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जब तेज आंधी में भी नहीं रुका सुषमा का हेलीकॉप्टर, पहुंच गईं बिहपुर Bhagalpur News

सुषमा स्वराज का भागलपुर से भी गहरा रिश्ता रहा था। भागलपुर की रेशमी साड़ी के बारे में वे अक्‍सर पूछताछ करतीं थी। उनका भागलपुर के कई कार्यकर्ताओं से परिचय था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 05:05 PM (IST)
जब तेज आंधी में भी नहीं रुका सुषमा का हेलीकॉप्टर, पहुंच गईं बिहपुर Bhagalpur News
जब तेज आंधी में भी नहीं रुका सुषमा का हेलीकॉप्टर, पहुंच गईं बिहपुर Bhagalpur News

भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार की देर रात छह अगस्‍त 2019 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा स्वराज के निधन से हर कोई दुखी है।

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सुषमा स्वराज का भागलपुर से खास रिश्ता था
सुषमा स्वराज का भागलपुर से खास रिश्ता था। वे कई चुनावों में यहां के प्रत्याशी के‍ लिए वोट मांगने आईं थीं। सुषमा का भागलपुर और यहां के लोगों से विशेष लगाव था। चुनाव प्रचार में वे भागलपुर को प्राथमिकता देतीं थीं।  

एक बार सुषमा बिहपुर आ रहीं थी। तेज आंधी के कारण उनका हेलीकॉप्टर लैंड नहीं कर पा रहा था। लेकिन सुषमा स्वराज ने पायलट को हेलीकॉप्टर लैंड कराने को कहा। पायलट ने काफी प्रयास के बाद हेलीकॉप्टर को लैंड कराया। ऐसा था उनका भागलपुर प्रेम। यहां के कार्यकर्ताओं से पूछताछ करना, उनकी जानकारी लेना। इस बात को सुषमा स्वराज कभी नहीं भूलतीं थी। कई वरिष्ठ भाजपा नेता बताते हैं कि भागलपुर से बाहर भी जब उनसे हमारी भेंट हुई तो वे संगठन के अलावा व्यक्तिगत जिंदगी और अन्य कार्यकर्ताओं के बारे में जरूर पूछताछ करतीं थीं। यहां तक कि दूसरे दल के कार्यकर्ताओं की भी वे जानकारी लेतीं थीं। 

वर्ष 2004 और 2009 में दादर (मुंबई) और नागपुर में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में भागलपुर से गए अभय वर्मन ने बताया कि हमारी दोनों बार उनसे भेंट हुई। इस दौरान सुषमा स्वराज ने अधिवेशन को संबोधित किया था। अभय वर्मन ने बताया कि अधिवेशन की समाप्ति के बाद उनके साथ कई ऐसे सुखद पल आए, जिन्हें आज भी स्मरण कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। अभय वर्मन ने बताया कि सुषमा स्वराज ने भागलपुर सहित आसपास के कार्यकर्ताओं के बारे में हाल-चाल उनसे जाना। 

सुषमा स्वराज ने बड़ी बहन की भूमिका का निर्वहन किया 
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति बताया। उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने बड़ी बहन की भूमिका का निर्वहन किया और सदा मेरे जैसे कार्यकर्ता की चिंता करती रही। उन्होंने एक अभिभावक की तरह मार्गदर्शन किया। अश्विनी चौबे बताते हैं कि सन 1974 में आपातकाल के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभिन्न कार्यक्रमों में मिलने का मौका मिला और 80 के दशक में राजनीतिक सफर में सुषमा जी का साथ एक अभिभावक की तरह मिलता रहा। श्री चौबे ने कहा 2014 में राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बक्सर से उन्हें सांसद का चुनाव लडऩे को कहा। मैं बक्सर से चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं था। राष्ट्रीय कोर कमेटी की बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने दोबारा फोन किया और फोन सुषमा जी को पकड़ा दिया। सुषमा जी ने कहा कि अश्विनी जी यह पार्टी का फैसला है और समय की मांग है। क्या आप पार्टी की बात नही मानेंगे? मैं निरूत्तर था, बस इतना ही कहा कि जैसी आपकी मर्जी।

