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Acid attack : अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कहा-तेजाब पर कानून तो सख्त है, अमल करना जरूरी

एसिड हमले को लेकर कानून को सख्त बनाने के लिए आइपीसी की धारा 326 में बदलाव किया गया। इसके तहत 326 ए और 326 बी अस्तित्व में आया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 02:29 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 04:13 PM (IST)
Acid attack : अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कहा-तेजाब पर कानून तो सख्त है, अमल करना जरूरी
Acid attack : अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कहा-तेजाब पर कानून तो सख्त है, अमल करना जरूरी

भागलपुर [जेएनएन]। तेजाब हमले को रोकने के लिए हमारे देश में सख्त कानून बने हैं, लेकिन उस पर ठीक से अमल नहीं हो रहा है। पुलिस को सही जानकारी नहीं होने के कारण जांच की दिशा भटक जाती है। पीडि़त को सही से न्याय नहीं मिल पाता है। केस डायरी लिखने के दौरान सही धाराएं पुलिस अभियुक्त के खिलाफ नहीं लगा पाती है। यह बातें 'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' अभियान के तहत रविवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में सामने आई। परिचर्चा तेजाब और इसके पीडि़तों के लिए कानूनी प्रावधान पर केंद्रीत रही। इसमें शहर के जाने-माने अधिवक्ता शामिल हुए।

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अधिवक्ताओं ने कहा कि पिछले दिनों अलीगंज में तीन लड़कों ने एक घर में घुसकर एक लड़की पर तेजाब फेंक दिया, जिससे उसका चेहरा जल गया। लड़की को पहले जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उसे बनारस रेफर कर दिया। लड़की अभी वारणसी के समयन अस्पताल में भर्ती है। तेजाब हमले की यह घटना कोई नई बात नहीं है। महिलाओं को समाज में कई तरह की हिंसा से गुजरना पड़ता है। ऐसी ही हिंसा का एक भयानक रूप है तेजाब हमला। अपराधी एक क्षण में एसिड फेंक कर किसी महिला या लड़की की पूरी जिंदगी खराब कर देता है। पीडि़ता के दर्द और सर्जरी के दौरान होने वाली तकलीफों का अंदाजा हम कभी नहीं लगा सकते। अपने साथ हुए इस क्रुर व्यवहार के बाद भी वह साहस करती है और अपने भविष्य को बेहतर बनाने की पूरी कोशिश करती है।

पहले एसिड हमले के मामले में आइपीसी में अलग से कोई प्रावधान नहीं था बल्कि आइपीसी की धारा 326 के तहत ही मामला दर्ज होता था। पुराने कानून के मुताबिक 10 साल या उम्रकैद की सजा का प्रावधान था। एसिड हमले को लेकर कानून को सख्त बनाने के लिए आइपीसी की धारा 326 में बदलाव किया गया। इसके तहत 326 ए और 326 बी अस्तित्व में आया। ऐसिड हमले को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वह ऐसिड की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाएं। हमले की शिकार महिला को इलाज और पुनर्वास के लिए तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान भी है। 30 फीसद तक घायल पीडि़त को तीन लाख, 50 फीसद पीडि़त को तीन से पांच लाख और 50 फीसद से उपर के पीडि़त को तीन से लेकर सात लाख रुपये तक का मुआवजा देने का प्रावधान है।

विशेष परिस्थिति आठ लाख रुपये भी मिल सकते हैं। एसिड पीडि़त के लिए राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तर पर समितियां भी कार्यरत हैं। जिला स्तर पर जिला जज, जिलाधिकारी, एसएसपी, सिविल सर्जन आदि की कमेटी पीडि़त के हालात को देखकर अनुशंसा कर सकती है। इसके बाद पीडि़त को दस हजार रुपये महीना मिल सकता है। एसिड के लिए डीएम द्वारा नियुक्त मजिस्ट्रेट की निगरानी में ही छापेमारी की जा सकती है। सिर्फ पुलिस को छापेमारी करने का अधिकार नहीं है। एसिड हमले के पीडि़त के इलाज के लिए कोई भी अस्पताल ना नहीं कर सकता है। इलाज का खर्च सरकार को उठाना है। परिचर्चा का विषय प्रवेश समाचार संपादक संयम कुमार ने किया।

अधिवक्ता बीरेश मिश्र ने कहा कि तेजाब फेंकने वाले को कम से कम सजा दस साल और आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने कानून और भी कड़ा कर दिया है। अधिवक्ता ओम प्रकाश तिवारी ने कहा कि तेजाब की घटना को लेकर केस आइपीसी की धारा 326 के तहत दर्ज होता है, जिसमें कम से कम दस साल और आजीवन तक कारावास का प्रावधान है।

