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कहां गुम हो गई चंपा : उफनाती चंपा से बचने को बना दिया था जिलेबिया बांध

चंपा नदी के तेज बहाव के कारण नाथनगर के पुरानी सराय गांव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया था। नदी लबालब थी। खतरा मंडराया तो आसपास के ग्रामीणों ने बांध बनाने का निर्णय लिया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 07:57 AM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 07:57 AM (IST)
कहां गुम हो गई चंपा : उफनाती चंपा से बचने को बना दिया था जिलेबिया बांध
कहां गुम हो गई चंपा : उफनाती चंपा से बचने को बना दिया था जिलेबिया बांध

भागलपुर [जेएनएन]। एक वो समय था जब उफनाती चंपा नदी के कारण तटवर्ती क्षेत्र के ग्रामीण सहम जाते थे। चंपा की धारा कोसी और गंगा से कम नहीं थी। बात 1960 के आसपास की है। चंपा नदी के तेज बहाव के कारण नाथनगर के पुरानी सराय गांव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया था। नदी लबालब थी। खतरा मंडराया तो आसपास के ग्रामीणों ने बांध बनाने का निर्णय लिया।

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बाढ़ और नदी का तेज बहाव देखते हुए ग्रामीणों ने दो किमी लंबा बांध बना डाला था। उस समय नौजवान और महिलाएं ही नहीं, बुजुर्ग और बच्चों ने भी इसके लिए श्रमदान किया था। काम पूरा होने के बाद उत्साहित ग्रामीणों ने जलेबी का भोज किया था। इसलिए बांध का नाम जलेबिया बांध पड़ गया।

पुरानी सराय में भी गंगा और चंपा को होता था संगम

चंपा नदी के किनारे बसे पुरानी सराय के ग्रामीणों को वह दिन आज भी याद है। ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के दिनों में सुल्तानगंज होकर गंगा की एक धारा अकबरनगर और पुरानी सराय होते हुए चंपा में आकर मिलती थी।

एक-दूसरे पर लेटकर रोका था चंपा का बहाव

1962 में आई बाढ़ से गांव पर खतरा मंडराने लगा। रौद्र रूप धारण कर चुकी चंपा के प्रवाह को बांधना तब आसान नहीं था। गांव की ओर रिस रहे पानी को रोकने के तिलकधारी मंडल (दिवंगत) ने हिम्मत जुटाई थी। तिलकधारी रिसाव वाले स्थान पर पहले लेट गए थे। उनकी हिम्मत को देख ग्रामीण भी आगे आए। एक पर एक लोगों ने लेटकर रिसाव को रोक दिया था। बताया जाता है कि दर्जनों ग्रामीण उन्हीं लोगों के ऊपर मिट्टी डालने लगे। कुछ घंटे बाद मिट्टी का टिला खड़ा हो गया। इसके बाद तिलकधारी और अन्य लोगों को निकाला गया था। ग्रामीण जगदीश मंडल बताते हैं कि इसके बाद जिलेबिया बांध बनाना शुरू किया गया। दो किलोमीटर लंबे को 1966 में तैयार कर लिया गया।

आज भी 20 फीट ऊंचा है बांध

बांध को तैयार करने में प्रतिदिन 250 के करीब ग्रामीण श्रमदान करते थे। आज भी 20 फीट ऊंचा बांध अपने अस्तित्व में है और गांव की सीमा पर चंपा नदी के किनारे खड़ा है। चंपा पुल के समीप जिलेबिया बांध की शुरुआत की गई थी। नदी के किनारे से होकर पुरानी सराय और भुवालपुर गांव तक यह बांध है।

बांध से इन गांवों को मिला लाभ

चंपा नदी के तट पर बांध तैयार करने से पुरानी सराय के साथ भुवालपुर, रन्नुचक, किशनपुर, हरिदासपुर, श्रीरामपुर और अकबरनगर के 50 से अधिक गांवों से बाढ़ से राहत मिली थी।

मुख्य बातें

- पुरानी सराय गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों ने उठाया था कदम

- श्रमदान कर महिला, वृद्ध और बच्चों ने भी दिया था योगदान

- 250 ग्रामीणों ने प्रतिदिन श्रमदान किया था

- 1962 से शुरू किया गया था बांध का निर्माण

- 1966 में पूरा किया हो पाया था निर्माण कार्य

- 02 किलोमीटर लंबा है बांध, कई गांवों को बांढ़ से मिली राहत

- 20 फीट ऊंचा बांध अब भी है चंपा नदी के किनारे अस्तित्व में


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