प्रत्याशी भी चाहते थे कि सुषमा स्वराज उनके लिए चुनाव प्रचार करे
भाजपा के लोकसभा पालक सह पूर्व जिलाध्यक्ष 80 वर्षीय हरिवंशमणि सिंह बताते हैं कि सुषमा स्वराज ने भागलपुर के अलावा बिहपुर, कहलगांव और पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी सभाएं की थीं। उन्होंने भागलपुर व नव‍गछिया क्षेत्र में कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। प्रत्याशियों से उनका व्यक्तिगत परिचय था। प्रत्याशी भी चाहते थे कि सुषमा स्वराज उनके लिए चुनाव प्रचार करे। भागलपुर में चुनावी सभा के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। उनके सारगर्भित भाषण को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। सुषमा स्वराज का भागलपुर से भी गहरा रिश्ता रहा था। आठ साल पहले संसद भवन में हरिवंशमणि सिंह की भेंट सुषमा स्वराज से हुई थी। जहां उन्होंने हरिवंशमणि सिंह से भागलपुर की रेशमी साड़ी की भी चर्चा की थी। मुलाकात के दौरान सुषमा ने भागलपुर के लोगों के बारे में उनसे जानकारी ली थी। यहां के भाजपा परिवार के बारे में भी पूछा था और लस्सी पिलाकर उनका स्वागत किया था। वह सिर्फ साहसिक महिलाओं में ही नहीं थीं, बल्कि प्रखर वक्ता भी थीं। 

रात 12 बजे लाजपत पार्क में चुनावी सभा को संबोधित

इमरजेंसी के बाद वर्ष 1977 मुजफ्फरपुर से जॉर्ज फर्नांडिस के लिए चुनाव प्रचार करने बाद वे देर रात भागलपुर पहुंचीं थी। हरिवंशमणि सिंह ने कहा कि उसी दिन लाजपत पार्क में चार बजे से जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. रामजी सिंह के समर्थन में चुनावी सभा हो रही थी। कई नेताओं का भाषण चल रहा था। इस बीच सूचना मिली की सुषमा जी भी भागलपुर आ रहीं हैं। इस कारण इस चुनावी सभा को जब तक सुषमा स्वराज नहीं आ गईं तब तक जारी रखा। इस सभा में रात के 12 बजे सुषमा स्वराज ने डॉ. रामजी सिंह के लिए लोगों से वोट मांगे। उन्होंने चुनावी सभा में अपने भाषण से सभी का दिल जीत लिया। 

अश्विनी चौबे के लिए मांगे वोट
भाजपा जिला उपाध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि 2010 में भागलपुर के नगर विधायक अश्विनी चौबे के समर्थन में भी सुषमा स्वराज ने भागलपुर के टीएनबी कॉलेजियेट में चुनावी जनसभा की थी। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि आप मेरे भाई (अश्विनी चौबे) को जिताएं, मैं विजय जुलूस में शामिल होने के लिए फिर भागलपुर आऊंगी। लोगों के जेहन में अब उनकी स्मृति शेष है। सुषमा स्वराज ने भागलपुर, कहलगांव, पीरपैंती और बिहपुर में भी विधानसभा चुनाव के दौरान सभाएं की थीं। 

नभय चौधरी के लिए नहीं कर पाए प्रचार
भागलपुर में विधानसभा उपचुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी नभय चौधरी के लिए सुषमा स्वराज चुनाव प्रचार करने नहीं आ सकीं थीं। उनको सैंडिस कम्पाउंड में चुनाव प्रचार के लिए प्रशासन की ओर से एनओसी ही नहीं मिला। 

