ढोल की थाप पर थिरकीं आदिवासी महिलाएं
ढोल की थाप पर आदिवासी महिलाएं खूब थिरकीं। मौका था क्राइस्ट चर्च स्कूल में अखिल भारतीय संथाली लेखक सम्मेलन की ओर से सोहराय पर्व का।
भागलपुर। ढोल की थाप पर आदिवासी महिलाएं खूब थिरकीं। मौका था क्राइस्ट चर्च स्कूल में अखिल भारतीय संथाली लेखक सम्मेलन की ओर से सोहराय पर्व का। अपने पारंपरिक परिधानों में आदिवासी महिला-पुरुष और युवतियों ने नृत्य की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम की शुरुआत गरिमा श्रेया सोरेन के प्रार्थना गीत आसमान पे छाया.. से हुई। शाति मराडी ने बागान ताला साड़ बाहा.. गीत पर आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। उज्जवला और श्वेता डांस ग्रुप ने भी नृत्य की प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ. रूबी हेंब्रम ने कहा कि वर्षो से नई फसल के साथ सोहराय पर्व मनाने की परंपरा रही है। आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति को बचाने के लिए आगे आना होगा। शिक्षित बनकर आप समाज व देश के विकास में अहम योगदान दे सकते हैं। सीएमएस के प्राचार्या सुशाना हेंब्रम ने कहा कि संथाल आदिवासियों में पाच से छह पर्व ही मनाए जाते हैं। इसमें सोहराय महत्वपूर्ण पर्व है। मंच संचालन बालेश्वर हासदा और अतिथियों का स्वागत सिल्वेस्टर मराडी ने किया। इस मौके पर सचिव धुव मुर्म, लॉन लच्छु हेम्ब्रम, रानी प्रीति मुर्मु, अधिकलाल मराडी सहित कई थे।