Move to Jagran APP

घर सजे मंजूषा से : उलूपी झा ने मंजूषा कला को दी एक नई दिशा

उलूपी ने 26 जनवरी को दिल्ली में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मंजूषा की विशेषताओं के बारे में बताया। ये रसोई से लेकर कपड़ों की सिलाई कटाई तक करती हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 09:34 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 09:34 AM (IST)
घर सजे मंजूषा से : उलूपी झा ने मंजूषा कला को दी एक नई दिशा
घर सजे मंजूषा से : उलूपी झा ने मंजूषा कला को दी एक नई दिशा

भागलपुर, जेएनएन। मंजूषा कला को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाने वाली उलूपी झा से तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसके बारे में पूछा था। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 22 जनवरी 2016 को उन्होंने उलूपी को सम्मानित किया था।

prime article banner

उलूपी ने 26 जनवरी को दिल्ली में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मंजूषा की विशेषताओं के बारे में बताया। ये रसोई से लेकर कपड़ों की सिलाई कटाई तक करती हैं। पीएचडी डिग्री के साथ आशिहारा कराटे में ब्लैक बेल्ट भी लिया है। उन्होंने बताया कि आठ वर्ष की उम्र में रेडियो पर बाला व बिहुला के नाटक का प्रसारण सुना था। यह कथा दिलोदिमाग में पैठ कर गई।

भागलपुर महोत्सव में मंजूषा से सजी दुकानें देखी, वहां सूप, बौनी व उगरा पर सांप व लहरिया बार्डर देखा। तब उन्हें पता चला कि मंजूषा क्या है। 2008 में दिशा ग्रामीण विकास मंच व नाबार्ड द्वारा मंजूषा कला का प्रशिक्षण मनोज पंडित से लिया। यहां से उलूपी की मंजूषा कला साधना शुरू हो गई। महिलाओं को कला से जोडऩा शुरू किया। सामाजिक बाधाएं भी आईं, उन्हें समझाना पड़ा कि चित्रकारी से खुशी मिल रही है। उन्होंने मधुबनी पेंटिंग से भी प्रेरणा लेकर मंजूषा में बारीकियों को शामिल किया। एक दशक पहले तक मंजूषा में सांप का चित्र बनाना अनिवार्य होता था, लेकिन इसे दरकिनार कर उलूपी ने अंग प्रदेश की कथाओं, फल-फूलों व सरकार की योजनाओं को मंजूषा शैली में उकेरना शुरू कर दिया। अब मंजूषा कला आमदनी का जरिया बन गई है।

हुईं दक्ष तो मिले सम्मान भी

2014 में प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में मंजूषा की जीवंत प्रस्तुति की। 2014 में बिहार के कला संस्कृति व युवा विभाग के कार्यशाला में भागीदारी निभाई। 26 जनवरी को पटना में कला संस्कृति विभाग की झांकी में मंजूषा को शामिल किया गया था। इसी दिन तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक के रात्रिभोज में शामिल हुईं। दो अक्टूबर 2017 और 26 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सम्मानित कर चुके हैं। इससे पहले 2015 में राज्य पुरस्कार से मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। वर्ष 2018 में अखिल भारतीय विश्व ङ्क्षहदी समिति न्यूयार्क द्वारा विशिष्ट सम्मान मिल चुका है। वर्ष 2013 में भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा वीरांगना सावित्री बाई फूले फेलोशिप सम्मान मिला।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.