पूर्णिया के कुलपति संभालेंगे दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय की कमान, जाएंगे यूपी
पूर्णिया के कुलपति प्रो राजेश सिंह को दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। यूपी के राज्यपाल सह कुलाधिपति ने इस संबंध में उन्हें पत्र भेजा है।
पूर्णिया, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (गोरखपुर विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो राजेश सिंह को बनाया गया। उत्तप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय को राज्यपाल सह कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने नया कुलपति नियुक्त कर दिया है। उन्होंने बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह को यह जिम्मेदारी दी।
नवनियुक्त कुलपति राजेश कुमार सिंह ने कहा है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय को शिक्षा का हब बनाना उनकी प्राथमिकता है। इसे देश के चुनिंदा 50 विश्वविद्यालयों में शामिल कराने की कोशिश रहेगी। उन्होंने बताया कि पदभार ग्रहण करने के बाद वह विश्वविद्यालय में कई भाषाओं की पढ़ाई शुरू करवाएंगे। यहां सत्र को नियमित करना एवं परीक्षाफल का सही समय पर प्रकाशन करने की भी कोशिश की जाएगी। राजेश कुमार सिंह ने बताया कि वे इसके पूर्व यूपी के बीएचयू में लगभग बीस वर्षों तक कृषि के प्रोफेसर के रूप में काम कर चुके हैं। इस कारण गोरखपुर विश्वविद्यालय की कई समस्याओं के बारे में उन्हें जानकारी है। यूपी के जौनपुर जिले के उमड़ी निवासी प्रो. राजेश कुमार सिंह 20 मार्च, 2018 को पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए गए थे। उन्होंने तीन वर्ष तक पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम किया। कोरोना काल में भी इस विश्वविद्यालय के अधीन कॉलेजों में ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन एवं परीक्षाफल का समय से प्रकाशन उनकी बड़ी उपलब्धि रही। राजेश कुमार सिंह की शिक्षा हरियाणा के हिसार में हुई। 2000 से वे बीएचयू में काम कर रहे थे।
एक कुलपति के रूप में पूर्णिया को हमेशा याद रखूंगा
प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि कुलपति के रूप में पूर्णिया विश्वविद्यालय को हमेशा याद रखने की बात कहते हैं। उन्होंने कहा कि नवस्थापित पूर्णिया विश्वविद्यालय में वह पहले कुलपति के रूप में पदस्थापित हुए थे। इस दौरान काफी कुछ करने का मौका मिला। सीमांचल का पिछड़ा इलाका होने के कारण यहां सबसे पहले विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्यों को साकार करना था। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली। शैक्षणिक क्षेत्र में सुधार की बात हो या अनुसंधान-खेलकूद समेत अन्य गतिविधियों को विश्वविद्यालय स्तर पर गति प्रदान करने की कोशिश, काफी काम हुआ है। पूर्णिया विश्वविद्यालय की स्थापना 18 मार्च, 2018 में हुई थी। राजभवन के आदेश पर वह 20 मार्च, 2018 को पूर्णिया पहुंचे। उस समय तक यहां विश्वविद्यालय से संबंधित कुछ भी नहीं था। इसलिए पहुंचने के बाद उन्होंने विश्वविद्यालय की संरचना खड़ी करवाने के साथ ही काम-काज को आगे बढ़ाया। नया विश्वविद्यालय होने के कारण यहां संसाधन के नाम पर कुछ भी नहीं था। बावजूद, सत्र को नियमित रखने की दिशा में कई कदम उठाए गए। सर्वप्रथम, विश्वविद्यालय में पीजी में नामांकन शुरू किया गया। इसके बाद स्नातक प्रथम खंड व अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में भी नामांकन लिया गया। बताया कि एक कुलपति के रूप में उन्हें काफी कुछ समझने-सीखने का मौका मिला। पूर्णिया के लोग काफी सरल एवं सुलझे विचारों के हैं। काम करने के दौरान उनका काफी स्नेह मिला। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां काफी संभावनाएं हैं। यहां के छात्र काफी मेधावी और ऊर्जावान हैं। इन्हें सही दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूर्णिया में उनका ढाई साल का कार्यकाल रहा है। इसके लिए उन्होंने विस्तृत कार्ययोजना बनाई थी। शैक्षणिक उंचाई के साथ-साथ विश्वविद्यालय की संरचना को भी आकार देना था। उन्होंने बताया कि पूर्णिया विश्वविद्यालय हमेशा उनके लिए मानक रहेगा।
BHU में लंबे समय तक दी हैं सेवाएं
प्रो राजेश सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली में छह वर्ष वैज्ञानिक के रूप में काम कर चुके हैं। बीएचयू में भी लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी हैं। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के कई कार्यक्रमों में शिरकत करने आ चुके हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा हरियाणा के हिसार से हुई है। एमएससी जेनेटिक्स करने के बाद बतौर वैज्ञानिक उन्होंने हैदराबाद से अपने करियर की शुरुआत की थी। वे गोविन्द बल्लभ पंत विवि पंतनगर में असिस्टेंट प्रोफेसर बने। वह आईसीएआर के दो संस्थानों में वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे। 2006 में उन्होंने बीएचयू में बतौर प्रोफेसर पदभार ग्रहण किया था। बीएचयू में डीन, हेड ऑफ डिपार्टमेंट सहित विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे हैं। उनके निर्देशन में 60 से अधिक शोधार्थी शोध कर चुके हैं।