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अश्वगंधा की खेती करेंगे बिहार के दो किसान

कोरोना महामारी के बाद अचानक अश्वगंधा की माग बढ़ गई है। हालाकि बिहार में इसका उत्पादन शून्य है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 06:36 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 06:36 AM (IST)
अश्वगंधा की खेती करेंगे बिहार के दो किसान
अश्वगंधा की खेती करेंगे बिहार के दो किसान

भागलपुर। कोरोना महामारी के बाद अचानक अश्वगंधा की माग बढ़ गई है। हालाकि, बिहार में इसका उत्पादन शून्य है। अब बिहार के दो किसानों ने पहली बार अश्वगंधा की खेती करने की पहल शुरू की है। इनमें एक भागलपुर और दूसरे बेगूसराय के किसान हैं। सरकार भागलपुर से बक्सर के बीच औषधीय कॉरीडोर बनाने जा रही है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने भी इस ओर पहल शुरू कर दी है।

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दोनों किसान विवि की निगरानी में खेती करेंगे। विश्वविद्यालय ने इनके उत्पादन को बाजार दिलाने की भी गारंटी ली है। साथ ही इन दोनों किसानों को अन्य किसानों को इस ओर प्रेरित करने का टास्क दिया है। विदेश में अश्वगंधा की माग सात हजार टन प्रति वर्ष है। भारत में इसका 1600 टन ही उत्पादन होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों के उत्पादन पर पड़ रहे प्रभाव के मद्देनजर अश्वगंधा की आसानी से खेती की जा सकेगी। भागलपुर में नाथनगर (परबत्ती) निवासी किसान मुहम्मद तबरेज ने 30 कट्ठा जमीन पर अश्वगंधा की खेती करने की तैयारी की है। उन्होंने बीज भी मंगवा लिए हैं। तबरेज कहते हैं विश्वविद्यालय की मदद से उन्होंने खेत तैयार कर लिया है। यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो अगली बार बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ बेगूसराय जिले के किसान शैलेंद्र चौधरी पाच एकड़ जमीन में अश्वगंधा की खेती करने जा रहे हैं। उन्होंने भी बीज मंगा लिए हैं। दोनों किसानों के सामने आने से विश्वविद्यालय भी उत्साहित है। एक हेक्टेयर की खेती में 30 हजार लागत

बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने का कहना है कि खेती की तैयारी से लेकर बीज और फसल तैयार होने तक एक हेक्टेयर में तकरीबन 30 हजार खर्च होगा जबकि शुद्ध लाभ सवा लाख रुपये से ज्यादा होगा। उधर, पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर के विज्ञानी डॉ. एसएन दास कहते हैं कि उत्पादित अश्वगंधा के बाजार की विस्तृत जानकारी किसानों को दी जा रही है। किसान इसके खरीदारों से सीधी बात भी कर रहे हैं।

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अश्वगंधा की खेती की बिहार में काफी संभावना है। विवि किसानों को जागरूक और प्रेरित कर रहा है। इसकी काफी माग है। इसकी खेती से किसानों की आय दोगुनी से भी ज्यादा होगी। साथ ही कोरोना के दौर में आसानी से इसे अपनाकर लोग इम्युनिटी बढ़ा सकेंगे।

- डॉ. अजय कुमार सिंह

कुलपति, बीएयू, सबौर


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