सृजन घोटाला : कल्याण विभाग की राशि के गबन में बैंक दोषी Bhagalpur News
बैंक द्वारा जिला कल्याण अधिकारी की जानकारी के बिना राशि सृजन के खाता में जमा की गई। साक्ष्य के रूप में बैंकर्स चेक की छायाप्रति उपलब्ध कराई गई।
भागलपुर, जेएनएन। कल्याण विभाग की राशि सृजन खाते में हस्तांतरित कर देने के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की भागलपुर शाखा को दोषी पाया गया है। नीलाम पत्र अधिकारी सुनील कुमार ने 20 दिसंबर को की गई सुनवाई व उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर बैंक को पूर्ण रूप से दोषी पाया है। बुधवार को दिए फैसले में बैंक को 24 मार्च तक कल्याण विभाग को राशि वापस करने का आदेश दिया।
उक्त खाते में जमा राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में हस्तांतरित कर दिया गया था। इससे कल्याण विभाग को एक करोड़ 28 लाख 87 हजार 357 रुपये की क्षति हुई है। बैंक ऑफ बड़ौदा में कल्याण अधिकारी के पदनाम से चार खाता है। विभिन्न तिथियों में बैंकर्स चेक डिमांड ड्राफ्ट व कोषागार विपत्र के माध्यम से राशि जमा की गई।
दर्ज किया गया था मामला, सीबीआई कर रही अनुसंधान
बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा भागलपुर की ओर से 30 सितंबर 2019 को आपत्ति आवेदन पत्र दाखिल किया गया था। जिला कल्याण अधिकारी की ओर से पांच दिसंबर 2019 के माध्यम से प्रतिउत्तर दाखिल किए गए साक्ष्यों का अवलोकन किया गया। तिलकामांझी थाना में 2017 को कल्याण विभाग की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इस मामले का अनुसंधान सीबीआई कर रही है।
कल्याण विभाग ने भी रखा पक्ष
बैंक द्वारा जिला कल्याण अधिकारी की जानकारी के बिना राशि सृजन के खाता में जमा की गई। साक्ष्य के रूप में बैंकर्स चेक की छायाप्रति उपलब्ध कराई गई। बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रतिवेदन में उसके द्वारा सृजन के खाते में राशि जमा करने का उल्लेख है। बैंक ने डीएम के जारी पत्र का जिक्र किया था। इसके अवलोकन के बाद कल्याण अधिकारी के अधिवक्ता ने कहा कि इस पत्र में स्पष्ट होता है कि उक्त पत्र बैंक को संबोधित व तामिल नहीं है। साथ ही इसमें किसी भी बैंक को राशि सृजन के खाते में बिना खाताधारक की सहमति के स्थानांतरित करने का कोई निर्देश नहीं है। पत्र में सृजन के बैंक में खाता खोलने का उल्लेख है, न कि बैंक में खाते से अवैध तरीके से हस्तांतरण करने का। आरबीआई के निर्देश का उल्लंघन कर तीसरे पक्ष के खाते में राशि भेजी गई। किसी भी खाते से बड़ी राशि ट्रांसफर करने से पहले फोन या एसएमएस के माध्यम से जानकारी देनी चाहिए। इससे संबंधित साक्ष्य भी बैंक ने उपलब्ध नहीं कराया।
अधिवक्ता ने बैंक की ओर से रखा पक्ष
-विभाग का दावा अस्वीकृत किए जाने योग्य है।
-20 दिसंबर 2003 को डीएम द्वारा महिला विकास समिति में खाता खोलने के लिए निदेशित किया था। इस आलोक खाता खोला गया और नियमानुसार प्रक्रिया पूरी की गई।
-सभी विवरण सीबीआइ व एसआइटी को उपलब्ध कराया गया। मामला जांच के अधीन है।
-सभी अंतरण सृजन के खाते में किया गया है। इसके लिए जिला कल्याण अधिकारी जिम्मेदार है।
-बैंक हमेशा अनुसंधान इकाई को सहयोग करने को तैयार है।
बैंक का दावा खारिज, सिविल सर्जन को राशि लौटाने का आदेश
सृजन घोटाला में बुधवार को नीलाम पत्र अधिकारी सुनील कुमार ने स्वास्थ्य विभाग मामले की सुनवाई की। नीलाम पत्र वाद में बैंक ऑफ बड़ौदा को दोषी ठहराया गया है। नीलाम पत्र अधिकारी सुनील कुमार ने बैंक को निदेशित करते हुए 30 दिनों के अंदर वसूली की तय राशि 44 लाख 83 हजार 31 रुपये 29 पैसे सिविल सर्जन को उपलब्ध कराने को कहा। 24 मार्च तक बैंक को हर हाल में सिविल सर्जन को राशि उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
20 दिसंबर को ठहराया गया था दोषी
इससे पहले 20 दिसंबर 2019 को सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने साक्ष्य उपलब्ध कराया था। सुनवाई में बैंक को दोषी ठहराते हुए इसकी भरपाई करने का आदेश दिया था। तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार ने बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक पर राशि गबन का मामला दर्ज किया था। आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियम संगत ही बैंक में राशि जमा कराई गई थी, जिसकी सुरक्षा की जवाबदेही बैंक की बनती है। पूरे प्रकरण में बैंक द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया है।
2.5 करोड़ का लगाया गया था जुर्माना
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तिलकामांझी थाना में 2017 में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। अभी इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। आरबीआइ ने 19 नवंबर 2019 में इस प्रकरण में बैंक पर सेक्शन 46 (4) (आइ) और सेक्शन 51 (1) बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के तहत 2.5 करोड़ का आर्थिक दंड लगाया था।