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शहर से लेकर गांव तक जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे सुजीत

हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते, अत: पानी को व्यर्थ न गवाएं, यह शपथ हम सभी को लेना होगा। इसके लिए एक दूसरे को जागरूक भी करना होगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 10:15 AM (IST)
शहर से लेकर गांव तक जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे सुजीत
शहर से लेकर गांव तक जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे सुजीत

भागलपुर। प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते, अत: पानी को व्यर्थ न गवाएं, यह शपथ हम सभी को लेना होगा। इसके लिए एक दूसरे को जागरूक भी करना होगा। ये कहना है कि सबौर पंचायत निवासी सुजीत कुमार झा का। वह हर वैसी जगह पर पहुंच कर लोगों को यह पाठ पढ़ा रहे हैं जहां बेवजह नल से पानी बहते रहता है।

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जल संरक्षण के लिए सुजीत अपनी जेब से पैसे खर्च कर या फिर लोगों से सहयोग राशि लेकर नल में टोटी लगाने का काम करते हैं। सुजीत का कहना है कि लोग खुद स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। उनका सामाजिक सरोकार से नाता टूटते जा रहा है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। यह काम सुजीत बीते पांच वर्ष से करते आ रहे हैं। अब तक उन्होंने सबौर, खानकित्ता, फतेहपुर एवं जिले के शहरी क्षेत्रों को मिलाकर 800 से अधिक नलों में टोटियां लगा चुके हैं।

खेती करने वालों को भी जल बचाने की देते हैं सलाह

जल संरक्षण को लेकर सुजीत में गजब का जुनून सवार है। वह आस-पड़ोस में सब्जी की खेती कर रहे किसानों को भी कम पानी में बेहतर खेती करने की सलाह देते हैं। इतना ही नहीं वह खेत से बर्बाद हो रहे पानी को भी बचाने की सलाह देते हैं।

जल का अंधाधुंध नहीं करें दोहन

लोगों को जागरूक करने के क्रम में सुजीत बताते हैं कि धरातल पर तीन चौथाई पानी होने के बाद भी पेयजल एक सीमित मात्रा में ही है। उस सीमित मात्रा का इनसान ने अंधाधुंध दोहन किया है। नदी, तालाबों और झरनों को पहले ही हम अपने बुरे कार्यो का भेंट चढ़ा चुके हैं। जो बचा है उसे भी अब हम अपनी संपत्ति समझ कर अंधाधुंध खर्च न करें।

टोटी गायब होने पर प्राथमिकी दर्ज कराने पहुंच गए थे थाने

कई जगह खुले नलों में टोटी लगाने के बाद जब दूसरे-तीसरे दिन गायब हो जाने की सूचना सुजीत को मिली तो वे गुस्से में आ गए और सबौर थाने में अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने को पहुंच गए। इस मुद्दे पर तत्कालीन थानाध्यक्ष महेश्वर राय से उनकी नोक-झोंक भी हो गई थी।

निराशा के बावजूद जारी रखा अभियान

असामाजिक तत्वों की बिना परवाह किए हताशा और निराशा के बाद भी सुजीत ने अपने अभियान को जारी रखा। उनकी नजर शहर में भी कहीं भी खुली टोटी पर पड़ती है तो तत्काल वे वहां नया नल लगाने का काम करते हैं और मौके पर लोगों को जल संरक्षण का पाठ भी पढ़ाने हैं ताकि उनकी भी संवेदना जागृत हो सके। सुजीत ने जल को संरक्षित करने की दिशा में युवाओं को भी आगे आने का आह्वान करते हैं। वह कहते हैं कि जल के बिना न तो हमारी प्रतिष्ठा बनती है और न गरीबी से हम छुटकारा पा सकते हैं।

पेयजल की बढ़ती जा रही समस्या

जब पेयजल की समस्याएं खड़ी होती हैं तो उसका हल निकालने में हमारी क्षमताएं बहुत कमजोर पड़ जाती हैं। जिन लोगों के घरों या नजदीक के किसी स्थान में पानी का नल उपलब्ध नहीं है, उनकी परेशानी का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। जिन लोगों के पास पानी की समस्या से निपटने के लिए कारगर उपाय नहीं है, उनके लिए मुसीबतें हर समय मुंह खोले खड़ी हैं।

कभी बीमारियों का संकट, तो कभी जल का अकाल, एक शहरी को आने वाले समय में ऐसी तमाम समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है। पानी संबंधी चुनौतिया पहुंच से भी आगे बढ़ चुकी हैं। अगर लोग इस दिशा में सजग नहीं हुए तो जीवन संकट में पड़ जाएगा। सुजीत ने बताया कि दैनिक समाचार पत्र जागरण के जल बचत अभियान ने हमारे आत्मबल को बढ़ाने का काम किया है।


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