मनोरमा ने अपने दस्तावेजों में छिपा रखी थी बहू रजनी प्रिया की पहचान; कौन हैं अपर्णा, राजरानी और जसीमा
Srijan scam Bhagalpur महिला विकास सहयोग समिति के दस पदधारकों में शामिल थीं रजनी अपर्णा राजरानी जसीमा समेत अन्य। 23 अगस्त 2017 को सबौर थाने में तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर दर्ज कराया गया था केस। सीबीआइ लगातार जांच कर रही है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। अरबों रुपये के सृजन घोटाले की जिस सृजन महिला विकास सहयोग समिति नामक संस्था के जरिये मनोरमा देवी ने नींव रखी थी उसके दस अहम पद धारकों में उसने अपनी बहू रजनी प्रिया को शुभ लक्ष्मी प्रसाद, सीमा देवी, जसीमा खातून, राजरानी वर्मा, अपर्णा वर्मा, रूबी कुमारी, रानी देवी, सुनीता देवी सुना देवी को शामिल कर रखा था।
इन प्रमुख पदधारकों का दस्तावेजों में बाकायदा पहचान के रूप में नाम-पते दर्ज किये गए थे लेकिन मनोरमा ने अपनी बहू रजनी प्रिया और बेहद करीबी तीन महिलाओं की पहचान ही छिपा ली थी। रजनी मनोरमा के मास्टरमाइंड बेटे अमित कुमार की पत्नी है जिसने अन्य पद धारकों की तरह तथ्यों को छिपाने, बैंकों के साथ किये जा रहे लेन-देन के आंशिक तथ्य रखने आदि जैसे आपराधिक कार्य करने और एके मिश्रा एंड एसोसिएट की तरफ से किये गए वैधानिक अंकेक्षण प्रतिवेदन के आलोक में जानबूझ कर मिथ्या विवरणी बनाने। झूठी जानकारी देने। प्राधिकृत व्यक्ति को अपेक्षित जानकारी नहीं देने के किये गए अपराध के लिए आपराधिक केस दर्ज कराने का आदेश तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने 22 अगस्त 2017 को दिया था। जिसके आलोक में सबौर थानाध्यक्ष ने 23 अगस्त 2017 को धोखाधड़ी समेत कई गंभीर आरोप केस दर्ज किया गया था। दर्ज केस में रजनी प्रिया समेत सभी दस प्रमुख पद धारी महिलाएं भी नामजद की गई थी।
इस तरह की गई थी दस्तावेज में हेराफेरी
सृजन घोटाले की खेवनहार रहीं मनोरमा देवी यद्यपि अब दुनिया में नहीं रही लेकिन सृजन की प्रशासकीय ढांचे को तैयार करने-कराने में जरायम पेशेवरों जैसी चाल चलते हुए अपनी बहू रजनी प्रिया और खास-खुलास रही जसीमा खातून, अपर्णा वर्मा और राजरानी वर्मा के भी पता वाले कालम में मालूम नहीं लिखकर दस्तावेज को छोड़ दिया था।
इस गंभीर अपराध को देखते हुए जिला पदाधिकारी ने भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की कवायद शुरू की थी। सीबीआइ ने रजनी प्रिया, जसीमा, अपर्णा, राजरानी समेत दस आरोपितों के विरुद्ध 31 दिसंबर 2020 को ही आरोप पत्र सौंप दिया था। उसके बाद एक्सक्लूसिव सीबीआइ न्यायालय ने समन जारी किया था। जारी समन पर आठ जुलाई 2021 को जमानती वारंट जारी किया गया। उसके बाद भी रजनी अदालत में उपस्थित नहीं हुई। तब चार अगस्त 2021 को गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया था।