शंकर जयकिशन मंडल ने कहा कि नए कानून के तहत अगर किसी लड़की पर तेजाब फेंकने की कोशिश भी की जाएगी तो भी सजा कम से कम दस साल और आजीवन तक होगी। अधिवक्ता प्रभात कुमार ओझा ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कानून को सख्त बनाने के लिए अमेंडमेंट किया। अमेंडमेंट करके आइपीसी में उप धारा 326ए और बी बनाई गई।

अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग है, अगर कोई खुलेआम तेजाब बेचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए डीएम को मजिस्ट्रेट नियुक्त करना है। अधिवक्ता घनश्याम शर्मा ने कहा कि अगर कोई गलत तरीके से तेजाब बेचता है तो उसको पकड़कर जेल भेजा जाए। कई मामले हो चुके हैं, इसलिए इस पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत भी है।

अधिवक्ता भोला मंडल ने कहा कि अगर किसी पर तेजाब डालने की कोशिश भी कोई करता है तो उसको आजीवन कारावास हो सकता है। गवाह को इसके लिए सामने आना होगा। अधिवक्ता प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा कि कानून में भले तेजाब बेचना अपराध हो या फिर इसके खिलाफ न जाने कितने ही नियम बनाए गए हो। फिर भी खुले आम तेजाब बेचा जा रहा है।

अधिवक्ता राज कुमार यादव ने कहा कि तेजाब हर जगह उपलब्ध है। कानून बना है पर उपयोग नहीं हो रहा है। इसकी बिक्री के लिए जिला प्रशासन की अनुमति आवश्यक है। अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि बिना लाइसेंस के एसिड की बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। 15 दिनों में स्टॉक वेरीफिकेशन होना चाहिए। खुलेआम बेचने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

अधिवक्ता जयप्रकाश यादव व्यास ने कहा कि एसिड अटैक मामले में कानून बनें हैं। लेकिन पुलिस को भी जख्म प्रतिवेदन लेने में काफी परेशानी होती है। इस ओर भी संबंधित लोगों को ध्यान देना चाहिए।

तेजाब हमलावरों को मिले कड़ी से कड़ी सजा

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ. एके सिंह ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां औरतों को देवी का दर्जा दिया जाता है, कन्याओं को पूजा जाता है, वहां एक बेटी को तेजाब से नहलाना यह दर्शाता है कि आज मानवीय मूल्यों में कितना अवनमन हुआ है। कुत्सित मानसिकता वाले कुछ नवयुवकों में न तो मानवता के प्रति सम्मान है और न ही कानून का भय। ऐसे भ्रमित नवयुवकों को मुख्य धारा में लाने के लिए आवश्यक है कि दोषी व्यक्तियों को ऐसी सजा दी जाए कि फिर कोई ऐसा करने की सोचे भी नहीं। भागलपुर की एसिड पीडि़त बेटी से मेरी पूरी सहानुभूति है। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह शीघ्र स्वस्थ हो जाए।

ऐसी घटनाओं में बच्चियां अपनी पहचान खो देती हैं और उसके मन में एक डर सदा सदा के लिए घर कर जाता है। इसलिए स्वस्थ हो जाने पर बच्चियों को यह प्रण लेना चाहिए कि वे उस मुकाम को हासिल करें जहां से इन बुराइयों को दूर कर सके। साथ ही समाज को भी इस घृणित मानसिकता वाले नवयुवकों का तिरस्कार करनी चाहिए। सरकार को भी ऐसा कानून लाना चाहिए कि तेजाब की आपूर्ति प्रयोगशालाओं और कुछ खास तरह के उद्योगों को ही हो सके।

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क्या हैं नियम 

-तेजाब पीडि़त को कम से कम 3 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा

-मुआवजे के एक लाख रुपये 15 दिनों के अंदर देना होगा

-शेष दो लाख रुपये दो महीने के अंदर ही देना होगा

-राज्य के मुख्य सचिव सीधे तौर पर इन आदेशों के पालन करेंगे

-18 साल से कम उम्र के बच्चों को तेजाब नहीं बेचा जाएगा

-तेजाब की खरीद-बिक्री के लिए विक्रेताओं को अलग से एक रजिस्टर रखना होगा

-बिना पहचान पत्र, एड्रेस प्रुफ और वजह के एसिड नहीं दिया जाएगा

-मेडिकल और शिक्षा के उद्देश्य से थोक में एसिड खरीदने से पहले एसडीएम से आदेश लेना होगा

-एसडीएम एसिड के इस्तेमाल की निगरानी भी करेंगे

-तेजाब को लेकर दिए गए निर्देशों का अगर पालन नहीं होगा, तो पचास हजार का जुर्माना ठोंका जाएगा

