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मिनी कोलकता के नाम से मशहूर कोसी का यह इलाका आज बहा रहा अपनी बदहाली पर आंसू

कोसी नदी के भीषण कटाव में वह सब विलीन हो गया और हजारों लोग बेरोजगार हो गए। तब से अब तक भपटियाही बाजार क्षेत्र में उद्योग लगाने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। यदि उस क्षेत्र में दोबारा उद्योग लगाया जाता तो आज पूरा इलाका संपन्न होता।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 06:27 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 06:27 PM (IST)
मिनी कोलकता के नाम से मशहूर कोसी का यह इलाका आज बहा रहा अपनी बदहाली पर आंसू
भपटियाही बाजार में अधूरा पडा नाला का काम

सुपौल, जेएनएन। सुपौल जिले के उत्तरी तथा पश्चिमी छोर पर अवस्थित भपटियाही बाजार में पहले लोहिया फैक्ट्री, जूट कारखाना और चावल मिल हुआ करता था। एक साथ तीन-तीन कारखाना होने के कारण भपटियाही को छोटी कोलकाता के नाम से जाना जाता था। उस समय भपटियाही में बने कई सामान दूर-दूर तक भेजे जाते थे और यहां के लोगों को आसानी से रोजगार उपलब्ध था।

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बाद में कोसी नदी के भीषण कटाव में वह सब विलीन हो गया और हजारों लोग बेरोजगार हो गए। तब से अब तक भपटियाही बाजार क्षेत्र में उद्योग लगाने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। यदि उस क्षेत्र में दोबारा उद्योग लगाया जाता तो आज पूरा इलाका संपन्न होता। रोजगार के अभाव में कोसी के इलाके के लोग पलायन करते रहते हैं। बाजार सहित आसपास के लोगों ने कई बार कोसी नदी के कटाव से विलीन हुए फैक्ट्रियों की जगह दोबारा उद्योग लगाने की मांग की लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हुआ। अब जबकि विधानसभा चुनाव सामने है तो लोग फिर से उद्योग की बात करने लगे हैं।

भपटियाही बाजार के व्यवसायी नारायण रजक कहते हैं कि कोसी नदी के ऊपर से अब नेशनल हाईवे तथा रेल भी गुजरने लगी है। ऐसे में यदि इस इलाके में दोबारा उद्योग की स्थापना होती है तो लोगों को रोजगार संभव होगा। उससे लोगों का पलायन भी रुकेगा और क्षेत्र के विकास में गति आएगी। बाजार के फूदन प्रसाद साह कहते हैं कि भपटियाही में चावल मिल, जूट उद्योग तथा लोहिया फैक्ट्री की दोबारा स्थापना होनी चाहिए। ईस्ट-वेस्ट-कॉरिडोर के बगल में अवस्थित भपटियाही बाजार तीनों उद्योग लगने से मिथिलांचल का क्षेत्र काफी समृद्ध बन जाएगा। बाजार के राम बाबू साह कहते हैं कि अंग्रेज के जमाने में जब भपटियाही बाजार में उद्योग चल रहा था तब वह इलाका देश के अधिकांश जगहों से जुड़ा हुआ था और विदेश के लोग भी वहां आते-जाते थे। इससे क्षेत्र का विकास होता था। बाजार के अरुण महतो कहते हैं कि जब भपटियाही क्षेत्र में उद्योग-धंधा चल रहा था तब बाहर लोग यहां आकर रोजगार पाते थे। आज हालात यह है कि यहीं के लोग रोजगार के लिए बाहर भटकते हैं। बाजार के ही रामानंद ठाकुर, तारकेश्वर भगत, सुशील कुमार मोदी, मुकीम खान आदि भी उद्योगों की स्थापना के पक्षधर हैं।


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