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गिरने लगा पारा, दुधारू पशुओं के खानपान का फशु पालक रखें विशेष ध्यान

जाड़े के मौसम में पशु पक्षयिों की देखभाल विशेष रूप से करने की जरूरत होती है। खास कर दुधारू पशुओं की सुरक्षा इसलिए आवश्‍यक हो जाता है क्‍योंकि जाड़े का मौसम आते ही दूध उत्‍पादन प्रभावित होने लगता है। इस मौसम में थकान महसूस करने लगते हैं ।

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:31 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 11:31 AM (IST)
गिरने लगा पारा, दुधारू पशुओं के खानपान का फशु पालक रखें विशेष ध्यान
जाड़े के मौसम में पशुओं को गिले स्‍थान पर ज्यादा देर तक न बैठने दें

बांका, जेएनएन। ठंड गिरने से पशुपालकों को अपने पशुओं को सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता है। पारा गिरने के साथ ही पशुओं में संक्रमण होने से बीमार होने का अंदेशा बना रहता है। इसका असर उसके खानपान पर पड़ता है। इससे पशु कम चारा खाना शुरू कर देता है। इसके बाद इसे इलाज की जरूरत होती है। साथ ही पशु कमजोर हो जाता है। इसमें सबसे अधिक नुकसान दुधारू पशुओं को होता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में ज्यादा तर पशु दूध देना भी बंद कर देता है। कई बार बीमारी बढऩे पर पशु की मौत भी हो जाती है। ज्ञात हो कि जिला में लगभग आठ लाख से अधिक पशुओं की संख्या है।

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इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डॉ. धमेंद्र कुमार ने बताया कि ठंड के मौसम में दुधारू और गर्भवती पशुओं को विशेष देखभाल की जररूरत होती है। इसमें पशु सुस्त व थकान सी महसूस करता है। सामान्य से नीचे तापमान जाने पर पशुपालकों को उनके खान-पान व रखरखाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इससे पशु के बीमार होने की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में पशुओं के नीचे साफ-सफाई पर भी ध्यान देने की जरूरत है। ज्यादा देर तक पशुओं को गीले में न बैठने दें। धूप निकलने पर शेड के अंदर से बाहर निकालें। रात का ठडा पानी नहीं पिलाएं। दोपहर से पहले ताजे पानी में पशुओं को नहलाएं। संभव हो तो हर रोज न भी नहलाएं। कमजोर पशुओं को नहलाने के बजाय सूखे कपड़े व पुआल से रगड़कर उसके शरीर की सफाई करें।

दवा और सही खुराक देना बेहद जरूरी

ठंड के मौसम में अक्सर सफाई और दवा का सही खुराक नहीं मिलने के कारण पशुओं के शरीर पर जू और गंदगी जमने लगता है। पशुओं को सही चारा व खुराक नहीं मिलने से उनमें बीमारियों से लडऩे की क्षमता क्षीण हो जाती है। इससे आपका पशु बार-बार बीमार हो जाते हैं। कई बार सर्दी में पशुओं को निमोनिया, इन्फलोंजा (नजला), निमोनाइटिस (फेफड़ों का संक्रमण)व टाइफाइड भी हो जाता है। सर्दी के मौसम में पशुओं के बच्चों का भी ध्यान रखें। उन्हे अधिक दूध पिलाने के साथ-साथ कृमिनाशक दवा पिलानी चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि ठंडी में पशु को बीमारियों से बचाने के लिए कम से कम 25 प्रतिशत हरा चारा व 75 प्रतिशत सूखा चारा खिलाना चाहिए। शाम के समय ठडक बढऩे से पूर्व पशु को शेड के अंदर बांधें। सुबह धूप निकलने पर बाद ही उसे शेड से बाहर निकालें। हर रोज ताजा और स्वच्छ पानी पिलाएं। पशु को सप्ताह में दो बार गुड़ जरूर खिलाएं। बिनौला, खल व खनिज मिश्रण दें। सेंधा नमक भी खिलाएं ताकि पशु की पाचन शक्ति बनी रहे। 


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