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वादों की तिलिस्म में गुम होती गई राह..., दशकों से आवागमन की दुरुह समस्या झेल रहे अमदाबाद के लोग

कटिहार के अमदाबाद प्रखंड की एक बड़ी आबादी के लिए आवागमन की समस्या झेलना नियति बन चुकी है। खासकर बाढ़ के कारण यहां आवागमन की समस्या करीब चार माह तक गंभीर बनी रहती है। लेकिन इस ओर ध्‍यान नहीं दिया जा रहा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 04:40 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 04:40 PM (IST)
वादों की तिलिस्म में गुम होती गई राह..., दशकों से आवागमन की दुरुह समस्या झेल रहे अमदाबाद के लोग
कटिहार के अमदाबाद प्रखंड की एक बड़ी आबादी के लिए आवागमन की समस्या झेलना नियति बन चुकी है।

कटिहार [मनीष कुमार सिंह]। वादों की तिलिस्म में राह गुम होती गई। लोग कल भी ठगे गए और आज भी वैसा ही महसूस कर रहे हैं। चुनावी बयार आते ही भावनाओं की लहर चलती है और सियासी कश्ती को तो किनारा मिल जाता है, लेकिन लोग मझधार में ही रह जाते हैं।

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दरअसल अमदाबाद प्रखंड की एक बड़ी आबादी के लिए आवागमन की समस्या झेलना नियति बन चुकी है। खासकर बाढ़ के कारण यहां आवागमन की समस्या करीब चार माह तक गंभीर बनी रहती है। प्रखंड अंतर्गत कुल 14 पंचायत हैं। यूं तो इन 14 पंचायतों के अधिकांश गांवों की मुख्य सड़कें अभी भी कच्ची एवं जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। लोग इन सड़कों पर ही किसी तरह आवागमन कर लेते हैं। बाढ़ बरसात का समय प्रारंभ होते ही लोगों की समस्याएं चरम पर पहुंच जाती हैं।

कौन-कौन गांव हैं ज्यादा प्रभावित

प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के गणेश टोला, रतन टोला, भगवान टोला, गोपी टोला, विनोद टोला, भादू टोला, झब्बू टोला, घेरा गांव, जिलेबी टोला, तिलोंकी डारा, रघुनाथपुर, केवाला, मजहर टोला, बबला बन्ना सहित कई गांवों से प्रखंड मुख्यालय पहुंचने वाली सड़कें बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है। वहीं पानी के तेज बहाव से कई स्थानों पर डायवर्सन भी बन जाता है एवं लंबे समय तक पानी जमा रहने से आवागमन की समस्या बनी रहती है।

प्रखंड में प्रत्येक वर्ष भीषण बाढ़ आती है। इस दौरान पानी के तेज बहाव से अधिकांश सड़कें ध्वस्त हो जाती है। इस कारण मुख्य सड़कों पर आवागमन बंद हो जाता है एवं करीब चार माह तक यह समस्या बनी रहती है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण बबलू मंडल, रवि कुमार, अमोल ङ्क्षसह, गणेश मंडल, रमेश मंडल व सुभाष दास ने बताया कि प्रखंड में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है। पानी के तेज बहाव से सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती है। क्षतिग्रस्त सड़कों का मरम्मत भी संबंधित विभाग द्वारा नहीं कराया जाता है। सड़कों में बने डायवर्सन में पानी जमा रहने से करीब चार माह तक आवागमन की समस्या से जूझना पड़ता है। बहरहाल कुछ निचले इलाकों को छोड़कर प्रखंड के अधिकांश क्षेत्रों से बाढ़ का पानी निकल चुका है। लोगों के आवागमन की समस्या जस की तस बनी हुई है। हर बार नेता आते हैं। वादा करते हैं और चुनाव बाद सब कुछ भूला दिया जाता है।


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