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वेतन भुगतान की मांग लेकर अनशन पर बैठे दो शिक्षक की बिगड़ी तबीयत, कई और बीमार

जमुई में वेतन भुगतान की मांग को लेकर शिक्षा भवन के समक्ष चार दिन से अनशन पर शिक्षक बैठे हैं। दो शिक्षकों की तबीयत शुक्रवार को बिगड़ गई। शिक्षकों ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। सरकार शिक्षकों के साथ भेदभाव कर रही है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 05:57 PM (IST)
वेतन भुगतान की मांग लेकर अनशन पर बैठे दो शिक्षक की बिगड़ी तबीयत, कई और बीमार
पेट दर्द, बुखार, उल्टी की शिकायत के बाद चिकित्सक ने जांच की।

जागरण संवाददाता, जमुई। वेतन भुगतान की मांग को लेकर शिक्षा भवन के समक्ष चार दिन से अनशन पर बैठे शिक्षकों में से दो शिक्षक की तबीयत शुक्रवार को बिगड़ गई है। पेट दर्द, बुखार, उल्टी की शिकायत के बाद चिकित्सक ने जांच की। सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ नागेंद्र ने दोनों शिक्षकों का स्वास्थ्य परीक्षण कर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी। जिसे अनशनकारी शिक्षकों ने नकार दिया। बाद में चिकित्सक ने दोनों को अनशन स्थल पर ही दवाई दी। इस दौरान कई और शिक्षकों ने भी तबीयत खराब होने की बात बताई । चिकित्सक ने बारी-बारी से सभी के स्वास्थ्य की जांच किया। बीमार हुए शिक्षक अमित कुमार और सुनील कुमार ने बताया कि विभाग संवेदनहीन बना है। हमलोग मर जाएंगे लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। पिछले डेढ़ साल से हमलोग वेतन भुगतान करने की मांग कर रहे हैं। हमारे घर की माली हालत खराब है। हमलोग पैसे-पैसे के मोहताज हो गए हैं। किंतु विभाग बहरी बनी है।  विभाग ने हमें नियुक्त किया था। पांच साल वेतन मिला। सितंबर 19 में  जिला स्तर से वेतन बंद कर दिया गया। बिहार में सिर्फ जमुई में यह कार्रवाई की गई है। अब वेतन लेंगे या फिर शिक्षा भवन के दहलीज पर प्राण त्याग देंगे। इधर, चिकित्सक ने बताया कि भूखे रहने के कारण तबीयत खराब हो रही है। फिलहाल इंजेक्शन दिया गया है। यहां बता दें कि 31 मार्च 2015 के बाद नियुक्त हुए शिक्षकों को विभाग द्वारा वेतन बंद किया गया था। इस निर्णय से जिले के 202 शिक्षक प्रभावित हुए हैं।

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कोटपा कानून का बीड़ी मजदूरों ने किया विरोध

झाझा प्रखंड के महापुर पंचायत में  शुक्रवार को बीड़ी मजदूर सभा एवं हिंदू मजदूर सभा की बैठक पीएन सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में केंद्र सरकार के कोटपा कानून का विरोध किया गया। श्रमिकों ने कहा कि अगर सरकार ऐसे कानून बीड़ी पर लागू करती है तो बीड़ी की खपत कम हो जाएगी। यह क्षेत्र अति पिछड़ा एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। यहां पर किसी प्रकार का रोजगार नहीं है। विगत 15-20 सालों के दौरान सरकार द्वारा किसी प्रकार का कल-कारखाना इलाके में नहीं खोला गया। जिससे मजदूरों को रोजगार मिल पाए। सरकार ऐसे कानून को लाकर कुटीर उद्योग बीड़ी को भी बंद करने की साजिश रच रही है। ऐसे कठोर कानून बीड़ी पर लागू नहीं किया जाए अन्यथा मजदूर भूख हड़ताल, धरना-प्रदर्शन तथा आमरण - अनशन एवं रोड जाम करने को बाध्य होंगे। इस अवसर पर सुरजी देवी, शांति देवी, अर्चना देवी, तेतरी देवी, चिंता देवी, सरिता देवी, मंजू देवी सहित बड़ी संख्या में बीडी़ मजदूर उपस्थित थे।


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