-तेजाब को लेकर तमाम निर्देशों पर स्थानीय भाषा में विज्ञापन भी देने का आदेश है

आक्रोश में शहर, तेजाब बिक्री पर लगे प्रतिबंध

एसिड हमले पर अंकुश लगाने के लिए सरकार और प्रशासन की ओर से तेजाब की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। तेजाब की खुली बिक्री के विरोध में चल रहे दैनिक जागरण के अभियान 'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' के तहत रविवार को हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित नगर संसद में प्रबुद्ध नागरिकों ने आवाज बुलंद की। कहा, तेजाब हमले की शिकार छात्रा वाराणसी में जिदंगी के लिए संघर्ष कर रही है। अगर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन होता, तेजाब खुलेआम बाजार में नहीं बिकता तो शायद यह घटना नहीं घटती। इस दौरान लोगों ने तेजाब की खुलेआम बिक्री पर रोक लगाने के लिए शपथ भी ली। नगर संसद में लोगों द्वारा भरे गए शपथ पत्र को जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा।

बमबम पांडेय ने कहा कि दैनिक जागरण मोहल्लों में इस तरह का कार्यक्रम चलाकर लोगों को जागरूक कर रहा है। मोहल्ले में कमेटी बनाकर प्रशासन से तेजाब की बिक्री पर पाबंदी की मांग करेंगे।

संजय कुमार कर्ण ने कहा कि तेजाब की खुलेआम बिक्री पर प्रतिबंध लगना चाहिए। इसकी बिक्री के लिए बने नियम का कड़ाई से पालन होना चाहिए। सिस्टम के प्रति प्रशासन को जवाबदेह बनाना होगा। आलोक कुमार ओझा ने कहा कि खेद के साथ कहना पड़ता है भागलपुर जैसे शिक्षित क्षेत्र में तेजाब हमले जैसे घृणित अपराध हो रहे हैं। इसे रोकने के लिए मोहल्ले के लोग आगे आएं।

विमल चंद्र तिवारी ने कहा कि तेजाब की ज्यादातर शिकार लड़कियां या महिलाएं होती हैं। ऐसी घटना समाज के लिए कलंक है। शराब के तर्ज पर तेजाब पर भी प्रतिबंध लगे। ददन सिंह ने कहा कि तेजाब बिक्री के लिए लाइसेंस जरूरी है। सच्चाई यह है कि दुकानदारों को नियम और लाइसेंस की जानकारी तक नहीं है। प्रशासन को इसे देखते हुए जरूरी कदम उठाना चाहिए।

कमल सिंह ने कहा कि नियम कायदे को ताक पर रखकर तेजाब बिक्री होती है। यह दुखद है। इसकी निगरानी होनी चाहिए। कितनी बिक्री हुई इसका ऑडिट हो। कॉलोनी के लोगों एकजुट होकर आवाज उठाएं। गंगा राम साह ने कहा कि तेजाब से अनुचित कार्य होते हैं। इस पर अंकुश लगे। स्थानीय स्तर पर सहभागिता जरूरी है। मोहल्ला स्तर पर कमेटी बनाकर तेजाब बेचने वालों के खिलाफ लोगों को खड़ा होना होगा।

प्रमोद प्रसाद सिंह ने कहा कि आगे भी ऐसी घटना हो सकती है। समाज के लोग सुरक्षित नहीं हैं। तेजाब हमला शहर में कहीं आम बात न हो जाए। घटना में बढ़ोतरी नहीं हो इसे रोकना होगा। किशोर लाल गोस्वामी ने कहा कि समाज से तेजाबी मानसिकता को दूर करने की जरूरत है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा है। समाज से पहले अपने घर से शुरू करना होगा।

दिनेश चंद्र पांडे ने कहा कि आदेश और नियम कागजों की शोभा नहीं बने। इसे अमल में लाने के लिए प्रशासन को सजग होना होगा। हमें भी जागरूक होना होगा। सामाजिक सहभागिता से अंकुश लगेगा। आयुष आनंद ने कहा कि तेजाब हमला विकृत मानसिकता का परिणाम है। इसके लिए सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दोनों स्तरों पर काम करने की जरूरत है। कानून पर तो अमल होना ही चाहिए।

श्रेय कुमार ने कहा कि ऐसी घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों का बहिष्कार करें और तेजाब हमले की पीडि़ता के साथ सहयोग करें। ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। गौतम हरि ने कहा कि तेजाब की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद भी प्रशासन इस पर अमल नहीं कर रहा। इसी कारण तेजाब की बिक्री खुलेआम हो रही है। 

वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि तेजाब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। जब तक इसकी बिक्री पर रोक नहीं लगेगी, तब तक ऐसे ऐसे हादसे होते रहेंगे। विनोद कुमार मंडल ने कहा कि तेजाब की घटना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। ऐसा व्यक्ति किसी से प्यार नहीं करता बल्कि बदला लेना चाहता है।

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