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सुप्रीम कोर्ट ने अररिया के विशेष न्‍यायाधीश को दी राहत, उच्‍च न्‍यायालय से कहा-दूसरे न्यायाधीशों पर गलत प्रभाव पड़ेगा

सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्‍च न्‍यायालय को अररिया के विशेष न्यायाधीश पाक्सो के निलंबन खत्म करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट के इस तरह के फैसले से दूसरे न्यायाधीशों पर गलत प्रभाव पड़ेगा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 08:25 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने अररिया के विशेष न्‍यायाधीश को दी राहत, उच्‍च न्‍यायालय से कहा-दूसरे न्यायाधीशों पर गलत प्रभाव पड़ेगा
सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्‍च न्‍यायालय से कहा कि अररिया के न्यायाधीश शशिकांत राय का निलंबन वापस लिया जाए।

जागरण संवाददाता, अररिया। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पटना उच्च न्यायालय को अररिया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश षष्टम सह विशेष न्यायाधीश पाक्सो शशिकांत राय के खिलाफ कार्रवाही वापस लेने आदेश दिया है। श्री राय को पिछले दिनों हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया था। उनका निलंबन एक ही दिन नाबालिग के यौन उत्पीडऩ के लिए एक अभियुक्त को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और चार दिनों तक एक मामले की सुनवाई के बाद मौत की सजा जारी की थी। एक अन्य मामले में एक छह साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मो मेजर नामक व्यक्ति को एक दिन में ही दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई थी।

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श्री राय ने निलंबन के बाद पटना उच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ पारित निलंबन आदेश को चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय को बिहार के एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाही वापस लेने की सलाह दी। आज की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि न्यायाधीश अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय में एक बयान देने को तैयार हैं।

विदित हो कि अररिया जिले के भरगामा क्षेत्र में एक छह वर्षीय मासूम बच्ची से मेजन नामक एक व्यक्ति ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। इसके बाद से जिले में माहौल काफी बिगड़ गया था। पुलिस ने आरोपित मेजर को गिरफ़तार किया और इस मामले में पाक्सो कोर्ट ने मेजर को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इस तरह का फैसला सुनाकर न्‍यायाधीश ने इतिहास को रच डाला, लेकिन कुछ जगह इसकी आलोचना भी हुई। लेकिन आम लोगों ने कहा कि न्‍याय में देरी होने के अभियुक्‍त का मनोबल काफी बढ़ जाता है। वहीं पी‍डि़तों को भय बना रहता है।  


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