भागलपुर जेल में कैदियों की मेहनत से तैयार हुए हर्बल पार्क में हैं 25 किस्म के पौधे, खासियत अनेक
भागलपुर जेल में कैदियों ने औषधीय पौधों की छोटी क्यारियां लगाई। अब यह बाकायदा उद्यान में बदल गया है। कैदी इससे लाभान्वित हुए। कैदियों को खांसी जुकाम और बुखार से बड़ी राहत है। सर्दी-खांसी गैस-कब्ज सिर दर्द मधुमेह पीलिया बुखार आदि में लाभकारी है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। कोरोना महामारी ने बंदियों को सलाखों के पीछे रोगों से बचाव के तरीके भी सिखाए और बीमारी फैलने पर इससे निपटने की जुगाड़ भी बताया। महामारी से सबक लेते हुए विशेष केंद्रीय कारा में बंदियों ने औषधीय पौधों की छोटी क्यारियां अब बाकायदा उद्यान में बदल दिया है। कारा अधीक्षक मनोज कुमार, उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने बंदियों को इसके लिए प्रेरित किया और बंदियों के मेहनत के चलते अब यहां भरा-पूरा हर्बल पार्क विकसित हो चुका है। इसमें तुलसी, अजवाइन से लेकर एलोवेरा और लेमनग्रास जैसी जड़ी-बूटियां भी हैं। इन जड़ी-बूटियों के प्रयोग से बंदी-कैदी स्वस्थ हैं और पहले की तरह एलोपैथिक दवाओं पर भी आश्रित नहीं रह गए हैं।
उद्यान में तुलसी, अजवाइन, सतावर, करौंदा, हल्दी, दाल चीनी, इलायची, कढ़ी पत्ता, एलोवेरा, आंवला, पुदीना, लेमन ग्रास, बहेड़ा, अपराजिता, बेल, तेजपत्ता, गिलोय, सेब, खिरनी, बेसिल आदि समेत 25 किस्म के औषधीय पौधे हैं। अब इन्हीं पौधों का बीमारियों के निदान में प्रयोग किया जा रहा है। सर्दी-खांसी गैस-कब्ज, सिर दर्द, मधुमेह, पीलिया, बुखार में बंदी और कारा कर्मी औषधीय पौधे का इस्तेमाल करते हैं।
कोरोना त्रासदी ने बीमारियों से बचाव के तरीके बताए
विशेष केंद्रीय कारा के इस हर्बल पार्क में काम करने वाले बंदियों की माने तो कोरोना महामारी ने उन्हें रोगों से बचाव के तरीके भी सिखाए और बीमारी फैलने पर इससे निपटने की रणनीति बनाने की भी। जेल में पूर्व से औषधीय पौधों की छोटी-छोटी क्यारियां बंदियों ने जेल उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंंह की मदद से लगाया था। कोराना महामारी से सबक लेते हुए जेल में बड़े पैमाने पर औषधीय पौधे रोपे गए। बंदी-कैदियों की मेहनत के चलते अब यहां भरा-पूरा हर्बल पार्क विकसित हो चुका है। इसमें तुलसी, अजवाइन से लेकर एलोवेरा और लेमनग्रास जैसी जड़ी-बूटियां भी हैं। इन जड़ी-बूटियों के प्रयोग से बंदी-कैदी स्वस्थ हैं और पहले की तरह एलोपैथिक दवाओं पर भी आश्रित नहीं रह गए हैं।
जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि कारागार परिसर में करीब छह माह पहले हर्बल पार्क विकसित करने के उद्देश्य से औषधीय पौधे रोपे गए। इनकी देखभाल का जिम्मा बंदी और कैदियों को दिया गया। इस पार्क में तुलसी, आजवाइन, सतावर, करौंदा, हल्दी, दाल चीनी, इलायची, कढ़ी पत्ता, एलोवेरा, आंवला, पुदीना, लेमन ग्रास, बहेड़ा, अपराजिता, बेल, तेजपत्ता, गिलोय, सेब, सहजन, खिरनी, बेसिल आदि समेत 25 किस्म के औषधीय पौधे हैं। अब इन्हीं पौधों का बीमारियों के निदान में प्रयोग किया जा रहा है। एलोवेरा आदि के काढ़े का बंदी-कैदी सुबह-शाम सेवन करते हैं। लेमन ग्रास की चाय बंदी और स्टाफ पीता है। इसी का नतीजा है कि अब वे खांसी, जुकाम और बुखार जैसी बीमारियों से दूर हैं। अब खांसी, जुकाम और बुखार के मरीजों की संख्या लगभग आधी रह गई है।
बेसिल भगाता है तनाव, गिलोय से मधुमेह नियंत्रित
औषधीय उद्यान में मौजूद गिलोय मधुमेह को नियंत्रित करने, बुखार दूर करने में, पाचन तंत्र सुधारने और अस्थमा में फायदेमंद। बेसिल शरीर को शीतल कर तनाव कम करने और हड्डियों को मजबूत करने में लाभकारी। अपराजिता दांत दर्द में कारगर। बहेड़ा: कब्ज, खांसी, गले के रोग, चर्म रोग, जुकाम और हाथ-पैरों की जलन में कारगर। लेमन ग्रास: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।