17 सितंबर से शुरू हो रहा मलमास का योग, जाने आपके लिए इस बार क्या-क्या है खास
विश्वकर्मा पूजा के उपरांत मलमास प्रारंभ होगा। शारदीय नवरात्र के कलश स्थापना से एक दिन पूर्व इसका समाप्त होगा। मलमास के कारण कई पर्व त्योहारों की समय में भी बदलाव हो रहा है।
अररिया [संतोष कुमार झा]। 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक मलमास का योग है। शास्त्रों के अनुसार मलमास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। जानकारी के अनुसार जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती तब अधिक मास होता है जिसे मलमास या फिर खरमास करते हैं। यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में होता है। लगभग हर तीन वर्ष बाद मलमास का संयोग बनता है।
मलमास या पुरुषोत्तम मास एक ऐसा मास है जिसमें शास्त्रानुसार कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। इस माह में शादी- विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। कुछ जगहों पर इसे अधिकमास के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास का योग है।
क्यों होते हैं इस माह में शुभ कार्य वर्जित
सूर्य की गणना के आधार प्राय: इन दिनों माह को धनु मास और मीन मास कहा जाता है। इन दोनों महीनों में मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इस माह के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, वास्तु पूजा आदि शुभ काम नहीं किए जाते हैं। मलमास माह के दौरान दान पुण्य करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से देवों की कृपा बनी रहती है और घर में सुख संपन्नता भी बनी रहती है। इस महीने भगवान की आराधना, श्रीमछ्वागवत गीता, श्री राम जी की आराधना कथा वाचन और विष्णु की उपासना करनी चाहिए। दान, पुण्य, जाप और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं।
क्या करें
अररिया प्रखंड के खमगड़ा(जमुआ) गांव निवासी पंडित विजय कुमार झा के मुताबिक अगले 17 सितंबर को संध्या पांच बजकर पांच मिनट से मलमास की शुरुआत हो जाएगी जो अगले 16 अक्टूबर की रात दो बजकर तीन मिनट पर समाप्त हो जाएगी यानी विश्वकर्मा पूजा के उपरांत मलमास लगेगा तथा शारदीय नवरात्र के कलश स्थापना से कुछ घंटे पहले समाप्त हो जाएगा। 16 अक्टूबर को मलमास खत्म होगा तथा 17 अक्टूबर को नवरात्र की शुरुआत तथा कलश स्थापन होगा। मलमास में गृह प्रवेश मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, गृह निर्माण, भूमि व प्रॉपर्टी में निवेश, नया वाहन आदि शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है। नए वस्त्र पहना भी शुभकर नहीं बताया गया है। खानपान की भी शुद्धता भी आवश्यक है।