कहां गुम हो गई चंपा : बालू के लिए नदी को दिया जख्म पर जख्म
इस नदी से सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई की जाती थी पर नदी के तट से करीब 20 फीट की गहराई तक बालू निकाल लिए जाने से जलस्तर काफी गिर गया। इससे नदी का जलस्रोत भी प्रभावित हुआ।
भागलपुर [जेएनएन]। अंधरी पुल से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित दराधी गांव है। यहां नदी को अंधरी नाम से जानते हैं, जो आगे जाकर चंपा हो जाती है। तब नदी में पर्याप्त पानी था। इससे सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई की जाती थी, पर नदी के तट से करीब 20 फीट की गहराई तक बालू निकाल लिए जाने से जलस्तर काफी गिर गया। इससे नदी का जलस्रोत भी प्रभावित हुआ। प्राकृतिक सिंचाई व्यवस्था चरमरा गई। यही नहीं, दराधी पुल के पिलर की नींव से भी लोगों ने बालू निकाल लिया। इसकी वजह से अंग्रेज जमाने में निर्मित पुल एक दशक पहले ध्वस्त हो गया।
छवनियां बहियार से नाथनगर की ओर मुड़ी धारा
नदी दरियापुर से दो किलोमीटर की दूरी तय कर नाथनगर प्रखंड के छवनियां बहियार की ओर मुड़ती है। यह सीधे चंपानगर की ओर आती है। बाढ़ के समय में छवनियां तक गंगा का पानी भी चंपा नदी में मिलता है। यहां नदी में अभी पांच फीट तक पानी है। लेकिन बालू की कमी के कारण एक-दो महीने में यहां का पानी सूख जाएगा।
चंपानगर पहुंचते ही मैली हो गई चंपा
छवनियां से भतोडिय़ा और बिहारीपुर होते हुए पांच किलोमीटर की दूरी तय कर नदी चंपा पुल तक पहुंचती है। नालों का गंदा पानी और कूड़ा-कचरा के कारण इसका पानी बदरंग हो गया है। चंपा पुल से बरारी तक 10 किलोमीटर के नदी क्षेत्र में नगर निगम के इलाकों के 80 छोटे-बड़े नालों का पानी गिरता है। यहीं नहीं, नदी के आसपास के बड़े क्षेत्र को अवैध तरीके से कूड़े का डंपिंग जोन बना दिया गया है, जो नदी और वहां के निवासियों के लिए काफी खतरनाक हो गया है।