घर-घर शौचालय, फिर भी खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे लोग, स्वच्छता पर सवाल
स्वच्छ भारत स्वस्थ्य भारत की योजना के तहत केंद्र सरकार ने खुले में शौच को रोकने के लिए घर-घर शौचालय बनवाने का काम किया। ताकि लोग गंदगी न फैलाने को लेकर सजग हो सके। क्योंकि गंदगी ही हर तरह की बीमारियों को जन्म देता है।
जागरण संवाददाता, सुपौल । 12 पंचायतों वाले सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए घर-घर शौचालय बनाए गए लेकिन अभी भी लोग खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे हैं। यानी सरकारी स्तर पर घर-घर शौचालय का निर्माण करा दिया गया। इसके लिए राशि खर्च करने के बाद भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं जिससे सरकार का स्वच्छ भारत का सपना साकार होता नहीं दिख रहा है। लोग अगर अपने आदत से बाज नहीं आए तो खुद गंदगी से बीमार पड़ेंगे और पास पड़ोस के लोगों को भी बीमार बनाएंगे। खुले में शौच को बंद करने के लिए सामाजिक पहल की भी जरूरत है।
19 हजार 664 शौचालय बनाने का काम हुआ पूरा
प्रखंड कार्यालय से मिले आंकड़े के अनुसार छिटही हनुमाननगर पंचायत में 2574, लौकहा में 1737, शाहपुर-पृथ्वीपट्टी में 1853, झिल्ला-डुमरी में 2393, पिपरा, खुर्द में 1857, भपटियाही पंचायत में 1769, मुरली पंचायत में 1440, चांदपीपर पंचायत में 1133, लालगंज में 1650, सरायगढ़ में 2003, ढोली में 460 तथा बनैनिया में 796 शौचालय बनाए गए।
मॉर्निंग फालोअप हुआ बंद, पुरानी आदतों पर लौट चले लोग
पहले सुबह-सुबह गांव में अधिकारी तथा सरकारी कर्मी जाकर लोगों को खुले में शौच से रोकने का प्रयास करते थे। इसके लिए कई बार खुले में शौच जाने वाले लोगों के गले में माला या फिर फूल भी डाला गया। कुछ जगहों पर अधिकारी हाथ जोड़कर भी लोगों से ऐसा न करने का विनती करते दिखाई दिए थे लेकिन फिर धीरे-धीरे मॉर्निंग फॉलोअप कार्यक्रम बंद हो गया और लोग अपनी पुरानी आदत पर चल पड़े।
ऐसे लोगों को चिन्हित कर हो कार्रवाई
स्थानीय प्रबुद्ध लोगों की माने तो खुले में शौच जाने वाले लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोग ऐसा करने से लोग अपने आप को रोक सके। कुछ लोगों का कहना है कि जिन-जिन परिवार के लोग खुले में शौच जाते हैं और उनके घर शौचालय भी बना हुआ है तो उनकी सरकारी सुविधा रोक देनी चाहिए।