तिमांविवि में कई फाइलें डंप, कुलपति की परेशानी बढ़ी
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलसचिव, वित्त परामर्शी और वित्त पदाधिकारी के बदल जाने के बाद भी काम में तेजी नहीं आ पा रही है।
भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलसचिव, वित्त परामर्शी और वित्त पदाधिकारी के बदल जाने के बाद भी काम में तेजी नहीं आ पा रही है। सैकड़ों फाइलें अधिकारियों के टेबल या फिर कार्यालय में धूल फांक रही हैं। हालांकि रविवार और सोमवार को छुट्टी के दिन कुलसचिव कर्नल अरुण कुमार सिंह ने कई फाइलों का निपटारा किया है। लेकिन मंगलवार को विवि के काम से वे पटना चले गए और बुधवार को आएंगे। कुलसचिव ने जिस फाइलों को निपटाया है, उसमें से अधिकतर फाइल वित्त परामर्शी के पास जाएगा, जहां पहले से साढ़े तीन सौ के करीब फाइल डंप हैं। फाइलों के कुलपति तक नहीं पहुंचने के कारण विवि का कामकाज लगभग ठहर गया है। विवि द्वारा समय पर कागजी कार्रवाई नहीं करने के कारण कई रिटायर्ड लोग कोर्ट की शरण में जा चुके हैं या फिर जाने की फिराक में है।
विवि में हाल के दिनों में कुलसचिव, वित्त पदाधिकारी और वित्त परामर्शी भले ही बदल गए, लेकिन कार्य की रफ्तार वही है, जो पिछले अधिकारियों के कार्यकाल में थी। क्लर्क के पास से जो फाइल निकलती है, वह कुलसचिव, वित्त परामर्शी और वित्त पदाधिकारी के यहां जाकर डंप हो जाती है। इसका प्रमुख कारण है, अधिकारियों का मुख्यालय में नहीं रहना। कुलसचिव को बार-बार विवि के काम से पटना जाना पड़ रहा है। उन्हें कभी कोर्ट के काम से पटना जाना पड़ता है तो कभी राजभवन की बुलाहट पर जाना पड़ता है। पद संभालने के बाद वे कई दिनों तक छुट्टी पर भी रहे हैं। इस कारण उनके कार्यालय लगभग एक हजार फाइल पेंडिंग है। हालांकि कुलसचिव कार्यालय के कर्मी का कहना है कि कामकाज समझने में समय लगने के कारण फाइल का निपटारा नहीं हो पा रहा है। धीरे-धीरे वे कामकाज को समझ रहे हैं। छुट्टी के दिन रविवार और सोमवार को कुलसचिव कार्यालय में बैठकर दो सौ से अधिक फाइलों का निपटारा किया है। वहीं वित्त परामर्शी के यहां पहले से ही लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक फाइलें जमा है। कुलसचिव के कार्यालय से और भी फाइलें वहां भेजी गई है। कहा जा रहा है कि पदभार संभालने के बाद से वित्त परामर्शी लगभग एक माह तक छुट्टी में रहे हैं। वित्त पदाधिकारी भी काफी दिनों तक छुट्टी में रहे हैं। इस कारण विवि के कामकाज पर व्यापक असर पड़ा है। सबसे अधिक परेशानी वित्तीय कार्य को लेकर हो रही है। कुलपति कार्यालय तक फाइल पहुंच ही नहीं पा रहा है।