अभेद्य किला नहीं बन सका सरकारी टीला
ऐसे में अगर बाढ़ आ गई तो ये टीला बाढ़ पीड़ितों के लिए अभेद्य किला नहीं बन पाएगा ।
सुपौल(मनोज कुमार): सरकार द्वारा वर्षों पूर्व बाढ़ प्रभावित इलाकों में करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए टीले आज कहीं लोगों के कब्जे में है तो कहीं ढह चुका है। ऐसे में अगर बाढ़ आ गई तो ये टीला बाढ़ पीड़ितों के लिए अभेद्य किला नहीं बन पाएगा जबकि इसका निर्माण बाढ़ प्रभावितों को उंचे स्थान पर शरण लेने के लिए किया गया था। मालूम हो कि सरकार के द्वारा इन टीलों को प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में करोड़ों रुपये खर्च कर बनवाया गया था। इसका निर्माण इसलिए किया गया था कि समय पर बाढ़ प्रभावित लोग इस टीले का उपयोग कर सकें। लेकिन आज इस करोड़ों रुपये की लागत से बने टीले या तो किसी विशेष परिवार के काम आ रहा है या फिर अंतिम दिन गिन रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि टीलों को चिह्नित जगह पर नहीं बनाकर मनमानी की गई। इसे वैसी जगहों पर बना जो उनके अपने लोगों का क्षेत्र था, अब वे इसपर कब्जा जमाए बैठे हैं। कई टीले पर लोगों के द्वारा मवेशियों का चारागाह बना लिया गया है तो कहीं लोगों द्वारा ईंट उखाड़कर घर बनाने में प्रयोग कर लिया गया। इतना ही नहीं कई जगहों के टीले पर दुकान खोलने के साथ-साथ पीएचईडी द्वारा टीले पर ही पानी टंकी का भी निर्माण करा दिया गया है।
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टीले के निर्माण में भी हुई थी अनियमितता
क्षेत्र में कुछ ऐसे भी टीले बनाए गए जिसमें संवेदक द्वारा मनमानी की गई। संवेदकों द्वारा कहीं पर टीले के उपर ईट सो¨लग नहीं करवाई गई तो कहीं टीले पर बनने वाला शेड नहीं बनवाया गया। हालांकि ग्रामीणों की शिकायत पर कुछ जगहों पर शेड के लिए पोल जरूर खड़े कर दिए गए लेकिन पोल गाड़ने के बाद भी चदरा नहीं लगवाया गया। फिलहाल कोसी उफना रही है, ऐसे में कहीं बाढ़ आ गई तो बाढ़ पीड़ितों की परेशानी बढ़ सकती है।
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लोगों की शिकायत पर भी नहीं होती है कार्रवाई
जब-जब बाढ़ के पानी से लोगों को समस्या हुई तब-तब लोगों ने प्रशासन से जर्जर टीले को मरम्मत एवं अतिक्रमण हुए टीले को खाली कराने का आग्रह किए। लेकिन प्रशासन द्वारा आश्वासन के बाद भी आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।