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स्वच्छ सर्वेक्षण 2021: आखिर क्यों पिछड़ गया स्मार्ट सिटी भागलपुर? 379 से 523वीं रैंक पर पहुंचा जिला

स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में देश भर की स्वच्छता रैंकिंग में 523वीं रैंक पर पहुंचा भागलपुर। पड़ोसी जिला बांका ने 478वीं रैंक लाकर पछाड़ा। संसाधन वही पर साफ-सफाई व्यवस्था गिरी। पांच राज्यों के गंगा से सटे 91 शहरों की रैंकिंग में भागलपुर को 40वीं रैंक मिली।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 08:34 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 08:34 AM (IST)
स्वच्छ सर्वेक्षण 2021: आखिर क्यों पिछड़ गया स्मार्ट सिटी भागलपुर? 379 से 523वीं रैंक पर पहुंचा जिला
देशभर की स्वच्छता रैंकिंग में 523वीं रैंक पर पहुंचा भागलपुर

जागरण संवाददाता, भागलपुर : स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 - स्मार्ट सिटी भागलपुर को और ज्यादा स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है। 2016 में बिहार का पहला जिला भागलपुर ही था, जिसे इस प्रोजेक्ट में लाया गया लेकिन इस बार स्वच्छता का पारा लुढ़ककर नीचे आ गया है। देश भर की स्वच्छता रैंकिंग में इस बार भागलपुर 523वीं रैंक पर पहुंच गया है। स्थिति यह है कि पड़ोसी जिला बांका भी स्वच्छता के मामले में इससे कई कदम आगे निकल चुका है।

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केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के स्वच्छता सर्वेक्षण, 2021 का परिणाम शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किया। देश भर की स्वच्छता रैंकिंग 2021 में भागलपुर ने 4320 शहरों में 523वीं रैंक हासिल की है, जबकि पांच राज्यों के गंगा से सटे 91 शहरों की रैंकिंग में तीन से 10 लाख की वाले शहरों में इसेे 40वीं रैंक मिली है। वर्ष 2020 में 4242 शहरों में भागलपुर ने 379 वीं रैकिंग हासिल की थी। गत वर्ष के मुकाबले भागलपुर 144 रैंक नीचे गिरा है। पड़ोसी जिला बांका ने 478वीं रैंक भागलपुर को पछाड़ दिया है।

बिहार के 36 शहरों में से भागलपुर 23वें स्थान पर है और 12 शहरों की रैंकिंग में नीचे है। वहीं, एक से दस लाख की आबादी वाले 374 शहरों में भागलपुर ने 366वीं रैंक हासिल की है। स्वच्छता सर्वेक्षण सर्विस लेवल प्रोग्रेस, सिटीजन फीडबैक, डायरेक्ट आब्जर्वेशन व कलेक्शन के साथ सर्टिफिकेशन को सर्वे का आधार माना गया। इसके लिए छह हजार अंक निर्धारित किए गए थे। इनमें भागलपुर ओवरआल 2.96 फीसद अंक ही प्राप्त कर सका।

लचर सफाई व्यवस्था और निगरानी नहीं होने से से गिरा ग्राफ

सर्वे के दौरान शहर में केंद्रीय टीम जहां भी गई, वहां गंदगी ही गंदगी दिखी। फीडबैक में लोगों ने निगम की लचर सफाई व्यवस्था पर खुलकर अपनी राय दी थी। कूड़ा निस्तारण व घर-घर कूड़ा संग्रह की अव्यवस्था के कारण शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ गया। नगर आयुक्त के तबादले व वित्तीय प्रभार के कारण भी सर्वे टीम को बेहतर सफाई दिखाने में निगम प्रशासन नाकाम रहा। निगम सफाई व्यवस्था पर करीब 60 लाख रुपये खर्च करता है। वार्डों से लेकर शहर से कूड़ा संग्रहण व डंपिंग कार्य के लिए 1200 मजदूर निगम के पास हैं। बावजूद इसके घर-घर कूड़ा संग्रह, गलियों से कूड़ा उठाव और निस्तारण की व्यवस्था को निगम प्रशासन दुरुस्त नहीं कर सका।

