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घरेलू विवाद के केस में धारा बदलने के खेल, लाभ के खेल में उजागर हुई दारोगा की कारगुजारी

भागलपुर में एक केस की धारा बदलने में फंसे तातारपुर थानाध्यक्ष सुबोध कुमार और दारोगा मुहम्मद कमाल। एडीजे-11 ने पकड़ी चालाकी तल्ख टिप्पणी के साथ एसएसपी को दिया जांच का आदेश। मामला अदालत में है। धारा को बाद में रहस्यमय तरीके से काट दिया गया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 01:08 PM (IST)
घरेलू विवाद के केस में धारा बदलने के खेल, लाभ के खेल में उजागर हुई दारोगा की कारगुजारी
भागलपुर में धारा को बाद में बदलने के मामले में पुलिस अधिकारी पर शिकंजा कसा।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। तातारपुर थाना क्षेत्र के कमरघट टोला में छह अगस्त 2019 को हुए घरेलू विवाद के केस में धारा बदलने के खेल में थानाध्यक्ष और जांचकर्ता फंस गए हैं। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-11 अतुल वीर सिंह ने आरोपित मुहम्मद आरिफ एवं अन्य की अग्रिम जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान जांचकर्ता दारोगा मुहम्मद कमाल और थानाध्यक्ष सुबोध कुमार की चालाकी पकड़ ली। केस डायरी में जिस आरोप को सत्य बताया गया। उसकी धारा को बाद में रहस्यमय तरीके से काट दिया गया।

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तफ्तीशकर्ता ने जब आरोपितों पर आरोप पत्र दाखिल किया तो फिर उस आरोप की धारा को जोड़ते हुए न्यायालय में दाखिल कर दिया। केस डायरी और आरोप पत्र का अवलोकन थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने किया था। दोनों पुलिस पदाधिकारियों ने ऐसा किस मकसद से किया यह जांच का विषय है।

न्यायाधीश ने की टिप्पणी

न्यायाधीश अतुल वीर सिंह ने गुरुवार को मामले में टिप्पणी करते हुए एसएसपी आशीष भारती को जांच करने को पत्र लिखा है। न्यायाधीश ने कहा है कि केस डायरी में जांचकर्ता ने धारा 308 (गैर इरादतन अपराध)के तहत मामले को सत्य बताया। लेकिन बाद में रहस्यमय तरीके से धारा 308 को काट दिया गया। बाद में उसपर लघु हस्ताक्षर किया गया है। जो पुलिस की कार्यशैली पर संदेह पैदा करता है। न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि यदि यह मान भी लिया जाए कि पुलिस ने सही एवं ईमानदारी पूर्वक कार्य करते हुए केस डायरी में अपना मंतव्य दिया है। ऐसे में किन परिस्थितियों में पुलिस ने आरोप पत्र में पुन : धारा 308 जोड़ते हुए आरोप पत्र दाखिल कर दिया। यह जांच का विषय है। एसएसपी भागलपुर इसकी जांच करें। न्यायाधीश ने आरोपितों की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए उन्हें तीन सप्ताह के अंदर न्यायालय में आत्मसमर्पण कर बंध पत्र देने को कहा है।

क्या है मामला

छह अगस्त 2019 को कमरघट लेन निवासी रूखसार खातून को उसके देवर आरिफ आदि ने गाली-गलौज करते हुए पटक कर सिर फोड़ दिया था। शोर मचाने पर किसी तरह उसकी जान बची थी। दारोगा मुहम्मद कमाल अनुसंधानकर्ता बनाए गए। केस भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 448, 341, 323, 308, 504/34 के तहत दर्ज किया गया था। इन तमाम धारा में 308 गैर इरादतन संगीन अपराध को परिभाषित करता है। इसी धारा को लगाने और हटाने में जांचकर्ता और इंस्पेक्टर के खेल पर न्यायालय ने टिप्पणी की है।


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