ई. शैलेन्द्र के लिए तीन बार आए

बिहपुर के पूर्व विधायक ई. शैलेन्द्र बताते हैं कि उनके चुनाव प्रचार में भी सुषमा स्वराज 2005, 2010 और 2015 में आयी थीं। उन्हें सुनने के लिए भारी भीड़ जुटी थी। ई. शैलेन्द्र ने कहा कि जब सुषमा स्वराज 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान बिहपुर आ रहीं थी तो उनका हेलीकॉप्टर तेज आंधी के कारण लैंड नहीं कर पा रहा था। उन्होंने पायलट को कहा कि मुझे शैलेन्द्र के लिए चुनावी सभा को संबोधित करनी है, आप हेलीकाप्टर लैंड करें। लगभग 10 मिनट तक उनका हेलीकॉप्टर हवा में घूमते रहा। तीन बार लैंड करने के प्रयास के बाद पायलट को हेलीकॉप्टर उतारने में सफलता मिली। पायलट ने काफी मुश्किल से हेलीकॉप्टर वहां लैंड कराया था। यह चुनावी सभा बिहपुर के सर्वोदय विद्यालय के मैदान में हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा कि ई. शैलेन्द्र के लिए मैंने भगवान इन्द्र से विनती की कि मुझे शैलेन्द्र का चुनाव प्रचार करना है, इसके बाद ही मेरा हेलिकॉप्टर लैंड हुआ। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शैलेन्द्र मेरा छोटे भाई है। इन्हें यहां से जिताइए। उनका यह आज तक भाषण बिहपुरवासियों को याद है। उन्होंने इस चुनावी सभा में रामचरित मानस की चौपाई काे भी पढ़ा था। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 2010 में बिहपुर से ई.शैलेन्द्र भाजपा के विधायक बन गए। 

 

बिहपुर विधानसभा में वर्ष 2005, 2010 और 2015 में लगातार तीन बार सुषमा स्वराज ने ई. शैलेन्द्र के लिए वोट मांगा था। उन्होंने 2015 में विधानसभा चुनाव के दौरान बिहपुर अपने 26 मिनट के चुनावी भाषण से उन्होंने खासकर महिलाओं का दिल जीत लिया था। ई.शैलेन्द्र ने कहा कि सुषमा, बिहार की पीड़ा से बखूबी वाकिफ थीं। इसलिए उन्होंने लोगों को यह भरोसा दिलाया था कि भाजपा की सरकार आने पर बिहार में हर आदमी का भाग्य बदलेगा। गरीब का बेटा इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ेगा। सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। उन्होंने लोगों को 24 घंटे बिजली और पक्का मकान देकर सुकून और राहत भरी जिंदगी देने का भी आश्वासन दिया था। चुनावी सभा के बाद सुषमा मंच से उतर कई ग्रामीण महिलाओं से पास जाकर मिली थीं और उनकी समस्याएं सुनी थीं।

बांका में रामनारायण मंडल के लिए मांगे थे वोट
बांका विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी रामनारायण मंडल के लिए भी सुषमा स्वराज वोट मांगने आईं थीं। वीर कुंवर सिंह मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करतीं हुईं उन्होंने कहा था कि आप रामनारायण जी को यहां से जिताइए, हम इन्हें मंत्री बनाकर भेजेंगे। राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ने कहा कि सुषमा स्वराज से हमारे व्यक्तिगत बेहतर संबंध थे। अक्सर मिलना होता था। सुषमा स्वराज सांगठनिक कार्य के अलावा हमसे स्थानीय और पार्टी कार्यकर्ताओं से बारे में पूछताछ करतीं थीं। भाजपा नेता राघवेन्द्र झा ने कहा सुषमा जी से जब भी हमारी भेंट हुई, वे हमेशा बांका की भौगोलिक स्थिति की हमसे चर्चा किया करते थे। 

वे एक ओजस्वी वक्ता थीं
भागलपुर के भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय ने कहा कि सुषमा स्वराज भारतीय संस्कृति की राजदूत थीं। वह एक योग्य प्रशासक एवं संवेदनशील नेता थीं। उनके निधन से पूरा देश दुखी है। वह हर किसी की समस्याएं सुनती थीं और उन्हें हल करती थीं। हम सभी उनके परिवार के साथ खड़े हैं। वे एक ओजस्वी वक्ता थीं। उनकी बातों को सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष भी ध्यान से सुनता था। वे काफी अध्यन करतीं थी। इस कारण उनका भाषण तथ्य और सही जानकारी पर आधारित होता है। उनका वो भाषण आज भी लोगों को याद है जब उन्‍होंने बामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी को हिन्दुत्व की संज्ञा दी थी।

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