शहर की सफाई व्यवस्था

  • - शहर की कुल आबादी छह लाख
  • -प्रति दिन 250 एमटी कूड़ा शहर से निकलता है
  • - 60 लाख रुपये हर माह सफाई पर होता है खर्च
  • - कूड़ा उठाव के लिए हैं 1200 मजदूर

स्वच्छता रैंकिंग में भागलपुर का स्थान

-वर्ष : रैंक : शहरों की संख्या

- 2016 : 350वां स्थान : 434

- 2017 : 275वां स्थान : 434

- 2018 : 465वां स्थान : 4203

- 2019 : 412वां स्थान :4227

- 2020 : 379वां स्थान : 4242

- 2021 : 523वां स्थान : 4320

छह हजार अंकों का हुआ सर्वेक्षण :

- सर्विस लेवल प्रोग्रेस : 1500 अंक

- सिटीजन फीडबैक : 1500 अंक

- डायरेक्ट आब्जर्वेशन : 1500 अंक

- कलेक्शन : 1500 अंक

स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 का उद्देश्य

केंद्रीय टीम ने शहर में जनवरी माह स्वच्छता सर्वे किया था। टीम ने सर्वेक्षण के क्रम में सेवा स्तर पर प्रगति, प्रत्यक्ष अवलोकन, नागरिकों से मिली प्रतिक्रिया और प्रमाणन के आधार चार बड़े स्रोतों से आंकड़े जमा किए थे। कचरामुक्त शहर और खुले में शौच मुक्त शहर को स्टार रेटिंग में रखा गया था, लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 का मुख्य उद्देश्य शहर में फैले गीले, सूखे और खतरनाक अपशिष्ट द्वारा फैली बीमारियों से शहर को मुक्त कराना है। इसके लिए निर्माण मलबा का निस्तारण, कचरा स्थल पर फेंके जाने वाले कचरा की मात्रा और शहरों की सफाई की स्थिति पर कार्य करना था।

  • - 01 से दस लाख की आबादी वाले 374 शहरों में भागलपुर को मिली 366वीं रैंक
  • - 05 राज्यों के 91 गंगा किनारे स्थित शहरों की रैंकिंग में 40वीं रैंक
  • - 2021 में 4320 शहरों में मिली थी 523वीं रैंक

व्यवस्था में नहीं हुआ सुधार

2011 से पहले 3.5 लाख की आबादी थी, लेकिन एक दशक में शहर की आबादी बढ़कर छह लाख तक पहुंच गई। इस दौरान 70 से अधिक कालोनियां बस गईं। निगम ने कूड़ा उठाव के लिए कंपेक्टर वाहन, डिसिङ्क्षल्टग व जेसीबी आदि भी खरीद लिए, लेकिन कूड़े का उठाव नहीं हो रहा है। चार जोन में सफाई कार्य हो रहा है। नियमित रूप से कूड़े का उठाव भी नहीं हो रहा है। कई गलियों में पांच से सात दिनों तक सड़क पर कूड़ा पसरा रहता है। सफाई कर्मी दस्ताना, मास्क, बूट, लाइफ जैकेट के बगैर काम कर रहे हैं। कूड़े की ढुलाई बिना ढके की जा रही है।

संसाधन की हुई खरीदारी पर नहीं होता उपयोग

शहर की साफ-सफाई में संसाधन की खरीदारी हुई पर उपयोग नहीं होता। निगम गोदाम में स्मार्ट सिटी की योजना से दो स्वीपिंग मशीन, तीन मिली डिसल्टिंग वाहन, मिनी पोर्टेबल कंपेक्टर के जैविक खाद प्लांट और 10 बायो टायलेट धूल फांक रहे हैं। वहीं बड़ा डिसल्टिंग वाहन की संख्या छह है पर दो का ही उपयोग हो रहा। तीन जेङ्क्षटग वाहन भी है। सामुदायिक शौचालय की साफ-सफाई नहीं कराई जाती है। जर्जर उपकरण को दुरुस्त करने के लिए चारों जोन को समय पर राशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट के गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है। यहां सीवर लाइन की सुविधा तक नहीं है।

