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सिंडिकेट और सीनेट सदस्यों का चुनाव नवंबर या दिसंबर में

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का बंटवारा हो जाने के बाद भी कई समितियों का स्वरूप बदल जाएगा। सीनेट, सिंडिकेट और विद्वत परिषद् का आकार छोटा हो जाएगा। कई सदस्यों के लिए फिर से चुनाव होगा। कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई बैठक में सीनेट और सिंडिकेट सदस्यों के लिए चुनाव कराने का निर्णय लिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 08:57 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 08:57 AM (IST)
सिंडिकेट और सीनेट सदस्यों का चुनाव नवंबर या दिसंबर में
सिंडिकेट और सीनेट सदस्यों का चुनाव नवंबर या दिसंबर में

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का बंटवारा हो जाने के बाद भी कई समितियों का स्वरूप बदल जाएगा। सीनेट, सिंडिकेट और विद्वत परिषद् का आकार छोटा हो जाएगा। कई सदस्यों के लिए फिर से चुनाव होगा। कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई बैठक में सीनेट और सिंडिकेट सदस्यों के लिए चुनाव कराने का निर्णय लिया गया। चुनाव के नवंबर या दिसंबर में होने की संभावना है। हालांकि चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर देने का निर्देश भी कुलपति की ओर से दिया गया है। छात्रसंघ का स्वरूप बदल जाएगा।

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तिलकामाझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अधीन 29 अंगीभूत कॉलेज थे। मुंगेर विवि के अस्तित्व में आ जाने के बाद तिलकामाझी विवि के पास मात्र 12 कॉलेज ही रह गए हैं। सिंडिकेट में कॉलेज की स्थापना के आधार पर दो प्राचार्य सदस्य के रूप में रहते हैं। यह रोटेशन पर होता है। वर्तमान समय में जेआरएस कॉलेज मुंगेर और मुरारका कॉलेज सुल्तानगंज के प्राचार्य सिंडिकेट के सदस्य हैं। जेआरएस कॉलेज मुंगेर अब मुंगेर विवि का हिस्सा हो गया है। इस कारण तिलकामाझी विवि से जुडे़ कॉलेजों के प्राचार्य अब सिंडिकेट के सदस्य बनेंगे।

चार कॉलेज के प्राचार्य बन सकेंगे सीनेट का मेंबर

सीनेट में वन-थर्ड कॉलेज के प्राचार्य सदस्य होते हैं। पहले 29 अंगीभूत कॉलेज में से 10 कॉलेज के प्राचार्य सीनेट के मेंबर होते थे। अब 12 अंगीभूत कॉलेज में मात्र चार कॉलेज के प्राचार्य सीनेट का मेंबर बन सकेंगे। टीएनबी कॉलेज, मारवाड़ी कालेज, एसएम कॉलेज के अलावा एक अन्य कॉलेज के प्राचार्य सीनेट सदस्य बन सकेंगे। वहीं, विद्वत परिषद् में 50 फीसद प्राचार्य सदस्य होते हैं। अभी 15 कॉलेजों के प्राचार्य विद्वत परिषद के सदस्य हैं। 12 कॉलेज होने के कारण मात्र छह कॉलेजों के प्राचार्य ही विद्वत परिषद् के सदस्य बन सकेंगे। साथ ही तीन संबद्ध कॉलेज के प्राचार्य विद्वत परिषद के सदस्य बनेंगे। सीनेट और सिंडिकेट के लिए शिक्षक और कर्मचारी प्रतिनिधियों का भी चुनाव होगा। अभी तक 29 अंगीभूत कॉलेजों के आधार पर प्रतिनिधि चुने गए थे। अब 12 कॉलेजों के आधार पर प्रतिनिधि का चुनाव होगा। सीनेट के लिए छात्रसंघ के पांच प्रतिनिधियों का भी चुनाव होगा।

