अनूठी पहल: कोसी क्षेत्र में शादी कार्ड के माध्यम से थैलीसीमिया के प्रति जागरूकता, तेजी से लोग आ रहे चपेट में
थैलीसीमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बिहार में अनूठी पहल की गई है। शादी के कार्ड के जरिए लोग इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं। कोसी क्षेत्र में कई लोगों इस तरह की पहल का हिस्सा बन चुके हैं।
संस, सहरसा। लगातार बढ़ रहे थैलीसीमिया के मरीज की संख्या को काबू पाने के लिए अब कोसी क्षेत्र के लोग जागरूक होने लगे हैं। अब शादी के कार्ड में शादी से पहले या संतान होने से पहले पति-पत्नी को थैलीसीमिया की एचबीए टू जांच कराने की अपील की जा रही है। रक्तदाताओं की पहल पर आमलोगों को जागरूक करने के लिए यह अनोखा प्रयोग शुरू हुआ है। इस अभियान में लगे लोगों का मानना है कि लोगों के जागरूक होने और समयपूर्व जांच करवाने से थैलीसीमिया के मरीजों की संख्या में काबू पाया जा सकता है और रक्त की कमी के कारण बच्चों की मौत को रोका जा सकता है।
डा. रंजेश कुमार सिंह कहते हैं कि थैलीसीमिया बच्चों को उनके माता- पिता से मिलनेवाला अनुवांशिक रक्त रोग है। इसकी पहचान बच्चे के जन्म के तीन माह बाद हो पाता है। इस मरीज के शरीर में नए रक्तकोशिका का निर्माण नहीं होता। मरीज को खून की कमी के कारण बुखार होने लगता है, भूख नहीं लगता, शरीर अत्यधिक कमजोर होने लगता है। इसके लिए उसे हर 15 दिन पर रक्त की आवश्यकता होती है। बिहार राज्य रक्ताधन परिषद द्वारा सरकारी और निजी रक्त केंद्र को थैलीसीमिया मरीजों को तत्काल रक्त उपलब्ध कराने का आदेश है। बावजूद इसके मरीजों के अभिभावकों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रक्तदान जागरूकता सेवा समिति द्वारा इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को शादी व अन्य मौके पर आमंत्रण पत्र के जरिए भी लोगों को इसके लिए जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। सेवा समिति के संस्थापक गणेश कुमार भगत कहते हैं कि उन्होंने अपनी 31 वर्ष की आयु में लोगों की जान बचाने के लिए 32 बार रक्तदान किया। इससे कई थैलीसीमिया मरीजों को भी बचाया गया है, परंतु यह समस्या का समाधान नहीं है।
खासकर समय पर जांच कर थैलीसीमिया के रोगियों की संख्या नियंत्रित की जा सकती है। कहा कि जस प्रकार शादी के पहले कुंडली मिलान किया जाता है, उसी प्रकार विवाह से पूर्व लड़का- लड़की को एचबीए टू जांच करवाना चाहिए। जहां जांच में दोनों का रिपोर्ट मेजर पाया जाता है, तो इस प्रकार की शादी को रोकना चाहिए। इससे थैलीसीमिया मरीजों की बढ़ती संख्या को रोका जा सकता है। इसके लिए समिति के सदस्यों द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है।