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सृजन घोटाला भागलपुर : राशि वापस करने के लिए सिविल सर्जन ने बीओबी को भेजा पत्र

सृजन घोटाला भागलपुर नीलाम पत्र पदाधिकारी ने 44 लाख रुपये भुगतान करने के दिए थे आदेश। स्वास्थ्य विभाग के रुपये ट्रांसफर कर दिए गए थे सृजन के खाते में। सृजन घोटाले मामले में नीलाम पत्र पदाधिकारी ने बैंक ऑफ बड़ौदा को आदेश दिया था।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 10:49 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 10:49 AM (IST)
सृजन घोटाला भागलपुर : राशि वापस करने के लिए सिविल सर्जन ने बीओबी को भेजा पत्र
44 लाख 83 हजार 31 रुपये 29 पैसे स्वास्थ्य विभाग को वापस करने का आदेश दिया था।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सृजन घोटाला भागलपुर : सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में गई राशि को वापस करने के लिए सिविल सर्जन डॉ. विजय सिंह ने आरपी रोड स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि नीलाम पत्र पदाधिकारी द्वारा पारित आदेश के बाद भी 40 लाख 75 हजार 483 रुपये के साथ ब्याज की राशि खाते में वापस नहीं किया गया है। उन्होंने उक्त राशि को ब्याज के साथ खाते में वापस कर सूचित करने को कहा है।

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सृजन घोटाले मामले में नीलाम पत्र पदाधिकारी सुनील कुमार ने 24 फरवरी 20 को फैसला सुनाते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा को आदेश दिया था कि 44 लाख 83 हजार 31 रुपये 29 पैसे स्वास्थ्य विभाग को वापस करने का आदेश दिया था। नीलाम पत्र पदाधिकारी ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में रुपये हस्तांतरण के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा को दोषी ठहराया था। बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा में सिविल सर्जन के नाम से खाता है। जिसमें सिविल सर्जन द्वारा दो चेक जमा किया गया था। जिसे बैंक द्वारा गैर सरकारी संस्था सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड सबौर के खाते में हस्तांतरित कर दिया गया। सिंडीकेट बैंक शाखा भागलपुरकेक संख्या 361152 (राशि 34,51,399) व यूनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया चेक संख्या 624084 (राशि 6,24,084) को हस्तांतरित किया गया। इससे स्वास्थ्य विभाग की 44 लाख 83 हजार 31 रुपये 29 पैसे की हानि हुई। भारतीय रिजर्व बैंक का स्पष्ट निर्देश है कि जिनके नाम से चेक निर्गत हो के अतिरिक्त किसी अन्य के खाते में भुगतान नहीं किया जाए। लेकिन बीओबी के द्वारा चेकों को सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में हस्तांतरित किया गया। इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया कि राशि में भिन्नता है। देनदार सिर्फ संग्रहण बैंक है। इस मामले में आपराधिक मामला कोतवाली में दर्ज है। अंतिम आदेश पारित होने के पूर्व किसी प्रकार का विचारण उचित नहीं है।

फैसले में नीलाम पत्र पदाधिकारी ने लिखा है कि सिविल सर्जन की ओर से विहित प्रक्रिया के तहत बैंक में चेक जमा किया गया था। इसकी सुरक्षा की पूरी जवाबदेही बैंक की थी। बैंक में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। बैंक द्वारा बैंकिंग नियम का घोर उल्लंघन किया गया। आदेश के 11 महीने बाद भी राशि नहीं मिलने के बाद सिविल सर्जन ने बैंक को राशि के लिए पत्र भेजा है।

पूर्व नाजिर ने रखा अपना पक्ष

नजारत शाखा के पूर्व नाजिर ओम श्रीवास्तव ने शनिवार को अपना पक्ष रखा। सृजन घोटाला मामले में ओम श्रीवास्तव से संबंधित मामले की सुनवाई विभागीय जांच अधिकारी अरुण कुमार सिंह के यहां हो रही है। सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने को आरोप मुक्त बताया।


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