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द सब्सक्राइबर यू हैव डायल इज बिजी टू अनॉदर कॉल

बार-बार कॉल करने और कॉल रिसीव करने से लेकर एंबुलेंस मरीज तक पहुंचने में काफी समय गुजर जाता है। ऐसे में कई मरीजों की सांस भी थमने लगती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 11:13 AM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 11:13 AM (IST)
द सब्सक्राइबर यू हैव डायल इज बिजी टू अनॉदर कॉल
द सब्सक्राइबर यू हैव डायल इज बिजी टू अनॉदर कॉल

भागलपुर [अशोक अनंत]

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जिले के स्वास्थ्य केंद्रों और जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में रेफर मरीजों के लिए एंबुलेंस मिलना आसान नहीं है। क्योंकि, कॉल करने पर काफी समय तक एक ही जवाब आता है, द सब्सक्राइबर यू हैव डायल इज बिजी टू अनॉदर कॉल। बार-बार कॉल करने और कॉल रिसीव करने से लेकर एंबुलेंस मरीज तक पहुंचने में काफी समय गुजर जाता है। ऐसे में कई मरीजों की सांस भी थमने लगती है।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 31 एंबुलेंस हैं। जिनमें से तीन एंबुलेंस खराब हैं। इसलिए जिले में रेफर मरीजों को ले जाने के लिए शेष 28 एंबुलेंस ही उपलब्ध हैं। लेकिन अव्यवस्था, चालकों की मनमानी के कारण मरीजों को समय पर यह सुविधा नहीं पा रही है। एंबुलेंस का संचालन पटना की निजी एंजेंसी द्वारा की जाती है। एक एंबुलेंस पर सरकार को प्रतिमाह तकरीबन 99 हजार रुपये देने पड़ते हैं।

त न एंबुलेंस में है एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम

ज एलएनएमसीएच में 1099 नंबर की तीन एंबुलेंस में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध है। इनमें चिकित्सकीय सुविधा के कई उपकरण लगाए गए हैं ताकि रेफर किए गए गंभीर मरीजों को अस्पताल में पहुंचाया जा सके। साथ में एक कंपाउंडर भी रहता है। इन एंबुलेंस में कॉर्डियोमीटर, वेंटीलेटर, इफ्यूजन मशीन और ऑक्सीजन की सुविधा शामिल है। वहीं 102 नंबर एंबुलेंस में भी बेसिक लाइफ स्पोर्ट सिस्टम लगा हुआ है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ये एंबुलेंस उपलब्ध है।

एक एंबुलेंस वीआइपी के लिए है रिजर्व

1099 नंबर की एंबुलेंस सदर अस्पताल और एक एंबुलेंस जेएलएनएमसीएच में है, जो खराब है। एक एंबुलेंस को वीआइपी मरीजों के लिए है। उक्त एंबुलेंस को जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक कार्यालय के पास रखा गया है। वहीं बिहपुर में भी एक एंबुलेंस खराब है।

प्रति किमी 10 और 12 रुपये शुल्क लिए जाते हैं

किसी भी स्वास्थ्य केंद्र से जेएलएनएमसीएच रेफर मरीज अगर सरकारी एंबुलेंस में आता है तो उससे प्रति किलोमीटर 10 से 12 रुपये लिए जाते हैं। वहीं जेएलएनएमसीएच से पटना या अन्य शहरों में मरीजों को पहुंचाने में भी प्रति किलोमीटर 10 से 12 रुपये लिए जाते हैं। यह किराया एक तरफ का होता है यानी रेफर अस्पताल तक पहुंचाने के लिए।

प्रतिदिन छह मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का है निर्देश

सरकार के निर्देश के मुताबिक प्रति स्वास्थ्य केंद्र से छह मरीजों को रेफर अस्पताल तक पहुंचाना है। लेकिन अबतक कितने मरीजों को स्वास्थ्य केंद्रों से पहुंचाया गया, इसकी सही जानकारी एजेंसी के पास नहीं है। दो दिन पूर्व ही जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा एंबुलेंस व्यवस्थापक मनोज कुमार को फॉरमेट दिया गया, ताकि उसमें मरीजों के नाम और रेफर्ड अस्पताल के नाम भरे जा सकें।

मनोज कुमार के मुताबिक सबसे कम कॉल इस्माइलपुर स्वास्थ्य केंद्र से आई है। अप्रैल में मात्र 22 कॉल आई जबकि शाहकुंड से दो सौ से ज्यादा कॉल आई। उनका कहना है कि कॉल आने पर ही मरीज को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाता है।

ए न मौके पर नहीं मिलते चालक

र फर्ड मरीज के लिए एंबुलेंस चालक ऐन मौके पर नहीं मिलते। बुधवार को जेएलएनएमसीएच में एंबुलेंस चालक ड्यूटी से गायब था। गोली लगने से घायल मरीज को 1099 एंबुलेंस से पटना भेजना था। चालक के नहीं मिलने पर 102 एंबुलेंस से भेजा गया। हालांकि चालक को फटकार लगाने के बाद छोड़ दिया गया।

- ड्यूटी पर तैनात एंबुलेंस चालक को अगर कहीं जाना है तो कंट्रोल रूम को उसकी सूचना देना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने वाले चालकों पर कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ. अशोक भगत, प्रभारी अस्पताल अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच

- किसी भी स्वास्थ्य केंद्र से कॉल आती है तो एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाती है। कई स्वास्थ्य केंद्रों से बहुत कम कॉल आती है। फिर भी चालकों को सचेत किया गया है।

-मनोज कुमार, जिला एंबुलेंस संचालन व्यवस्थापक


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