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यहां डेढ़ मिनट में ही हो जाता है पूरा इलाज

सदर अस्पताल में इन दिनों मरीजों के साथ गजब का खेल हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 10:53 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 06:29 AM (IST)
यहां डेढ़ मिनट में ही हो जाता है पूरा इलाज
यहां डेढ़ मिनट में ही हो जाता है पूरा इलाज

हैदर अली, (मुंगेर)। सदर अस्पताल में इन दिनों मरीजों के साथ गजब का खेल हो रहा है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानक के हिसाब से एक मरीज पर कमसे कम 12 से 15 मिनट समय देना है। पर, यहां समय कम होने और भीड़ से बचने के लिए डॉक्टर साहब हर मरीज को डेढ़ से दो मिनट में ही निपटा दे रहे हैं। मतलब इतने कम समय में मरीज का पूरा इलाज हो जा रहा है। यह हाल आउटडोर के सभी विभाग का है। दरअसल, सदर अस्पताल के आउटडोर में डॉक्टर सुबह 8.30 से 12.30 बैठते हैं। रविवार को छोड़कर हर दिन कमसे कम 900 के करीब मरीज आउटडोर में इलाज कराने पहुंचते हैं। चार घंटे में एक चिकित्सक के पास डेढ़ से दौ मरीज का इलाज करते हैं। 240 मिनट में दो सौ मरीजों का इलाज किया जाता है। मतलब एक मरीज पर डेढ़ से दो मिनट। शनिवार को ओपीडी में मरीजों को पर्याप्त इलाज ना मिल की शिकायत पर दैनिक जागरण की टीम सदर अस्पताल का हाल जानने पहुंची। अस्पताल का जो नजारा देखने मिला वह सरेआम बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहा था। ओपीडी की गैलरी में मरीजों की काफी भीड़ जमा थी। कुछ मरीज लाइन में लगे थे तो कुछ बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। कक्ष में डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे। एक मरीज निकलता तो दूसरा ओपीडी के अंदर जा रहा था।

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डॉक्टरों की संख्या काफी कम

चर्म रोग, मानसिक रोग, ईएनटी, चेस्ट, दंत, स्त्री रोग, रेडियोलॉजिस्ट विभाग का हाल खराब है। इस संबंध में जब एक उपाधीक्षक से बात की गई तो उनका कहना था कि मेडिकल कॉलेज में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है लेकिन अभी भी डॉक्टर्स का अभाव है। उन्होंने माना कि एक मरीज पर दस से 15 मिनट का समय देना जरूरी है लेकिन वर्क लोड के चलते मरीज को पूरा समय नहीं दे पाते हैं।

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किस विभाग में कितना इलाज

शनिवार को स्त्री विभाग में दो सौ, फीजिशियन ने दो सौ, दंत चिकित्सक ने 50, आंख विशेषज्ञ ने 50 और शिशु रोग विशेषज्ञ ने 50 मरीजों का इलाज किया। अन्य दिनों की अपेक्षा भीड़ कम थी। रविवार को आउटडोर बंद रहता है। सोमवार को भीड़ एक हजार से ज्यादा पहुंच जाता है।

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सदर अस्पताल में चिकित्सकों का पद

अधीक्षक नहीं

सर्जन दो, एक रिक्त

स्त्री रोग विशेषज्ञ दोनों रिक्त

चर्मरोग रिक्त

शिशु रोग दो, एक पद रिक्त

बेहोशी एक भी डॉक्टर नहीं

कान विभाग एक डॉक्टर नहीं

रेडियोलॉजिस्ट का दोनों पद खाली

आयुष्मान चिकित्सक का पद खाली

पैथोलॉजी का पद खाली

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कोट

ओपीडी में आने वाले मरीजों के इलाज का डॉक्टर्स पर काफी लोड होता है। नियम से देखा जाए तो 40 से 50 मरीज की ओपीडी होनी चाहिए लेकिन मरीजों की तादाद अधिक होने के कारण उन्हें भी देखना मजबूरी है। डॉक्टर कम होने के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं।

- डॉ. सुधीर कुमार, उपाधीक्षक सदर अस्पताल।


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