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व्यवस्था पर भारी पड़ी आस्था, आंगन में हुआ भागीरथ प्रयास

छठ घाटों पर नगर निगम एवं प्रशासन के अधूरे प्रयास के चलते इस बार कई श्रद्धालुओं ने आंगन में पूजा की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 09:51 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 09:51 PM (IST)
व्यवस्था पर भारी पड़ी आस्था, आंगन में हुआ भागीरथ प्रयास
व्यवस्था पर भारी पड़ी आस्था, आंगन में हुआ भागीरथ प्रयास

भागलपुर। छठ घाटों पर नगर निगम एवं प्रशासन के अधूरे प्रयास के चलते इस बार कई श्रद्धालुओं ने घर या मोहल्ले में ही पूजा करना मुनासिब समझा। शहर के 48 छठ घाटों में से 20 घाट पर श्रद्धालुओं को दलदल का सामना करना पड़ा।

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वहीं, चंपा नदी में प्रदूषण और कम पानी के कारण 18 घाटों पर गड्ढा खोदकर या अस्थाई तालाब बनाकर श्रद्धालुओं ने अ‌र्घ्य डाला। गंगा के किनारे रहकर भी श्रद्धालु तट तक नहीं पहुंच सके। व्यवस्था से आहत होकर श्रद्धालुओं ने घरों के आंगन, मंदिर परिसर और सार्वजनिक स्थानों पर तालाब खोदा गया था। इसमें नाथनगर के बालिका उच्च विद्यालय, गोलदारपट्टी रामलीला मैदान, मसकन बरारी, उमेश दास घाट, हाड़ीटोला लेन, मकदूम शाह दरगाह घाट, पुराना बीएन कॉलेज, हनुमान घाट, खिरनी घाट, झौवाकोठी घाट, पीपली घाम समेत आदि में अस्थाई घाटों का निर्माण पूजा समिति द्वारा किया गया था। घर आसपास अ‌र्घ्य की व्यवस्था के कारण मोहल्ले की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था।

छठ में स्वच्छता का विशेष महत्व होता है, इसके कारण नदी के प्रदूषित पानी से लोगों ने दूरी बनाए रखा। घाटों को सुविधा जनक बनाने का प्रशासन का दावा फेल साबित हो गया है। घाट के संपर्क मार्ग एवं घाट की सफाई को लेकर निगम की ओर से प्रयास किए गए, लेकिन दलदल से पटे घाटों ने व्यवस्था को धूमिल कर दिया है। हनुमान घाट, लंच घाट, कोयला घाट, किला घाट, पीपली धाम आदि घाटों पर दलदल को पाटने के लिए कसाल के बंडल की व्यवस्था की गई थी। जिसका फायदा श्रद्धालुओं को नहंी मिल सका। आस्था की डगर में श्रद्धालुओं ने बदहाल घाट को भी पार कर लिया। दलदल के बीच श्रद्धालु जूझते रहे, और लोग प्रशासन की व्यवस्था को कोसते रहे। शहर के घाटों पर स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से हरसंभव सुविधा प्रदान करने का प्रयास किया गया। संस्थाओं के प्रयास के आगे प्रशासन का प्रयास नाकाफी रहा। दलदल को नहंी पाटने से श्रद्धालुओं को बदहाली का दर्द दे गया। इसका सहज की अंदाज दलदल घाट से लगाया जा सकता है। छठ घाटों पर अ‌र्घ्य ढालने के लिए आए श्रद्धालुओं को इस बार भी जान जोखिम में डालकर कर नदी व गंगा के तट तक पहुंचना पड़ा। श्रद्धालुओं को दो फीट दलदल में पांव रखकर गुजरना पड़ा। महिला व बच्चों को दलदल पार कराने के लिए सहारे देना पड़ा। यही हाल छठ व्रर्तियों के साथ भी हुआ।

चंपा से बरारी तक बनें नहर तो पानी की समस्या होगी दूर :

श्रद्धालुओं ने कहलगांव की तर्ज पर नाथनगर से बरारी तक पंप नहर योजना से गंगा का पानी पहुंचाने की मांग प्रशासन से की है। ताकि सालों पर चंपा नदी में पानी की कमी नहीं हो। नदी में पानी रहने से जहां एक ओर दियारा और नदी के तटवर्ती क्षेत्र के किसानों को सिंचाई का लाभ मिल सकेगा। वहीं दूसरी ओर वाटर व‌र्क्स में जल भंडारण की समस्या से निजात मिल सकेगा। छठ महापर्व में हर वर्ष गंगा, चंपा नदी और तालाब के तटों पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लाखों लोग अ‌र्घ्य के लिए जुटते हैं। लोक आस्था के इस पर्व के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन स्थायी के बजाय अस्थायी व्यवस्था पर लाखों रुपये खर्च करते हैं। वो भी घाटों के मरम्मत के मद में।


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