फर्जी पॉजिटिव रिपोर्ट बनाने में फंस चुका है भागलपुर सदर अस्पताल का कर्मी, अब टीकाकरण में भी हो रही धांधली
भागलपुर में कोरोना वैक्सीन में फर्जीवाड़ा के मामले का खुलासा होने पर हड़कंप मचा हुआ है। जांच के दौरान कई अधिकारियों और कर्मियों पर गाज गिरना तय हो गया है। इसमें से कई कर्मचारी पहले भी फर्जीवाड़ा में फंस चुके हैं।
भागलपुर [रजनीश]। कोरोना जांच के बाद अब (मंगल टीका) में भी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सारे कायदे-कानून को ताक पर रखकर फ्रंट लाइनर के अलावा उनके सगे-संबंधित दूसरे को भी कोविड वैक्सीन का इंजेक्शन पड़ रहा है। अभी तक जिले में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले आ चुके हैं। मामला बढ़ते ही जांच का आदेश भी दिया गया है। अभी तक वैक्सीन फर्जीवाड़ा होने के बावजूद अधिकारियों को अब तक पता नहीं चल पाया था। जिला स्वास्थ्य विभाग भी सिर्फ जांच का रट लगाए बैठा है। कोविड वैक्सीन (मंगल टीका) की सूची स्वास्थ्य विभाग को संबंधित विभाग सौंपता है, इसके बाद उन्हें टीका लगाया जाता है।
कहीं पैसे देकर तो नहीं जोड़ा जा रहा नाम
वर्ष 2020 के अक्टूबर माह में सदर अस्पताल में बिना जांच किए ही कोरोना जांच की पॉजिटिव रिपोर्ट पैसे लेकर देने का मामला सामने आया था। अस्पताल कर्मी ने एक मोबाइल कंपनी में कार्यरत कर्मी को पैसे देकर पॉजिटिव रिपोर्ट सौंप दी थी और 21 दिनों तक आराम करने की सलाह दे दी। पर्ची पर अस्पताल प्रभारी एके मंडल का फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिया था। इसके बाद कंपनी के अधिकारी अस्पताल प्रभारी एके मंडल से मिलने अस्पताल पहुंच गए। पर्ची दिखाने के बाद कर्मचारी की करतूत सामने आई, स्वास्थ्य कर्मी पुरुषोत्तम झा ने अस्पताल प्रभारी का ही फर्जी हस्ताक्षर कर रिपोर्ट जारी कर दी थी। इसके बाद कर्मचारी की गिरफ्तारी हुई थी। अब मंगल टीका में भी इसी तरह का खेल सामने आने लगा है। इसमें भी कहीं न कहीं पैसे की बदौलत भी आम लोगों को मंगल टीकाकरण की सूची में जोड़ा जा रहा है।
जेएलएनएमसीएच में लीपापोती की तैयारी
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में नियम के विरुद्ध कोरोना के टीके लगाने संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद बुधवार को अस्पताल में हड़कंप मच गया। यहां अब मामले की लीपापोती की तैयारी चल रही है। निबंधन विभाग से लेकर वैक्सीनेशन विभाग पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. एके भगत ने भी मामले की जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर की है। इधर, सूत्रों की मानें तो अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को लेकर जवाब -तलब भी किया है, लेकिन कोई कुछ बोलने से परहेज कर रहा है। दरअसल, पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीके लगने थे, लेकिन सगे-संबंधियों को भी टीके लगा दिए गए। अब सवाल उठता है कि कोरोना का टीका लगाने के पहले स्वास्थ्य कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन कैसे किया गया। पहचान पत्र प्रमाण के साथ मोबाइल नंबर भी भेजे गए। यहां दो स्वास्थ्य प्रबंधकों की पत्नी और पति का भी मंगल टीका के लिए निबंधन किया गया है। इसके अलावा एंबुलेंस चालक के परिवार के सदस्य भी इस सूची में शामिल हैं, उन्हें टीका भी लगा दिया गया है। यह सारा खेल चलता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी।
सूची बनाने के समय ही हो रहा खेल
मंगल टीका के पहले चरण में हेल्थकर्मी और दूसरे चरण में फ्रंट लाइनर को दिया जाना है, लेकिन इससे इतर भी लोग टीका लगवा रहे हैं। फर्जीवाड़ा का सारा खेल सूची से ही हो रहा है। जिस विभाग से हेल्थ कर्मी और फ्रंट लाइनर की सूची तैयार की जा रही है उस सूची में आम लोगों का नाम भेजा जा रहा है जो कहीं से न स्वास्थ्य कर्मी है और न ही फ्रंट लाइर। अब जब मामला तूल पकडऩे लगा है तो विभाग भी ऐसे लोगों की पहचान में जुट गया है।
अभी तक कोविड वैक्सीन लेने में फर्जीवाड़े की पुख्ता सूचना नहीं मिली है। वैक्सीन लेने वालों की सूची संबंधित विभाग से दिया जाता है। उसी आधार पर वैक्सीन लगाया जाता है। अगर फजीवाड़ा हुआ है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। इसमें शामिल दोषी नहीं बख्शे जाएंगे। -डॉ. विजय कुमार, सिविल सर्जन।