सृजन घोटाला भागलपुर : सीबीआइ ने अमित-प्रिया की चार संपत्ति को किया अटैच
सृजन घोटाला भागलपुर तीन खाली जमीन और एक अपार्टमेंट को किया गया सील। पांच और संपत्ति को कब्जे में लेगी सीबीअीइ आज अंग अपार्टमेंट की बारी। सृजन घोटाले के मुख्य अरोपी सहित कई फरार हैं। सीबीआइ अमित और उनकी पत्नी प्रिया को भी नहीं पकड़ पायी है।
भागलपुर, जेएनएन। सृजन घोटाला भागलपुर : 21 सौ करोड़ के सृजन घोटाला मामले में सीबीआइ ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया और उसके पति अमित कुमार की चार और संपत्ति को अटैच कर लिया है। अटैच की गई संपत्ति में तीन खाली भूखंड और एक अद्र्धनिर्मित अपार्अमेंट है। सीबीआइ दो-तीन दिनों के अंदर पांच और संपत्ति को अटैच करेगी।
सीबीआइ की टीम सृजन घोटाला मामले में पिछले चार दिनों से अमित-प्रिया और विपिन कुमार की संपत्ति को अटैच कर रही है। सोमवार को तीन खाली जमीन और एक अपार्टमेंट को अटैच किया है। अटैच भूखंडों पर सीबीआइ ने बोर्ड लगा दिया है। जबकि अद्र्धनिॢमत अपार्टमेंट का ताला तोड़कर सीबीआइ की टीम अंदर प्रवेश की। अंदर की चीजों का मुआयना किया और फिर बाहर आकर अपना ताला लगाकर सील कर दिया। यह अपार्टमेंट शंकर मोटर के सामने एनएच-80 के किनारे है। यहीं पर एक खाली भूखंड को अटैच किया गया। जबकि दूसरा इंजीनियरिंग कॉलेज के पास अंग अपार्टमेंट के परिसर में और तीसरा बाबूपुर मोड़ के पास है।
टीम में सीबीआइ के अवर निरीक्षक देवेश कुमार, सहायक अवर निरीक्षक धर्मेन्द्र कुमार, बीडीओ प्रतीक राज, सबौर थानेदार सुनील कुमार झा, जीरोमाइल थानेदार राजरतन, सीआइ प्रमोद पासवान अमीन सच्चिदानंद सिंह, दो गवाह प्रखंड कल्याण पदाधिकारी श्याम कुमार और इंडियन बैंक की अधिकारी पूजा रानी टीम में शामिल थी। बताया गया कि अंग अपार्टमेंट का कुछ भाग को मंगलवार को अटैच किया जाएगा। सोमवार को फतेहपुर मौजा की तीन और सबौर मौजा को अटैच किया गया है। दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक संपत्ति को अटैच करने का काम चलता रहा।
वित्तीय सलाहकार भी अरबों का मालिक
मनोरमा देवी के वित्तीय सलाहकार आज अरबों में खेल रहे हैं। कभी स्कूटर पर चलने वाले भीखनपुर निवासी वित्तीय सलाहकार के पास आज लग्जरी गाड़ी और आलीशान बंगला है। कई शहरों में उन्होंने संपत्ति बना रखी है। भीखनपुर में ही एक प्रिटिंग प्रेस में मनोरमा देवी पासबुक व स्टेटमेंट सहित अन्य फर्जी दस्तावेज तैयार होता था। यह कार्य वित्तीय सलाहकार की मदद से होता था। वित्तीय सलाहकार ही वह प्रिटिंग प्रेस खुलवाया था। 2000 के बाद सरकारी राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में जमा होना शुरू हो गया। 2003 के बाद इसमें तेजी आ गई। सरकारी खजाने को इस प्रकार खाली किया गया कि मनोरमा देवी तो अरबपति बनीं ही, उसके इर्द-गिर्द रहने वाले एक दर्जन लोग भी अरबपति बन गए।