अल्ट्रासोनिक ध्वनि रोकेगी हाथियों का उत्पात
नेपाल के जंगलों से आकर किशनगंज,अररिया, सुपौल समेत कोसी-सीमांचल इलाकों में हाथी उत्पात मचाते रहते हैं।
(अमितेष)किशनगंज। नेपाल के जंगलों से आकर किशनगंज,अररिया, सुपौल समेत कोसी-सीमांचल इलाकों में हाथी उत्पात मचाते रहते हैं। इसे रोकने की तैयारी में वन विभाग जुट गया है। इसके लिए जागरूकता अभियान में तेजी लाने के अलावा अन्य काम भी किए जा रहे हैं। हाथियों को रोकने के लिए अल्ट्रासोनिक ध्वनि का प्रयोग करने पर भी विचार किया जा रहा है।
दरअसल, केरल के इडुकी जिले व आसपास के इलाकों में पेरियार सेंचुरी के हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए अल्ट्रासोनिक ध्वनि का सहारा लिया जा रहा है। इसके अलावा वहां एक खास तरह की स्प्रे का छिड़काव किया जाता है। कोसी-सीमांचल इलाके में भी इन दोनों उपायों को अपनाने की योजना पर विचार चल रहा है। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अल्ट्रासोनिक ध्वनि का एक सिस्टम व उपकरण लगभग 50-60 हजार रुपये का आता है। ये उपकरण एक नियमित दूरी पर हाथियों के प्रवेश करने के रास्ते में लगाए जाते हैं। यह ध्वनि मनुष्य को सुनाई नहीं देती, लेकिन हाथियों को खासा प्रभावित करती है। दक्षिण भारत में चल रहे प्रयोग की सफलता दर को देखने के बाद इसे अपनाने की दिशा में विचार किया जाएगा। यद्यपि, वन विभाग अपने पारंपरिक तौर-तरीकों को ज्यादा प्रभावी बताते हुए अलाव जलाकर अथवा आग का लुक्का बनाकर हाथियों को भगाने की अपील कर रहा है। हाल के वर्षो में नेपाल के जंगलों से कोसी-सीमांचल पहुंचे हाथियों के झुंड के कारण बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है। इन इलाकों में पिछले तीन वर्षो में तीन मौतें हो चुकी हैं। इसके अलावा हर साल सैकड़ों एकड़ फसल नष्ट हो चुकी है। हाथी घरों को भी नष्ट कर रहे हैं।
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हाथियों के उत्पात से सीमावर्ती ग्रामीणों को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा केरल समेत दक्षिण भारतीय इलाकों में किए जा रहे प्रयोगों पर भी अध्ययन जारी है। अल्ट्रासोनिक ध्वनि व अन्य तरह के प्रयोगों की सफलता दर का आंकलन कर निर्णय लिया जाएगा।
- डीके दास
डीएफओ, अररिया