JLNMCH : सीमांचल क्षेत्र का आतंक था कुख्यात बुच्चन यादव
बुच्चन यादव पर हत्या लूट रंगदारी लूट समेत दर्जनों संगीन मामले दर्ज हैं। उसे 2019 में प्रशासनिक आधार पर पूर्णिया जेल से भागलपुर स्थित विशेष केंद्रीय कारा भेजा गया था।
भागलपुर, जेएनएन। बूचन यादव की मौत से सीमांचल का आतंक समाप्त हो गया। दर्जनों अापराधिक मामले के आरोपी बूचन की मौत इलाज के दौरान भागलपुर में हुई थी। पूर्णिया का बड़हरा कोठी क्षेत्र इससे काफी आतंकित था। हालांकि इसकी अपराधी की कहानी पूरे सीमांचल जिले में थी।
सीमांचल के कुख्यात अपराधी ब्रजकिशोर उर्फ बूचन यादव की देर रात को स्थानीय जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। भागलपुर के कैंप जेल में बंद इस विचाराधीन कैदी की पिछले कई माह से यहां किडनी की बीमारी का इलाज चल रहा है। वह मूलरूप से पूर्णिया के बड़हरा कोठी इलाके के मोजम पट्टी का रहने वाला था। उसकी पत्नी नीलम देवी गौरीपुर की वर्तमान मुखिया है। बुच्चन यादव पर हत्या, लूट, रंगदारी, लूट समेत दर्जनों संगीन मामले दर्ज हैं। उसे 2019 में प्रशासनिक आधार पर पूर्णिया जेल से भागलपुर स्थित विशेष केंद्रीय कारा (कैंप जेल) भेजा गया था। यहीं उसे उसका इलाज चल रहा था।
मेडिकल कॉलेज में तैनात था पुलिस बल
घटना की जानकारी मिलने पर काफी संख्या में लोग मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। पोस्टमार्टम के लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई। जबकि मेडिकल बोर्ड से बूचन का पोस्टमार्टम कराया गया। बूचन के मौत की जानकारी पाकर नवगछिया के गोपालपुर विधायक गोपाल मंडल भी पहुंचे थे। वहीं विधि व्यवस्था को लेकर सिटी डीएसपी राजवंश सिंह व बरारी चौकी इंचार्ज नवनीश कुमार दल बल के साथ मेडिकल कॉलेज में तैनात थे।
चार अप्रैल 2019 को हुई थी गिरफ्तारी
कुख्यात बूचन यादव का पैर बमबाजी में उड़ा गया था। उसका इलाज कराने के लिए वह सिलीगुड़ी गया था। वहां इलाज कराने के बाद वह बंगाल के कूच बिहार स्थित एक फ्लैट में छिपकर अपने स्वजनों के साथ रह रहा था। पुलिस ने गुप्त सूचना मिलने पर फ्लैट में छापेमारी कर बूचन उसके बेटे शबनम कुमार व परमानंद यादव को गिरफ्तार किया था। बूचन व शबनम 11 फरवरी को हुए रानी देवी हत्याकांड का आरोपित था। पूर्णिया की स्पेशल टीम ने उसे 10 दिनों तक रेकी करने के बाद दबोचा था।
गैंगवार में उड़ा था बम से पैर
बता दें कि बूचन यादव 11 फरवरी 2019 को मौजमपट्टी में हुए गैंगवार के बाद काफी दिनों बाद चर्चा में आ गया था। अखिलेश और बूचन यादव के बीच गैंगवार हुआ था। इसी गैंगवार में बूचन का पैर उड़ गया था और उसके पांच गुर्गे गोलीबारी में घायल हुए थे। वहीं बूचन गिरोह के लोगों ने अखिलेश यादव की समर्थक रानी देवी की गोली मार हत्या कर दी थी।
मधेपुरा नरसंहार में आया था नाम
बूचन यादव गिरोह ने एक गैंगवार में मौजमपट्टी हाट मैदान में दिनदहाड़े ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। गिरोह के लोगों ने दूसरे पक्ष के रामाकांत यादव, नीरज व वकील यादव की हत्या कर दी थी। इस मामले में बूचन के बेटे साहिल सौरभ समेत नौ लोगों पर केस दर्ज किया गया था। 90 के दशक में बूचन यादव कोसी-सीमांचल का आतंक था। पूॢणया में बूचन पर 26 अगस्त 1996 को पहला हत्या का केस दर्ज किया गया था। बूचन पर 2002 में मधेपुरा में हुए नरसंहार का भी मामला दर्ज हुआ था। वर्ष 2007 में हुए एक हत्याकांड मामले में 2016 में पूर्णिया व्यवहार न्यायालय ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।