नामित सदस्यों में से दो-तीन ही बैठक में शामिल होते हैं

वर्तमान समय में सिंडिकेट में एक भी निर्वाचित सदस्य नहीं हैं और नामित सदस्यों में जो लोग हैं उनमें से दो-तीन ही बैठक में शामिल होते हैं। सिंडिकेट के सदस्य सीनेट के भी सदस्य होते हैं। नामित सदस्य जो सिंडिकेट बैठकों में शामिल होते हैं, वही सीनेट की बैठकों में भी रहते हैं। सीनेट के ज्यादातर नामित सदस्य बैठक में आते ही नहीं हैं। वित्त समिति में दो ही निर्वाचित सदस्य डॉ. राजीव रंजन सिंह और रामगोपाल पोद्दार हैं जबकि नामित सदस्य इसकी बैठक में आते नहीं हैं। सीनेट में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नामित 10 एमएलए, विधान परिषद के सभापति की ओर से नामित चार सदस्य, राजभवन के नामित सदस्य तथा सरकार के 10 नामित सदस्य रहते हैं। इसके अलावा विवि के अधिकारी, सिंडिकेट के सदस्य, हेड, प्राचार्य भी रहते हैं। लेकिन विस अध्यक्ष तथा विप सभापति के नामित सदस्य शायद ही कभी सीनेट की बैठक में भाग लेते हैं। सिंडिकेट सदस्य होने के नाते एमएलसी संजीव सिंह, मनोज यादव और एक, दो और नामित सदस्य ही बैठक में आते हैं। जो शुल्क देकर सदस्य बनते हैं, फिर भी नहीं आते हैं।

सिंडिकेट का चुनाव जल्द होगा

सिंडिकेट का चुनाव 2008-09 में हुआ था। इसका कार्यकाल तीन साल का होता है। इसके चुनाव में सीनेट के सदस्य भी शामिल होते हैं। लेकिन मुंगेर विवि अलग होने के बाद सीनेट का चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद सिंडिकेट का चुनाव होगा। वित्त कमेटी का भी चुनाव होना है। कुलपति डॉ. नलिनी कात झा ने कहा है कि सिंडिकेट का चुनाव जल्द होगा।

सिंडिकेट की स्थिति

टीएमबीयू के सिंडिकेट की स्थिति और भी बदतर है। इसमें सरकार के पाच नामित सदस्य संजीव कुमार सिंह, मनोज यादव, डॉ. हरपाल कौर, मो. ए सलाम और अशोक चौधरी हैं जबकि राजभवन से नामित सदस्य रामाश्रय सिंह हैं। लेकिन सिंडिकेट की ज्यादातर बैठकों में ये सभी नामित सदस्य एकसाथ शामिल होते शायद ही दिखे हैं। चुनाव से आए सदस्यों की स्थिति भी खराब है। अभी सिंडिकेट से हटाए गए डॉ. गुरुदेव पोद्दार भी चुनाव जीतकर आए थे। शिक्षक कोटे से प्रो. अरुण कुमार सिंह, डॉ. दयानंद राय और डॉ. विलक्षण रविदास चुनकर आए थे। डॉ. राय और डॉ. रविदास कैटेगरी बदलने के कारण इससे अलग हुए जबकि अरुण कुमार सिंह का निधन हो चुका है। शिक्षकेत्तर कर्मी के कोटे से शारदा प्रसाद सिंह, बबुआ नंदन सिंह, ब्रजलेश्वर प्रसाद सिंह निर्वाचित हुए थे। इनमें से दो का देहात हो चुका है जबकि एक के रिटायर होने से सदस्यता खत्म हो गई।

क्या कहता है नियम

विवि एक्ट, राजभवन और सरकार के स्तर से विश्वविद्यालयों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण इकाइयों में अधिकारियों के साथ कुछ सदस्य रखे गए हैं। ये सदस्य चुनाव से भी आते हैं और विधानसभा, विधान परिषद, राजभवन तथा सरकार से नामित होकर भी शामिल होते हैं।


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