भागलपुर: अगले चार साल तक शहरवासी को राहत नहीं, जलापूर्ति पाइप बिछाने के लिए अभी तीन बार और खोदी जाएगी सड़क
भागलपुर शहर के लोगों को अगले चार साल तक राहत नहीं है। जलापूर्ति पाइप बिछाने के लिए अभी तीन बार और रोड खोदी जाएगी। जबकि जलापूर्ति पाइप बिछाने के लिए दो बार खोदी जा चुकी हैं सड़कें। लेकिन अब...
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जलापूर्ति पाइप बिछाने के लिए कहीं एक तो कहीं दो बार सड़कें खोदी जा चुकी हैं। अभी तीन बार और इसकी खोदाई होगी। इससे शहर की स्थिति और अधिक नारकीय हो जाएगी। मास्टर प्लान बनाए बिना अनियोजित तरीके से विकास कार्य किए जाने के कारण यह परेशानी हो रही है। यही हाल रहा तो सड़क बनने और टूटने का क्रम अगले चार साल तक जारी रहेगा।
- - मास्टरप्लान बनाए बिना अनियोजित तरीके से विकास कार्य किए जाने के कारण हो रही है परेशानी
- - पेयजल के लिए पाइप बिछाने के बाद, सीवर लाइन और बिजली केबल बिछाने के लिए फिर खोदी जाएंगी सड़कें
- - स्मार्ट सड़क निर्माण के लिए भी कुछ इलाकों में होगी सड़क की खोदाई
- - एक ही सड़क को बार-बार खोदकर बनाए जाने से लाखों रुपये की हो रही बर्बादी
- - शहर में संचालित सभी योजनाओं का मास्टप्लान बनता तो पैसे और समय दोनों की होती बचत
- - एकइलाके की सड़क को एक बार खोदकर बिछा दी जाती जलापूर्ति व सीवरेज पाइप और बिजली के वायर
दरअसल, शहरी क्षेत्र में पेयजल के लिए पाइपलाइन बिछाने के बाद सीवर लाइन और बिजली केबल बिछाने के लिए भी सड़कें खोदी जाएंगी। इसके बाद स्मार्ट सड़क निर्माण के लिए चयनित कुछ सड़कों की खोदाई होगी।
एक ही सड़क को बार-बार खोद उसका निर्माण किए जाने से करोड़ों रुपये की बर्बादी तो हो रही है, कार्यों के निस्तारण में समय भी अधिक लग रहा है। ऐसे में अगर शहर में संचालित सभी योजनाओं का मास्टप्लान बना होता तो एक सड़क की एक बार खोदाई कर जलापूर्ति व सीवरेज पाइपलाइन, अंडरग्राउंड बिजली केबल बिछाने और सड़क-नाला निर्माण का काम हो जाता।
- - 385 करोड़ रुपये से शुरू हो चुका है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम
- - 08 मीटर गहरी सड़क खोदकर सीवरेज के लिए बिछाई जाएगी पाइप
- - 935 करोड़ से चल रहा है स्मार्ट सिटी का काम
- - 550 करोड़ रुपये की लागत से शहर में जलापूर्ति योजना का चल रहा है काम
जनता के पैसे की हो रही बर्बादी
जनता द्वारा दिए जाने वाले टैक्स से शहर को विकसित किया जा रहा है। पर मास्टप्लान नहीं बनाए जाने के कारण एक ही काम को बार-बार करना पड़ रहा है। इससे करोड़ों रुपये की बर्बादी हो रही है।
- - तिलकामांझी से नगर निगम के बीच पांच वर्ष पूर्व नाले का निर्माण हुआ, जिसे अब तोड़ा जा रहा है।
- - इसी मार्ग में डूडा ने 49 लाख रुपये की योजना से पेबर ब्लाक बिछाया था। अब उसे उखाड़कर नए सिरे से बिछाया जा रहा है।
- - जेल रोड में बुडको के नाले को भी तोड़कर नाले का निर्माण कराया जा रहा है।
- - राधा रानी सिन्हा रोड हो या भीखनपुर मार्ग हाल में हर जगह की सड़कें बनीं और उसे जलापूर्ति पाइप बिछाने के लिए खोद दिया गया।
शहर में इन योजनाओं पर चल रहा कार्य
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट :- साहेबगंज स्थित पुराने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को तोड़कर नए सिरे से उसका निर्माण किया जा रहा है। नमामि गंगे परियोजना के तहत होने वाले इस कार्य की लागत 385 करोड़ रुपये है। ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 45 एमएलडी होगी। प्लांट तक पानी पहुंचाने के लिए 43 नाले का निर्माण किया जाना है। ट्रंक सीवर के लिए तीन से आठ मीटर तक गड्ढा किया जाएगा। इन नालों को 10 पंपिंग स्टेशन में पहुंचाने की योजना है। इसमें बरारी से नाथनगर व अलीगंज क्षेत्र का पानी अंडरग्राउंड आरसीसी पाइप के माध्यम से पंपिंग स्टेशन तक पहुंचेगा। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर, नया बाजार चौक, मंसूरगंज, कोयला घाट, काली घाट, कुप्पा घाट, बरारी पुल घाट, चंपा पुल घाट, बागबाड़ी व सूर्यलोक कालोनी में पंपिंग स्टेशन का निर्माण होगा।
जलापूर्ति योजना :- छह वर्ष बाद भी शहर में जलापूर्ति योजना का काम पूरा नहीं हो पाया है। दिसबंर माह में फिर इसकी मियाद पूरी हो जाएगी। सात माह बचे और जलस्रोत के कार्य पर ग्रहण लग गया। गंगा के मुख्य स्रोत से पानी लाने के लिए इंजीनियरिंग कालेज में इंटेकवेल का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन यहां जलापूर्ति पाइप बिछाने की अनुमति नहीं मिली है। शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति योजना का कार्य 2016 में शुरू हुआ था। पिछले एक वर्ष से केसीपीएल और वीए टेक कंपनी कार्य कर रही है। योजना के तहत दोनों कंपनियों को 2022 दिसंबर तक कार्य पूरा करना है।
स्मार्ट सड़क
शहर की जिन इलाकों मेंं स्मार्ट सड़क निर्माण में शामिल किया गया है, उनमें से ज्यादातर को खोद 10 किलोमीटर तक सीवर लाइन बिछाई जाएगी। यह सब जानते हुए भी स्मार्ट सड़क निर्माण का काम जारी है। ऐसे में निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद उसे फिर से खोद दिया जाएगा तो श्रम और धन दोनों की बर्बादी होगी।
समन्वय का हुआ प्रयास, पर नहीं किया गया अमल
शहर में स्मार्ट सिटी, जलापूर्ति, बिजली, पथ निर्माण विभाग व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि के निर्माण को ले जिलाधिकारी ने सभी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर समन्वय स्थापित करने की कोशिश की। एजेंसी से कार्ययोजना की जानकारी ली। उन्होंने सभी विभागों को मिलजुल कर काम करने का निर्देश दिया। पर उनके आदेश पर अमल नहीं हुआ।