टीएमबीयू वीसी का फर्जी इमेल बना कई शिक्षकों को मैसेज
साइबर ठग लगातार लोगों को निशाना बना रहे हैं। आम हो या खास ठग थोड़ी सी लापरवा
भागलपुर। साइबर ठग लगातार लोगों को निशाना बना रहे हैं। आम हो या खास, ठग थोड़ी सी लापरवाही पर उन्हें अपना आसानी से शिकार बना लेते हैं। इसके लिए वे अलग-अलग तरीका अख्तियार करते हैं। ताजा मामला तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता से जुड़ा है। साइबर ठगों ने उनकी फर्जी इमेल आइडी तैयार कर टीएमबीयू के कई शिक्षकों को मैसेज भेजा है, जिसमें शिक्षकों से ई कामर्स साइट गिफ्ट कार्ड खरीदकर उन्हें भेजने का आग्रह किया गया है। इस मामले में कुलपति ने प्राक्टर डा. रतन मंडल को अज्ञात साइबर ठगों के विरुद्ध केस दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
टीएमबीयू के पीआरओ डा. दीपक कुमार दिनकर ने बताया कि प्राक्टर इस मामले में केस दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय चौकी में अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध केस दर्ज किया जाएगा। वहीं, कुलपति ने अपने जानने वालों समेत अपने कर्मियों से अपील की है कि वे ऐसे किसी भी ईमेल पर ध्यान न दें। उन्हें ऐसी कोई जरूरत नहीं है।
बताया खुद को मीटिंग में व्यस्त
साइबर ठगों ने कुलपति के रूप में अंग्रेजी में लिखे मैसेज में कहा है कि वे किसी जरूरी मीटिंग में व्यस्त हैं। उन्हें अमेजन गिफ्ट कार्ड किन्हीं को भेजना। एक घंटे में कार्ड की जरूरत है। आग्रह करते हुए लिखा है कि यदि वे कार्ड खरीदकर भेज देंगे तो शाम में वे जितने रुपये लगेंगे, उसे वे लौटा देंगी। साथ ही कहा कि यदि वे इसके लिए तैयार होंगे तो वो आगे की डिटेल भेजेंगी, ताकि अमेजन कार्ड उन्हें मिल सके। कुलपति का मैसेज बाटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सीबी सिंह, फिलास्फी विभाग के विभागाध्यक्ष और पीजी पालिटिकल साइंस की एक शिक्षिका को मिला।
पहले के दो प्रभारी कुलपति का भी फर्जी आइडी बना चुके हैं ठग
जासं, भागलपुर : साइबर ठगों ने वर्तमान कुलपति को ही नहीं इसके पहले दो पूर्व प्रभारी कुलपतियों का भी फर्जी इमेल आइडी बनाकर शिक्षकों को मैसेज किया था। उनसे भी इसी तरह गिफ्ट कार्ड की मांग की गई थी। एक जून 2020 को सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह टीएमबीयू के भी प्रभारी कुलपति थे। उनके फर्जी ईमेल आइडी से कई शिक्षकों को मैसेज भेजा गया था। इसके अलावा 13 जनवरी 2021 को पूर्व प्रभारी कुलपति डा. संजय कुमार चौधरी का भी फर्जी आइडी बनाकर कई लोगों को मैसेज किया गया था। दोनों ही मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन ने केस दर्ज कराया, किंतु मामल में अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।