नैनो यूरिया से होगी धान की बंपर पैदावार, 15 हजार पीस की पहली खेप पहुंची भागलपुर, जानिए कीमत
नैनो यूरिया से अब धान की बंपर पैदावार होगी। 15 हजार पीस की पहली खेप भागलपुर पहुंच गई है। इसकी कीमत भी अधिक नहीं है। एक बोतल नैनो यूरिया में 40 हजार पीपीएम नाइट्रोजन होती है। इससे किसानों को...!
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नैनो यूरिया की पहली खेप भागलपुर पहुंच गई है। पहले खेप में पांच सौ एमएल का 15 हजार पीस आया है। इफको कंपनी का नैनो यूरिया सभी प्रखंड में संबंधित खाद विक्रेताओं को उपलब्ध कराया गया है। 500 मिली लीटर के एक बोतल नैनो यूरिया की कीमत मात्र 240 रुपये है। एक बोतल नैनो यूरिया में 40 हजार पीपीएम नाइट्रोजन होती है। यह सामान्य एक बोरी यूरिया के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगी। नैनो यूरिया के छिड़काव से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलेगी। यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी और पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगेगा। मिट्टी के स्वास्थ्य व पौधों की बीमारी व कीट का खतरा नहीं होगा।
नैनो यूरिया के आ जाने के बाद बोरी ढोने का झंझट समाप्त हो जाएगा। किसानों को बोरी लाने ले जाने का खर्च बच जाएगा। किसान एक बोरी यूरिया की जगह पांच सौ मिली लीटर के एक बोतल नैनो यूरिया थैले में ले घर ला सकेंगे। नैनो यूरिया के एक बोतल की कीमत 240 रुपये है, जबकि एक बोरी यूरिया की कीमत 266 रुपये 50 पैसे है। किसानों को एक बोरी यूरिया खरीदने पर सरकार 11 सौ रुपये की सब्सिडी देती है। अगर सरकार सब्सिडी बंद कर देगी तो एक बोरी यूरिया की कीमत 1366.50 रुपये हो जाएगी। नैनो तकनीक से बनाए गए तरल नैनो यूरिया की कीमत एक बोरी यूरिया से 10 फीसद कम है। नैनो यूरिया के आने से लागत में कमी आएगी।
500 मिली लीटर नैनो यूरिया का प्रयोग एक एकड़ में किया जा सकेगा। 500 मिली लीटर नैनो यूरिया को 100 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करना होगा। इसके लिए स्पे्र मशीन कंपनी द्वारा दुकानदारों को उपयोग कराया जा रहा है। 240 पीस लेने पर एक स्प्रे मशीन फ्री दिया जा रहा है। नैनो यूरिया की एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर है। यह पोषक तत्व से भरपूर है। मिट्टी, जल व वायु प्रदूषण को कम करता है। इसके प्रयोग से फसलों की उपज में आठ फीसद तक बढ़ जाती है। फसलों की उपज की गुणवत्ता में सुधार के साथ खेती की लागत में कमी आएगी। यह भूमिगत जल की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं डालती है। पौधों और मृदा में तत्काल इसकी खुराक मिल जाती है।
नैनो तकनीक से बनाई गई यूरिया खेती के लिए काफी फायदेमंद है। इससे लागत में कमी आएगी और खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। फसलों की उपज सामान्य यूरिया से अधिक होगा। यूरिया के लगभग 30-50 फीसद नाइट्रोजन का उपयोग पौधों द्वारा किया जाता है। शेष त्वरित रासायनिक परिवर्तन के कारण बर्बाद हो जाता है, जिससे पोषक तत्वों के उपयोग की क्षमता कम हो जाती है। नैनो यूरिया नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम कर देता है तथा मृदा, वायु व जल को दूषित नहीं करता है।
कृष्णकांत झा, जिला कृषि पदाधिकारी
नैनो यूरिया का 15 हजार पीस भागलपुर पहुंच गया है। इसे किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। नैनो यूरिया के एक कण का आकार लगभग 30 नैनोमीटर होता है। अति-सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओं के कारण नैनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधे आसानी से इसे अवशोषित कर लेता है। पौधों के जिन भागों में नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है, वह वहां पहुंचकर संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
संदीप कुमार, वरीय क्षेत्र पदाधिकारी ईफको