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बैंक कर्मियों की संडे मस्ती, आठ बजे खुलती आंख फिर लेते सुबह की चाय... इस तरह बीतता है पूरा दिन

रविवार का दिन बैंक कर्मियों सहित अन्य नौकरी पेशे वाले लोगों के लिए खास होता है। सप्ताह के छह दिन कार्य दबाब के बीच बैंक कर्मियों की संडे मस्ती भी कुछ अलग अंदाज की होती है। आम दिनों में दस बजे तक बैंक पहुंचने की बाध्यता नहीं रहती है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 03:41 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 03:41 PM (IST)
बैंक कर्मियों की संडे मस्ती, आठ बजे खुलती आंख फिर लेते सुबह की चाय... इस तरह बीतता है पूरा दिन
रविवार का दिन बैंक कर्मियों सहित अन्य नौकरी पेशे वाले लोगों के लिए खास होता है।

कटिहार [रमण कुमार झा]। संडे हर किसी के लिए खास होता है। खासकर नौकरी पेशा लोगों के लिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। छह दिनों की सामान रुङ्क्षटग के बाद एक दिन अपने हिसाब से इस दिन को हर कोई जीना चाहता है। मानसिक व शारीरिक सुकून के लिए भी यह आवश्यक होता है। सप्ताह के छह दिन कार्य दबाब के बीच बैंक कर्मियों की संडे मस्ती भी कुछ अलग अंदाज की होती है। जागरण से बातचीत में अधिकांश बैंक कर्मियों ने बताया कि संडे की सुबह उठने की कोई जल्दबाजी नहीं रहती है। आम दिनों में दस बजे तक बैंक पहुंचने की बाध्यता इस दिन नहीं रहती है। इस चलते कोई सुबह सात तो कोई आठ बजे तक बिस्तर छोड़ते हैं। आराम से सुबह की चाय लेते हैं और फिर यह कोशिश रहती है पूरा दिन परिवार के साथ ही बिताया जाए। कोई बच्चों के साथ क्रिकेट खेलकर अपने को रिफ्रेश करते हैं तो कोई परिवार के साथ कहीं घूम-फिरकर। इसी बीच घर के लंबित कार्य भी वे निपटाते हैं और दोपहर में सुकून के साथ मनपसंद भोजन भी करते हैं। सगे-संबंधियों से मिलने-जुलने का शिडयूल भी इसमें शामिल रहता है।

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क्या कहते हैं बैक कर्मी

एसबीआई के शाखा प्रबंधक अभिनंदन मिश्रा ने कहा कि संडे का दिन काफी सकुन भरा होता है। इस दिन ऑफिस को लेकर कोई बाध्यता नहीं होती है। इस कारण सुबह जगने की कोई पाबंदी नही होती है। सप्ताह के छह दिन परिवार के लिए समय निकाल पाना मुश्किल होता है। इस कारण संडे को दिन भर बच्चों के साथ मस्ती करता हूं। इसी दिन मार्केङ्क्षटग भी करना होता है। सगे-संबंधी से मिलने-जुलने की कोशिश भी होती है।

सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के शाखा प्रबंधक मनोज कुमार मधुकर ने कहा कि संडे के दिन को आम दिन की तरह उठकर भ्रमण व योग होता है। उसके बाद सुबह की धूप में सुकून से अखबार पढ़ता हू। सुबह का नास्ता लेने के के बाद साग सब्जी की खरीदारी के लिए मार्केट निकतला हूं। इस दिन सारा दिन फ्री होने के कारण दोस्तों से मिलने जुलने व साथ खाने खिलाने का भी दौर चलता है।

इंडियन बैंक के अमित कुमार सिन्हा ने कहा कि संडे को परिवार का हर सदस्य घर पर रहता है। उनके साथ समय बीताना काफी अच्छा लगता है। इस दिन बच्चों और सहयोगी बैक कर्मी के साथ क्रिकेट खेलने के साथ साथ मनपसंद किताब पढ़ता हूं। साथ ही कविता लिखने का शौक को भी संडे को पूरा करता हूं।


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