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'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है' Bhagalpur news

भागलपुर के सजौर थाना अंतर्गत गोवरॉय गांव में श्री श्री 1008 विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया गया। यह आयोजन 04 नवंबर 2019 से शुरू हुआ। नौ दिवसीय आयोजन 12 नवंबर 2019 को समाप्त हो गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 03:50 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 03:50 PM (IST)
'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है' Bhagalpur news
'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है' Bhagalpur news

भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। शाहकुंड प्रखंड का गोवरॉय गांव आध्यात्म नगरी बना हुआ है। बने भी क्यों नहीं... गोवरॉय के चौधरी तालाब के पास श्री श्री 1008 विष्णु महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत रस महामहोत्सव सह मां पार्वती प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का जो आयोजन हो रहा है। गोवरॉय सहित आसपास के गांव वाले पूरी तरह इस आयोजन में सक्रिय हैं। ऐसा एक भी घर नहीं है, जिनके घर में उनके स्वजन इस आयोजन को देखने नहीं आए हों।

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4 नवंबर 2019 से शुरू हुआ यह नौ दिवसीय भव्य आयोजन आज 12 नवंबर 2019 को समाप्त हो गया। यज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष बिपिन बिहारी तिवारी के नेतृत्व में हुए इस समारोह में सैकड़ों ग्रामीणों ने सहयोग दिया।

भागवत किंकरी किशोरी जी का हुआ प्रवचन

भागवत कथा के अंतिम दिन मंगलवार को भागवत किंकरी किशोरी जी का प्रवचन सुनने काफी संख्या में लोग आए। कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह प्रसंग के बाद आज भगवान कृष्ण के आगे की कहानी की चर्चा हुई। किशोरी जी के भजनों को सुनकर सभी भावविभोर हो गए। कथा के दौरान सुदामा और कृष्ण संवाद को सुनकर सभी भावुक तो ब्रज होली कथा सुनकर सभी आनंददित हुए। सुदामा और कृष्ण के प्रसंग के दौरान भी झांकी निकाली गई। भागवत किंकरी किशोजी जी के नौ दिवसीय भागवत कथा के दौरान कई प्रसंग हुए। इस दौरान श्री राम और सीता के जन्म से लेकर विवाह तक का प्रसंग सुनाया गया। वहीं, कृष्ण की कई चरित्र की कथाएं सुनाई गई। किशोरी जी के मधुर भजनों पर लोग थिरक उठे। 

झांकी निकाली गई

कृष्ण विवाह दौरान दिलखुश ने कृष्ण और निशु ने रुक्मिणी की भूमिका निभाई। वहीं, रुक्मिणी की सहेली मोना, मिक्की और शालू वनीं थीं। कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह को देखकर सभी दर्शक भावविभोर व आनंदमग्न हो गए। सभी ने कृष्ण और रुक्मिणी के उपर फूल की वर्षा की।

वहीं, सुदामा और कृष्ण कथा के दौरान रिपेन्द्र तिवारी कृष्ण, दिलखुश रुक्मिणी  और सुदामा भारत भूषण गोढ़ बने थे। वहीं, एक अन्य दृष्य में रिपेन्द्र तिवारी ने कृष्ण और मोना ने रुक्मिणी की भूमिका निभाई। इस दौरान भागवत किंकरी किशोरी जी ने 'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है', 'देखो सुदामा आया मोहन तेरी गली में', 'विद्यालय के बाल सखा, बचपन के मित्र सुदामा' आदि भजन गाए। जिसे सुनकर सभी ने मैत्रीपूर्ण आनंद लिया।  आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के स्वरचित शंकर स्त्रोत का लयबद्ध पाठ सुनकर सभी श्रद्धालु अभिभूत हुए। 

अंतिम दिन का प्रवचन होने के कारण प्रशाल पूरा भरा हुआ था। सुदामा और कृष्ण की दोस्ती की चर्चा हर ओर हो रही थी। यज्ञाचार्य सह संरक्षक आनंदमूर्ति पंडित आलोक जी महाराज ने भी कई भजन गाए। जिनके भजनों को सुनकर सभी श्रद्धालु नृत्य करने लगे।

यज्ञ की पूर्णाहुति 

यज्ञाचार्य सह संरक्षक आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज ने मंगलवार को वेदी पूजन के साथ यज्ञ की पूर्णाहुति की। इसमें भाग लेने बड़ी संख्या में लोग आए हुए थे। इस दौरान वहां स्थापित 55 देवी-देवताओं का पूजन किया गया।  

यज्ञाचार्य सह संरक्षक आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज आलोक जी के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सभी ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण लोगों की भीड़ काफी थी। इस बीच यहां बने मां पार्वती के भव्य मंदिर में महा अभिषेक हुआ। शिव की भी पूजा हुई। 

भंडारा आयोजित 

यज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष बिपिन बिहारी तिवारी ने कहा कि यहां मां पार्वती के मंदिर में पार्वती की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई। उन्होंने कहा अंतिम दिन भागवत कथा के बाद भंडारा हुआ। जिसमें लगभग पांच हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

धन्यवाद दिया 

बिपिन बिहारी तिवारी ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज, भागवत किंकरी किशोरी जी के अलावा पंडित और भजन गायकों की टोली की इस आयोजन में अहम भूमिका रही है। सभी धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस धार्मिक आयोजन में आयोजन समिति के कार्यकर्ताओं के अलावा ग्रामीणों के भरपूर सहयोग दिया है। उन्होंने गोवरॉय में ऐसे आयोजन कराने और सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सभी को साधुवाद दिया है।  

प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन 

बुधवार को सुबह यज्ञ परिसर में स्थापित सभी 55 देवी—देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया गया। आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सभी प्रतिमाओं का पूजन किया गया। फिर वैदिक रीति से विसर्जन। इसके बाद गोवरॉय चौधरी तालाब में सभी प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया। इसी जगह भव्य पार्वती मंदिर का निर्माण हुआ है, जिसमें मां पार्वती के प्राण प्रतिष्ठा भी यज्ञ के दौरान ही की गई। अंतिम दिन भी मां पार्वती के विशेष पूजा की गई। वहीं, इसी जगह शिव का भी मंदिर है, वहां भी पूजन पाठ किया गया।

हम तो जाते अपने गांव सबको राम राम राम

समारोह संपन्न हो जाने के बाद यज्ञ आयोजन समि​ति समिति के अध्यक्ष बिपिन बिहारी तिवारी ने सभी को अंग वस्त्र देकर विदाई दी। भागवत किंकरी किशोरी जी के साथ भजन गायकों की टोली और वादकों को ​विदा किया गया। आनंदमूर्ति पंडित आलोक जी महाराज के साथ आए सभी पंडित भी विदा हुए। सभी विदाई लेते समय एक—दूसरे को नमस्कार करते हुए जाने लगे। सभी ने एक स्वर में कहा 'हम तो जाते अपने गांव सबको राम राम राम'। ​बिपिन बिहारी तिवारी ने इस आयोजन में सहयोग करने वाले सभी को धन्यवाद दिया। सभी ने आगे भी इस तरह के आयोजन करने का संकल्प लिया। यहां बता दें कि गोवरॉय निवासी आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज और भागवत किंकरी किशोरी जी दोनों पति—पत्नी हैं।


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