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International Nurses Day : मरीजों की सेवा कर ‘बहन’ का फर्ज निभा रहीं नर्स

Story of nurses of Bhagalpur on International Nurses Day नर्स मरीज के बाहरी जख्मी से लेकर उनकी संवेदनाओं पर भी मरहम लगाती हैं। मरीज को स्वस्थ्य करने में नर्सो की भूमिका अहम है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 09:58 AM (IST)
International Nurses Day : मरीजों की सेवा कर ‘बहन’ का फर्ज निभा रहीं नर्स
International Nurses Day : मरीजों की सेवा कर ‘बहन’ का फर्ज निभा रहीं नर्स

भागलपुर, जेएनएन। भाई और बहन का रिश्ता सिर्फ राखी के बंधन से नहीं है। सेवा और समर्पण से भी है। मरीजों की सेवा भी नर्स इस रिश्ते को बखूबी निभा रही हैं। यही वजह है कि इन्हें ‘सिस्टर’ का उपनाम दिया गया है। नर्स मरीज के बाहरी जख्मी से लेकर उनकी संवेदनाओं पर भी मरहम लगाती हैं। मरीज को स्वस्थ्य करने में नर्सो की भूमिका काफी अहम है। आधुनिक नर्सिग की जननी कही जाने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल भी मरीजों की सेवा परिवार से बढ़कर करती थीं। इसलिए उनकी याद में हर साल 12 मई को अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। नाइटिंगेल का जन्म 1820 में इसी दिन हुआ था। आज भी नर्स उन्हीं को मार्गदर्शक मानकर अपने दायित्व का निर्वहन कर रही हैं।

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कभी सहेली की भूमिका तो कभी मां की

जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में 30 वर्षो से काम कर रहीं मेट्रन (नर्सो की हेड) रीता कुमारी (50) कहती हैं, उनके अधीन दो सौ नर्स हैं। इसमें कई हम उम्र हैं तो कई जूनियर। कभी सहेली की भूमिका निभाना पड़ता है, तो कभी मां का। वह बताती है कि एक नर्स को हमेशा हिम्मत और सतर्कता से काम करना चाहिए। ताकि मरीजों को समय समय पर सही दवाई मिल सके। नर्स का काम बस नब्ज और ब्लड प्रेशर चेक करना ही नहीं है। काम तब पूरा होता है जब मरीज स्वस्थ हो जाए। वह हर दिन नई नर्सो को मरीजों के इलाज से लेकर देखभाल के बारे में जानकारी भी देती हैं। वह कहती हैं कि मरीज का दर्द और उसकी चिंता को कम करने के लिए जी-जान से कोशिश करती हैं और जहां तक बनता है हालत बिगड़ने नहीं देती। मरीजों की सेवा करना है कर्तव्य है।

संक्रमित की देखभाल कर रहीं सुलोचना

जेएलएनएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में अपनी सेवा दे रहीं हेड नर्स सुलोचना कुमारी पूरी तन्यमता से संक्रमित मरीजों की सेवा कर रही हैं। दवा से लेकर इनके भोजन को लेकर पूरी तरह लगी रहती हैं। वह कहती हैं कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में काफी चुनौतियां हैं। समाज में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका है। समाज भी हमारा परिवार है। हर पल हमें सतर्क रहना पड़ता है। जब से आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगी है। अस्पताल से घर जाने का कोई समय नहीं है। स्वास्थ्य कर्मी चिकित्सा जगत की नींव है। उनके सहयोग के बिना समाज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा पाना नामुमकिन है। चिकित्सक इलाज करते हैं, लेकिन नर्स मरीजों की सेवा से लेकर अस्पताल के प्रत्येक काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

अपने दायित्व का निर्वहन कर रहीं माला

जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के आइसीयू सिस्टर इंचार्ज माला सिन्हा मरीज का दर्द और उन्हें स्वस्थ्य करने में सिद्दत से जुटी है। माला सिन्हा का कहना है कि अस्पताल में हर तरह के मरीज आते हैं। सभी को संभालना मुश्किल होता है। लेकिन, अपने दायित्व और कर्मो से पीछे नहीं हट सकते हैं। यहां आने वाले गंभीर मरीजों को भी जिंदगी बचने की आशा होती है। ऐसे में उन्हें दवा से लेकर अपनापन का एहसास भी कराना होता है। दवा से ज्यादा दुआ की भी जरूरत होती है। वह कहती है कि हर मरीजों को वह हौसला बढ़ाती हूं। उन्हें हिम्मत भी देती हूं। ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि सभी नर्सो को शक्ति प्रदान करें, ताकि लोगों की सेवा पूरी इमानदारी और निष्ठा से कर सकूं।

कम दिन नौकरी, फिर भी कर रहीं सेवा

सदर अस्पताल में कार्यरत सीनियर नर्स रेणु कुमारी कहती है मरीजों की सेवा करना उनकी पहली प्राथमिकता है। इनकी सेवा के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। जब मरीजों की संख्या ज्यादा होती है तो बराबर घर विलंब से पहुंचती हूं। रेणु की सेवानिवृत होने में ज्यादा दिन नहीं होने के बाद भी वह अपनों कर्तव्य को बखूबी से निभा रही है। इनकी ड्यूटी सदर अस्पताल में बराबर सुबह पाली में होता है। यह दूसरे नर्सो को भी अक्सर उत्साहित करती हैं। सदर अस्पताल में ऐसे तो प्रसव कराने वाली मरीजों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन इन दिनों यहां इमरजेंसी सेवाएं चालू हुई है। यह इसलिए कि जेएलएनएमसीएच को कोरोना अस्पताल बना दिया गया है। गंभीर मरीजों को सदर अस्पताल में ही भर्ती किया जा रहा है।


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