गंगा को बचाने के लिए शव के दाह संस्कार में बंटा रहे हैं हाथ
संस्कार के लिए जरूरत की सामग्री और लकड़ियां निशुल्क मुहैया करते हैं।
(त्रिभुवन चौधरी) मुंगेर । गंगा में अधजले शव को प्रवाहित होते लोग अक्सर देखते हैं। लेकिन, इस छोटी सी घटना ने हेमजापुर पंचायत के लगमा गांव निवासी और पूर्व मुखिया सुरेश प्रसाद सिंह की जिदगी ही बदल दी है। अब वे गरीब परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर उसके दाह संस्कार के लिए जरूरत की सामग्री और लकड़ियां निशुल्क मुहैया करते हैं। उनके इस कार्य की जमकर सरहना हो रही है। अब हेमजापुर पंचायत में किसी परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लोग भागे भागे सुरेश के घर पहुंचते हैं। जहां उन्हें मुफ्त में शवदाह के लिए लकड़ियां दी जाती है।
पूर्व मुखिया ने बताया कि एक दिन मैं गंगा किनारे खड़ा हुआ था। मैंने देखा कि एक अधजला शव गंगा में प्रवाहित हो रहा है। यह देख मन विचलित हो गया। मैंने सोचा कि जब तक गंगा में अधजला शव प्रवाहित होने से नहीं रोका जाएगा, तब तक गंगा निर्मल नहीं होगी। इसके बाद मैंने अधजले शव को गंगा में प्रवाहित होने से रोकने के लिए गरीब परिवार के शवों के संस्कार में मदद करने की योजना बनाई। अब यह मेरे दिनचर्या का हिस्सा बन गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि हेमजापुर पंचायत के चांद टोला गांव निवासी गरीब रूदल महतो ठेले पर सब्जी बेचकर अपने परिवार की जीविका चलाते हैं। बीमारी के कारण उनके भाई की मौत हो गई। रूदल दौड़े- दौड़े मुखिया के घर गया। वहां आपबीती सुनाई। उन्हें तत्काल शवदाह के लिए सामग्री और लकड़ियां उपलब्ध करा दी गई। तीत्तू महतो, जॉनी भाई, अरूण कुमार आदि ने कहा कि गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के इस छोटे से प्रयास का अनुकरण यदि गंगा किनारे के सभी पंचायत में किया जाएगा, तो गंगा में कभी भी अधजला शव दिखाई नहीं देगा।