Move to Jagran APP

23 साल बाद मारपीट के मुकदमे को मिलेगा फैसले का मुकाम, जानिए मामला Bhagalpur News

एकचारी रसलपुर में मध्य विद्यालय की दीवार को लेकर मारपीट और गाली-गलौज हुई थी। दर्ज प्राथमिकी असंज्ञेय(नन कागनिजेबल) था। पुलिस ने फिर भी आरोप पत्र दाखिल किया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 09:48 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 09:48 AM (IST)
23 साल बाद मारपीट के मुकदमे को मिलेगा फैसले का मुकाम, जानिए मामला Bhagalpur News
23 साल बाद मारपीट के मुकदमे को मिलेगा फैसले का मुकाम, जानिए मामला Bhagalpur News

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। कहलगांव अनुमंडल क्षेत्र के एकचारी में स्कूल की दीवार को लेकर 24 अक्टूबर 1997 को हुई साधारण मारपीट में 23 साल बाद फैसले को अब मुकाम मिलेगा। दरअसल भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 323 और 504 में प्राथमिकी सत्येंद्र नाथ यशवर्ती ने दर्ज कराई थी।

loksabha election banner

दर्ज प्राथमिकी में राधेश्याम मंडल, फंटुश झा और श्रीधर मंडल आरोपित बनाए गए थे। इनमें फंटुश और श्रीधर की मौत हो चुकी है। एकमात्र जीवित आरोपित राधेश्याम मंडल मुकदमा लड़ रहा है। उसकी ओर से जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडेय की अदालत में निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध दाखिल पुनर्विचार अर्जी पर जिला जज ने संज्ञान लिया है। उन्होंने साधारण मारपीट के इस मुकदमे को त्वरित निष्पादन का निर्देश द्वितीय श्रेणी की न्यायिक दंडाधिकारी पूजा शर्मा को दे दिया है।

यह था मामला

एकचारी रसलपुर में मध्य विद्यालय की दीवार को लेकर मारपीट और गाली-गलौज हुई थी। दर्ज प्राथमिकी असंज्ञेय(नन कागनिजेबल)था। पुलिस ने फिर भी आरोप पत्र दाखिल किया। तीन आरोपितों में जीवित बचे एकमात्र आरोपित राधेश्याम मंडल के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल कर दिया। घटना 24 अक्टूबर 1997 की थी। अदालत में विभिन्न न्यायिक दंडाधिकारियों की अदालत में मुकदमा स्थानांतरित होता रहा। आरोपित कचहरी का लंबे समय तक चक्कर लगाता रहा। 2016 में आरोपित ने थक कर मुकदमे में हाजरी-पैरवी करना छोड़ दिया। अंत में यह मुकदमा द्वितीय श्रेणी की न्यायिक दंडाधिकारी पूजा शर्मा की अदालत में आया।

अदालत ने मुकदमे में एकमात्र आरोपित की उपस्थिति नहीं होने पर उसे फरार घोषित करते हुए स्थायी वारंट जारी कर केस रिकार्ड को रिकार्ड रूम में भेज दिया। कालांतर जब स्थायी वारंट की जानकारी आरोपित को लगी तो उसने मुकदमे में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध पुनर्विचार अर्जी दाखिल की। उक्त अर्जी पर वरीय अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय ने आरोपित की ओर से अदालत के समक्ष दलीलें रखी। न्यायालय ने मंगलवार को निचली अदालत को उक्त मुकदमे के त्वरित निष्पादन करने का निर्देश दिया है। लंबे समय तक चले साधारण मारपीट के इस मुकदमे को फैसले का मुकाम मिल जाएगा।

क्या है भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 323 और 504 में प्रावधान

भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 323 साधारण मारपीट को परिभाषित करता है जिसमें एक साल की सजा या 1000 रुपये का जुर्माना या दोनों। मामला असंज्ञेय अपराध में आता है जो जमानती अपराध है। धारा 504 जानबूझ कर अपमानित करने की नीयत से किए गए अपराध को परिभाषित करता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है या जुर्माना। असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में है। जमानती अपराध है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.