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कहां गुम हो गई चंपा : चंपा की संगिनी महमूदा धार भी हो गई विलुप्त

महमूदा की मुख्य धारा जगदीशपुर स्थित बहरागाछ के पास चानन से निकलती थी। चंपा और महमूदा के पानी से जगदीशपुर नाथनगर और शहकुंड प्रखंड के 350 से अधिक गांवों की सिंचाई हुआ करती थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 08:30 AM (IST)
कहां गुम हो गई चंपा : चंपा की संगिनी महमूदा धार भी हो गई विलुप्त
कहां गुम हो गई चंपा : चंपा की संगिनी महमूदा धार भी हो गई विलुप्त

भागलपुर [जितेंद्र कुमार]। चानन से निकलने के बाद चंपा अपने प्रवाह मार्ग में महमूदा की तीन धाराओं से तृप्त होती थी। ये धाराएं भी सदानीरा थीं। इनसे चंपा को भरपूर पानी मिल जाता था। लबालब चंपा अपने रास्ते में पडऩे वाले गांवों को समृद्ध कर गंगा मिल जाती थी। 50 साल पहले तक चंपा का भूगोल ऐसा ही था।

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महमूदा की मुख्य धारा जगदीशपुर स्थित बहरागाछ के पास चानन से निकलती थी। चंपा और महमूदा के पानी से जगदीशपुर, नाथनगर और शहकुंड प्रखंड के 350 से अधिक गांवों की सिंचाई हुआ करती थी। खेतों में रबी और खरीफ दोनों ही फसलों लहलहाती रहती थीं। किसान खुशहाल थे। इनके घर अनाज से भरे रहते थे। लेकिन जो कहानी चंपा के साथ हुई, वही महमूदा के साथ भी। चानन नदी में अंधाधुंध बालू खनन के चलते यह सूखती चली गई। चानन की पेटी से बालू निकाले जाने के कारण बहरागाछ के पास यह 20 फीट तक गहरी हो चुकी है। उद्गम स्थल के पास ही महमूदा धार का चानन से संपर्क टूट गया है। 1995 के बाद से तो इसमें पानी आना भी बंद हो गया है। इसका प्रभाव चंपा नदी पर भी पड़ा है।

नहर बनाने की कवायद भी गर्भ में

नाथनगर के विधायक और पूर्व मंत्री रहीं सुधा श्रीवास्तव (दिवंगत) के प्रयास से 2006 में महमूदा के कायाकल्प की कवायद शुरू हुई थी। उन्होंने तत्कालीन लघु सिंचाई मंत्री के साथ महमूदा धार का स्थल निरीक्षण किया था। तब इसे नहर के रूप में विकसित करने पर बात बनी थी। सुधा श्रीवास्तव के निधन के बाद योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी।

धारा में बना दिया गया नगर निगम का डंपिंग ग्राउंड

कनकैथी गांव से होकर नाथनगर की ओर गुजरने वाली महमूदा की धारा को खत्म करने की कोशिश कम नहीं हुई। पहले बालू उत्खनन कर धारा का अस्तित्व ही समाप्त किया गया। अब राजस्व विभाग ने नगर निगम को इसमें में कूड़ा गिराने के लिए करीब 10 एकड़ भूमि आवंटित कर दी है। इसके मार्ग कहीं सड़क बना दी गई तो कहीं गांव ही बस गया। बालू उत्खनन और अतिक्रमण का सिलसिला अब भी जारी है। वहीं, जल संसाधन विभाग बांका के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि महमूदा धार में नहीं बल्कि उसके किनारे कूड़ा गिराया जा रहा है। इससे इस धारा का कोई जुड़ाव नहीं है। अधिकारी के बयान से जलस्रोतों के प्रति शासन-प्रशासन की संजीदगी समझी जा सकती है।

20 लाख रुपये से होना था जीर्णोद्धार

ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से लघु सिंचाई विभाग को 2006 के करीब 20 लाख रुपये का काम मिला था। इस योजना के तहत महमूदा के मुहाने बहरागाछ से नवटोलिया तक डांड की खोदाई एवं छिटका का निर्माण किया जाना था। इस पर 10 फीसद भी काम नहीं हुआ है। आवंटित पैसों का क्या हुआ, कहां बंदरबांट हुई इससे किसी को मतलब नहीं है। जिम्मेदार लोगों ने इसकी खोज खबर तक नहीं ली।

धारा खुल जाए तो किसान होंगे खुशहाल

चानन के मुहाने से चंपा नदी और महमूदा की धारा खोले जाने से जगदीशपुर, नाथनगर व शाहकुंड प्रखंड के 350 गांवों के किसान खुशहाल हो सकते हैं। ये धाराएं ही यहां की खेती-किसानी की जीवनधारा हैं। इसके उद्गम स्थल के समीप मुहाने को खोलने के लिए 20 फीट तक खोदाई की आवश्यकता है। इससे खेतों में पानी पहुंचने लगेगा। सरदारपुर गांव के चंद्रशेखर प्रसाद ने बताया कि जेठौर के तर्ज पर स्लुईस गेट या चैक डैम बनाने की जरूरत है। इससे नदी में पानी का संग्रहण किया जा सकेगा। पुरैनी और जगदीशपुर को बाढ़ से बचाया जा सकेगा।

मुख्य बातें

- जगदीशपुर प्रखंड के बहरागाछ के समीप चानन से निकलती है महमूदा

- अंधरी पुल से बिहारीपुर के बीच चंपा में महमूदा की तीन अलग-अलग धाराएं मिलती है

- 10 किमी. लंबी थी महमूद की धारा, चंपा की पेटी को जल से करती थी तृप्त

- 200 से गांवों की होती थी सिंचाई, ये गांव जगदीशपुर, नाथनगर और शहकुंड में हैं

- 20 फीट नीचे हो गई चानन की धारा, उद्गम स्थल पर ही सूख गई महमूदा

यहां होता है चंपा और महमूदा का मिलन

- पहली धारा बेलसिरा से फुटकर गौराचोकी के पास मिलती है

- दूसरी धारा दराधी पुल से दरियापुर के बीच गुजरती हुई चंपा में मिलती है

- तीसरी धारा नाथनगर के बेलसिरा गांव से निकलकर चंपा पुल के समीप बिहारीपुर में मिलती है


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