Supaul News : ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों से समृद्ध है यह जिला, कई आस्था के केंद्र भी
सुपौल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इस कारण जिले का काफी विकास भी हुआ है। हालांकि सरकार और जिला प्रशासन को इस ओर काफी ध्यान देने की जरुरत है। तब यह जिला काफी समृद्ध होगा। यहां काफी पर्यटन आएंगे।
जागरण संवाददाता, सुपौल। पर्यटन के बलबूते देश के कई इलाकों की सूरत और सीरत ही नहीं बदली है, बल्कि उस इलाके का विकास हुआ है। इलाके को एक नई पहचान मिली है। नेपाल की सीमा से सटे सुपौल जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों के मामले में सुपौल जिले का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। बावजूद इच्छाशक्ति के अभाव में यह इलाका अब तक पर्यटन के नक्शे से गायब है। अगर पहल हो तो पर्यटन के क्षितिज पर चमकेगा सुपौल। हालांकि सरकार की प्राथमिकताओं में भी पर्यटन शामिल है।
गौरवशाली रहा है इतिहास
सुपौल का इतिहास गौरवशाली रहा है। छोटे-छोटे राजाओं के दौर में सुपौल जिले में भी गणपत सिंह, नरपत सिंह, सुरपत सिंह, भूपेन्द्र नारायण सिंह जैसे कई राजाओं की अपनी गढ़ी भी हुआ करती थी। समदागढ़ी आज भी राजा-महराजाओं के जमाने की याद दिला जाती है। राजाओं के दौर में उनके रियासत के अवशेष अब भी मौजूद हैं। गणपतंगज स्थित राजा के किला का अवशेष अब भी मौजूद है। इन राजाओं के नाम पर ही गणपतंगज, नरपतगंज और सुरपतगंज का नामाकरण भी हुआ। किन्तु यह अतीत की बातें हो चली। इस ओर देखने की न तो कभी किसी ने जहमत उठायी और न ही फुर्सत ही मिली।
कई हैं आस्था के केंद्र
धार्मिक धरोहरों के मामले में सुपौल जिले की एक अलग अपनी ख्याति है। जिले में स्थित वन दुर्गा मंदिर, भीम शंकर महादेव, तिल्हेश्वर महादेव, वरदराज पेरुमल, नवग्रह मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, पीरगंज का मजार आदि लोगों के आस्था से जुड़े हैं। पड़ोसी देश नेपाल तक के लोग यहां पूजा-अर्चना को आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। जनता को लगभग साल भर पहले समर्पित वरदराज पेरुमल नामक देव स्थानम दक्षिण भारतीय स्थापत्य व मूर्तिकला का बेजोड़ नमूना है और यह लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। शक्ति के उपासक वीर लोरिक मनियार की कर्म स्थली भी सुपौल जिला ही है।
कोसी को सजाने-संवारने की है जरूरत
जिले में सड़कों का जाल बिछा। कोसी की मनमानी को रोकने के लिए कोसी महासेतु के समीप गाइड बांध भी बनाया गया। फोरलेन व गाइड बांध के बीच कुछ ऐसा क्षेत्र हैं जिसे सीपेज एरिया कहा जाता है। इस एरिया में सालों भर पानी रहता है। जिले में यह एक ऐसी जगह है जिसे सजाया और संवारा जाए तो आने वाले दिनों में यह पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र होगा। इतना ही नहीं मछली उत्पादन के साथ-साथ पर्यटन के बलबूते इलाके में समृद्धि भी दिखेगी।