TNB : प्राचार्य पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाने वाले ही पड़ गए अलग-थलग
टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाकर पूर्व प्रशाखा पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार झा अलग-थलग पड़ गए हैं। प्राचार्य ने एक बार फिर अमरेंद्र झा से शोकॉज किया है।
भागलपुर (जेएनएन)। टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाकर पूर्व प्रशाखा पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार झा अलग-थलग पड़ गए हैं। प्राचार्य संजय कुमार चौधरी ने एक बार फिर अमरेंद्र झा से शोकॉज किया है। साथ ही जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है।
इधर, टीएनबी कॉलेज प्रयोग प्रदर्शक संघ ने मामले को लेकर बैठक की। संयोजक कुमार आशुतोष की अध्यक्षता में हुई बैठक में अमरेंद्र झा द्वारा प्राचार्य पर लगाए गए वित्तीय अनियमितता पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में कहा गया कि अमरेंद्र झा द्वारा जो वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया है वह असत्य, तथ्यों से परे, काल्पनिक और दिग्भ्रमित करने वाली है। संघ ने झा के आरोप की भ्रत्र्सना करते हुए कहा है कि उनका आचरण पूर्व से ही विवादस्पद रहा है। इसके पूर्व वे कई बार निलंबित हो चुके हैं और उनका स्थानांतरण मुख्यालय से बाहर हो चुका है। उनके बयान से कॉलेज की प्रतिष्ठा धुमिल हुई है।
अगर ऐसे बयान से झा बाज नहीं आते हैं तो कॉलेज और विवि प्रशासन संज्ञान में लेकर विधि सम्मत कार्रवाई करे। पूर्व में भी संघ द्वारा अमरेंद्र झा पर अशिष्टता का आरोप लगाकर कॉलेज से स्थानांतरण करने की मांग कर चुकी है। वहीं टीएनबी कॉलेज कर्मचारी संघ क के सचिव नवनीत कुमार झा और ख के सचिव विजय मंडल ने अमरेंद्र झा का स्थानांतरण दूसरे कॉलेज में करने की मांग की है। साथ ही क्वार्टर खाली कराने की मांग प्राचार्य से की है। संघ ने अमरेंद्र झा की सदस्यता को भी समाप्त कर दी है। संघ का कहना है कि झा के बयान से कॉलेज की प्रतिष्ठा धुमिल हुई है।
मालूम हो कि प्राचार्य ने अमरेंद्र झा का प्रशाखा पदाधिकारी से हटाकर भौतिकी विभाग स्थानांतरित कर दिया है। इसके विरोध में अमरेंद्र कुमार झा ने कॉलेज के प्राचार्य वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसकी जांच की मांग तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव से की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बगैर विवि के अनुमोदन के प्राचार्य आवास की मरम्मत, रंग-रोगन, विद्युतीकरण और ग्रील लगाने पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। प्राचार्य आवास पर रहते हुए दस फीसद मकान भत्ता ले रहे हैं। प्रतिमाह दो हजार रुपये प्राचार्य भत्ता की जगह तीन हजार रुपये ले रहे हैं।
एसीपी-एमसीपी एरियर के नाम पर कर्मियों को कॉलेज के एकाउंट 50 लाख से अधिक की राशि का भुगतान किए हैं। मनमाने ढंग से टीए का भुगतान ले रहे हैं। टेलीफोन, मोबाइल और मॉडम के नाम पर मनमाना खर्च कर रहे हैं। ऑफिस और आवास के नाम पर मनमाना कंटनजेंसी, 12 सौ से 15 सौ विशेष भत्ता, सिविल वर्क के नाम पर मनमाना भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि प्राचार्य के गलत कार्यों में सहयोग नहीं करने के कारण ही प्रशाखा पदाधिकारी के पद से उन्हें हटाया गया है।