बोङ्क्षरग से जलापूर्ति की जा रही है। जबकि पीएचइडी के मुख्य अभियंता मिथिलेश कुमार ङ्क्षसह और कार्यपालक अभियंता जून तक हरहाल में 50 हजार आबादी को शुद्ध पेयजलापूर्ति का दावा कर रहे थे। इधर, यह योजना एक बार फिर टेंडर के पेंच में फंस गया। ऐसे में तीन साल से पहले इस योजना के पूरे होने की संभावना कम है।

क्या है योजना

यह योजना लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमंडल, भागलपुर (पश्चिम) के क्षेत्र में है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत सुल्तानगंज एवं नाथनगर प्रखंड के अत्यधिक आर्सेनिक प्रभावित गांवों में पेयजल की आपूर्ति होनी है। इसके लिए लिए गंगा नदी एवं सतही जल का उपयोग होगा। विभाग के कार्यपालक अभियंता के पत्र के मुताबिक आर्सेनिक प्रभावित दोनों प्रखंडों के गांवों में पहले से पेयजल पहुंचाने की कोशिश चल रही है। इसके लिए अद्र्धनिर्मित बहुग्रामीय पाइप जलापूर्ति योजना के बचे हुए काम को डेढ़ साल में पूरा करने के करार के साथ एजेंसी को काम दिया गया। उसी एजेंसी को ट्रायल रन के बाद पांच साल तक के रखरखाव एवं संचालन की जिम्मेवारी भी दी गई।

-जुलाई में पूरा होना था काम

करार के मुताबिक काम समाप्त करने की आखिरी तारीख छह जुलाई 2021 है। योजना की प्रगति देखने गए कार्यपालक अभियंता को पता चला कि मार्च के अंत तक सिर्फ नौ प्रतिशत काम हो पाया है। कार्यपालक अभियंता की रिपोर्ट में बताया गया है कि बचे हुए साढ़े तीन महीने में 91 प्रतिशत काम पूरा नहीं किया जा सकता है। एजेंसी को कारण बताओ नोटिस दिया गया। जवाब नहीं आया। काम में तेजी भी नहीं आई। आखिरकार एजेंसी को काली सूची में डाल दिया गया। अब राज्य में उसे पीएचइडी का कोई काम नहीं दिया जाएगा।

मंत्री को भी हैरत

योजना की लेटलतीफी पर विभागीय मंत्री रामप्रीत पासवान ने हैरानी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जांच का विषय यह भी है कि योजनाओं के कार्यान्वयन की सघन मॉनिटङ्क्षरग होती है या नहीं। अगर सभी योजनाओं की मानिटङ्क्षरग हो तो सुस्ती को समय पर पकड़ा जा सकता है। जल्दी कार्रवाई हो तो मामूली देरी के साथ योजनाएं पूरी हो सकती हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.