मालदा मंडल की ट्रेनें चूने और पटाखों के भरोसे
एक ओर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की कवायद चल रही है वहीं दूसरी ओर वक्त से पीछे चल रहे मालदा रेल मंडल में आज भी जाड़े के मौसम में चूने और पटाखों का ही आसरा है।
भागलपुर। एक ओर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की कवायद चल रही है, वहीं दूसरी ओर वक्त से पीछे चल रहे मालदा रेल मंडल में आज भी जाड़े के मौसम में चूने और पटाखों का ही आसरा है।
दरअसल, यहां की किसी भी ट्रेन में फॉग डिवाइस सिग्नल नहीं है। ठंड में घने कोहरे को देखते हुए रेल मंत्रालय ने ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए वर्ष 2017 में ही महत्वपूर्ण ट्रेनों में फॉग डिवाइस लगाने की बात कही थी। इसके लिए सभी जोन और रेल मंडलों को निर्देश भी जारी किया गया था, लेकिन दो साल बाद भी यहां की ट्रेनों में यह डिवाइस नहीं लगाई जा सकी है।
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दूसरे मंडलों में फॉग डिवाइस से चलती हैं ट्रेनें
नॉर्थन रेलवे, इलाहाबाद मंडल, लखनऊ रेल मंडल, दानापुर रेल मंडल, मुगलसराय रेल मंडल, वाराणसी रेल मंडल हावड़ा रेल मंडल, नॉर्थ फ्रंटिरयर रेल, हावड़ा मंडल, खड़गपुर मंडल से चलने वाली ट्रेनों में फॉग डिवाइस सिस्टम से ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है।
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क्या है फॉग डिवाइस
फॉग सेफ डिवाइस एक कंप्यूटरीकृत यंत्र है। इसका डिसप्ले लोको पायलट के पास लगा रहता है। यह डिवाइस सिग्नल और समपार फाटक के 500 मीटर पहले ही चालक को सूचना दे देती है। इससे चालक सतर्क हो जाते हैं और दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है।
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कोहरे की वजह से नहीं दिखाई देता है सिग्नल
कोहरे की वजह से लोको पायलट को कभी-कभी सिग्नल दिखाई नहीं देता है, इसलिए गेटमैन पटाखा छोड़कर लोको पायलट को परिचालन संबंधित निर्देश देते हैं। ट्रैक पर चूना डालने से रोशनी में चमकता है, जिससे पता लग जाता है कि आगे सिग्नल है। रेल अधिकारी ने बताया कि कोहरा होने पर आउटर सिग्नल पर पटाखे लगाए जाएंगे। पटाखा छूटते ही लोको पायलट को होम सिग्नल का आभास हो जाएगा और वे ट्रेन की गति कम कर देंगे।
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बरती जा रही विशेष चौकसी
संभावित कोहरे को देखते हुए सिग्नल ओवरशूट की घटनाएं न हों, इसके लिए विशेष चौकसी बरती जा रही है। ट्रेन चालकों को भी पर्याप्त आराम देने का आदेश दिया गया है। संरक्षा से जुड़े हर बिंदु पर काम किया जा रहा है।
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ज्यादा कोहरा होने पर फॉग डिवाइस लगाई जाती है। इससे कोहरे में ट्रेनों के सुरक्षित और सुगमता से परिचालन में मदद मिलती है। मालदा मंडल की ट्रेनों में यह सिस्टम लगाने की प्रक्रिया चल रही है।
-निखिल चक्रवर्ती, सीपीआरओ, पूर्व रेलवे।