प्रोसेसिंग प्लांट के अभाव में शहर बना नरक

कचरे के प्रोसेसिंग और निस्तारण के मानक पर सिस्टम पूरी तरह से फेल है। निस्तारण के लिए भूतनाथ मार्ग पर दो पिट का निर्माण कार्य अधूरा है। कुछ मशीनों के अभाव में कचरे का प्रोसेसिग नहीं हो रहा है। पहले चरण में 4.68 एकड़ में कूड़ा डंपिग ग्रांउड मिला, जबकि दूसरे फेज में पांच एकड़ लेकिन अतिक्रमण की जद में है। निस्तरण नहीं होने के कारण कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है। यही कारण है कि निगम जहां-तहां कूड़़ा गिराने को विवश है। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना में पैसे उपलब्ध हैं, लेकिन निगम प्रशासन जमीन उपलब्ध नहीं होने का रोना रोता रहता है। कचरा प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 20 एकड़ जमीन चाहिए। जमीन मिल नहीं रहा है, जबकि नौ-नौ सौ अंक उसके वर्गीकरण व स्थायी स्वच्छता की स्थिति पर मिलना है।

निगम के पास संसाधन

आटो टीपर : 48

ट्रैक्टर : 12

जेसीबी : चार

डंफर : दो

कंपेक्टर : चार

पानी टंकी : 16

जेटिंग वाहन : तीन

स्वीपिंग वाहन : दो

मल टंकी : दो

चलंत शौचालय : चार

वार्डो में ठेला : 250

कूड़ादान : 300

इन नए संसाधन की हुई खरीदारी

आटो टीपर : 55

कूड़ेदान - 280

नाव वाले कूड़ेदान : 20

ट्राइसाइकिल : 204

इन संसाधनों की होगी खरीदारी

पाकलेन : एक

हाइवा : दो

ट्रेक्टर : आठ

50 दिनों से ब्रांड एंबेसडर की फाइल पेंडिंग

स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रति नगर निगम प्रशासन उदासीन है। ब्रांड एंबेसडर द्वारा अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 तक लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया जाना है, लेकिन 50 दिनों से फाइल लंबित है। स्थानीय कलाकार, चिकित्सक, शिक्षक, धर्म गुरु, खिलाड़ी व प्रभावी व्यक्ति को चयन किया जाएगा। ब्रांड एंबेसडर के चयन और उनके द्वारा लोगों को जागरूक करने पर निगम को अतिरिक्त 50 अंक मिलेगा। जनवरी से मार्च माह के बीच केंद्रीय टीम भौतिक सत्यापन के लिए पहुंचेगी। इस बार के सर्वे में जनता की अहम भूमिका होगी। शहरवासियों के फीडबैक को सर्वे में तवज्जो दी जाएगी।

'कचरा उठाव व्यवस्था सुदृढ़ हो जाएगी तथा नागरिकों की शिकायतों के आधार पर कमियां दूर करेंगे। शहर को बेहतर अंक दिलाने के लिए व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। स्वच्छता रैंकिंग की वेबसाइट पर निगम जरूरी दस्तावेज को अपलोड नहीं कर पाया। कागजी प्रक्रिया में पिछड़े हैं। शौचालय की सफाई व कूड़ा निस्तारण में पाकलेन, हाइवा जेसीबी व आधुनिक संसाधन की कमी रही है। इसकी खरीदारी होगी। प्रोसेसिंग प्लांट के लिए कई एजेंसियों से बात चल रही है।'-  प्रफुल्ल चंद्र यादव, प्रभारी नगर आयुक्त


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