सुपौल की सशक्त हो रही महिलाएं, अब बन रही है समाज की अगुवा
जिले में अनुकूल वातावरण पाकर महिलाएं अब समाज की अगुवा बन रही हैं। वे त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था का बागडोर संभाल कर पंचायत में विकास की योजनाएं संचालित कर रही हैं। कुप्रथाओं पर भी हंटर चला रही हैं। अब शराबी पति को भी सबक सिखा रही हैं।
सुपौल [मिथिलेश कुमार] । अबला नहीं अब सबला बन रही नारी। महिला सशक्तीकरण की दिशा में जिले की महिलाओं ने अनुकूल वातावरण पाकर कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। कभी चौका-चूल्हा में उलझी धुएं में अपनी आंखें खराब करने वाली महिलाएं आज समाज को राह दिखा रही है। घूंघट की ओट में घर की देहरी तक सिमटी रहनेवाली महिलाएं आज समाज का अगुवा बन पंचायत चला रही हैं।
शराबी पति को भी सिखा रही सबक
तैयार फसलों को घर में सहेज कर रखनेवाली महिलाएं खुद किसानी कर रही हैं। शराबी पति के जुल्म को झेलने वाली महिलाएं आज शराब की भ_ियां तोड़ रही हैं। खुले में शौच जाने से दुष्कर्म की शिकार होनेवाली महिलाएं आज गांव-गांव घूमकर शौचालय निर्माण करा रही है। बाल विवाह व दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा पर भी इन महिलाओं का हंटर चल रहा है।
राजनीति में भी हो रही मुखर
जिले में कई बाल विवाह इन महिलाओं के पहल पर रोका गया था। राजनीति के क्षेत्र में भी महिलाएं मुखर हुई हैं। लोकतंत्र के गठन में इनकी भागीदारी पुरुषों से अधिक रहती है। कहीं महाजनी प्रथा को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से चुनौती देती महिलाएं, तो कहीं रेशम का जबरदस्त उत्पादन कर जिले को राज्य में पहला स्थान दिलाने वाली महिलाएं आदि। यानी उचित अवसर प्राप्त हुआ तो उम्मीदों के रथ पर ये सवार होगी। यह रथ दूर तक जाएगा और आसमान छुएगा।
कोसी की धरा पर बेटियों का परचम भी बढ़-चढ़ कर बोल रहा
नारी सशक्तीकरण की दिशा में जिले की कुछ महिलाओं व बालिकाओं की तो चर्चा होनी ही चाहिए। जिन्होंने न केवल कुप्रथा को उखाड़ फेंकने का जिम्मा अपने कंधे पर लिया है, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देने में जुटी हुई है। पारा विधिक स्वयंसेवक हेमलता पांडेय बाल विवाह रोकने में बढ़-चढ़ कर भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों में कई बाल विवाह को रोका गया है और नाबालिगों की ङ्क्षजदगी बचाई गई है। अंजना ङ्क्षसह भी इस दिशा में बढ़-चढ़ कर भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वारा भी बाल विवाह के बंधन में बंधने से कई बच्चियां बचाई गई हैं। बबीता कुमारी दलित, बेसहारा बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाने को ले प्रयासरत है। दीपिका झा भी सामाजिक क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर किरदार निभा रही हैं। आनंद सेतु भी विभिन्न खेल प्रतियोगिता में कई पुरस्कार पा चुकी हैं। कोसी की इस धरा पर बेटियों का परचम भी बढ़- चढ़ कर बोल रहा है।
किसानी में बनाई पहचान
सुपौल जिला की पहचान रेशम, मशरूम, मखाना, मछली पालन आदि को लेकर भी हो रही है। महिलाओं की बढ़ी भागीदारी के बदौलत रेशम उत्पादन में सुपौल जिला अव्वल आया है। मशरूम उत्पादन का जिम्मा भी महिलाओं के कंधे पर दिख रहा है। नतीजा है कि इलाके में मशरूम की सफेदी नजर आ रही है। इसके इतर मछली पालन, मखाना उत्पादन आदि में भी महिलाओं की जबरदस्त भागीदारी है। अब तो तरह-तरह की खेती के साथ-साथ छोटे-मोटे उद्योग में भी महिलाओं की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। डेयरी, राइस मिल आदि इनकी बदौलत ही चल रहे हैं। औषधीय खेती में भी महिलाओं की भागीदारी है और इसे वे सफलता से अंजाम दे रही हैं। विभिन्न माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं अब तरह-तरह के व्यवसाय और स्वरोजगार की ओर बढ़ चली है।
सामाजिक गतिविधियों में बढ़कर निभा रही भूमिका
सरकार द्वारा सूबे में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद महिलाओं के दशा और दिशा बदल गई। कल तक घरेलू विवादों में पिस रही महिलाएं अब सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगी हैं। उनका जीवन स्तर ऊंचा उठ रहा है और पारिवारिक समृद्धि में वृद्धि हो रही है। जागरूकता का ही असर है कि महिलाएं अब विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। शराबबंदी को ले जब मानव श्रृंखला बनाई गई तो इसमें महिलाओं की दमदार उपस्थिति देखी गई। सरकार ने दहेज प्रथा और बाल विवाह के उन्मूलन को ले अभियान छेड़ा तो इससे महिलाएं उत्साहित हैं और सरकार के इस कदम को बढ़-चढ़कर समर्थन कर रही हैं। शौचालय निर्माण में भी महिलाओं के द्वारा भूमिका निभाई जा रही है।
पंचायत चुनाव में आरक्षण ने दिया हौसलों की उड़ान
दरअसल रुढि़वादी परंपराओं में कैद महिलाओं के पंखों को उड़ान पंचायत चुनाव में आरक्षण से मिलनी शुरू हो गई। इसके बाद से उचित माहौल मिलने पर वर्जनाओं को तोड़ महिलाओं ने चौखट लांघी, स्वरोजगारी और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। सरकार की विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को संबल दिया जा रहा है, प्रोत्साहित किया जा रहा है और महिलाएं विकास की गाथा गढऩे को ले अग्रसर हो चली है। आने वाले दिनों में महिलाएं और मुखर होंगी और उनका परचम हर क्षेत्र में दिखेगा।