भागलपुर के विस्थापितों का दर्द... पुनर्वास के लिए चिह्नित जमीन पर जमा हो जाता है कमरभर पानी, इस तरह गुजार रहे जिंदगी
भागलपुर में कटाव पीडि़तों के पुनर्वास की समुचित व्यवस्था नहीं की जा रही है। इससे वे जैसे तैसे जिंदगी जीने को मजबूर हैं। जिस जगह को उन लोगों के लिए चिन्हित किया गया है वहां पर कमर से जयादा पानी भर जाती है।
संवाद सूत्र, बिहपुर। प्रखंड की हरियो पंचायत के गोङ्क्षवदपुर-मुसहरी गांव के कटाव से विस्थापित दर्जनों महादलित परिवार शुक्रवार को अंचल कार्यालय पहुंचे और सीओ से पुनर्वास की मांग की। सीओ ने विस्थापितों से कहा कि हरियो मौजा में साढ़े चार एकड़ एवं हरियो मिलिक मौजा में एक एकड़ 84 डिसमिल सरकारी जमीन को चिह्नित कर सूचीबद्ध किया गया है। 132 विस्थापित परिवारों को इन जगहों पर पुनर्वास के लिए तीन-तीन डिसमिल जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। आने-जाने के लिए 20 फीट चौड़ी सड़क भी होगी। विस्थापितों ने चिह्नित जमीन को बेकार बताते हुए कहा कि कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने पर वहां कमर से ऊपर पानी आ जाता है। वहां घर बनाकर रहना संभव नहीं है। विस्थापित महेंद्र ऋषिदेव, विजय, गुरूदेव, राजो, रघुनंदन ने हरियो गांव के समीप खाली पड़ी निजी जमीन के बारे में सीओ को जानकारी दी। कहा कि उक्त जमीन पुनर्वास के लिए उपयुक्त है। सीओ ने उक्त निजी जमीन के मालिकों से बात करने का भरोसा दिलाया।
दो गांव के तीन सौ विस्थापित परिवार सड़क व रेल पटरी किनारे डाले हैं डेरा
गत वर्ष कोसी के जलप्रलय से गोङ्क्षवदपुर-मुसहरी गांव का अस्तित्व मिट गया था। इसके अलावा कहारपुर के नवटोलिया टोला की भी 90 फीसद आबादी विस्थापित हो गई थी। दोनों गांव के तीन सौ से अधिक कटाव विस्थापित परिवार सड़क किनारे व रेल पटरी के किनारे परिवार के साथ रहने को विवश हैं। कई बार लगातार बारिश के बाद वे लोग रात भर जगे रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
डीएम ने दिया था पुनर्वास का निर्देश
गत 31 मई को हरियो-त्रिमुहान घाट पर कोसी तटबंध का निरीक्षण करने पहुंचे डीएम सुब्रत कुमार सेन ने दोनों गांवों के विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया जल्द सुनिश्चित कराने का निर्देश मौके पर मौजूद नवगछिया एसडीओ, डीसीएलआर व बिहपुर सीओ को दिया था। बिहपुर विधायक ई.शैलेंद्र ने पुनर्वास का मामला बिहार विस के सदन में उठाया था।